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संतकबीर नगरः मगहर महोत्सव में सूनी पड़ी कुर्सियां, किस बात के लिए खर्च हो रहे 40 लाख

यूपी के संतकबीर नगर में मगहर स्थित कबीर निर्वाण स्थली पर हर साल मगहर उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के लिए सरकार 40 लाख रुपये का बजट देती है.

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खाली पड़ी कुर्सियां.
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Published : Jan 16, 2020, 5:12 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST

संतकबीर नगरः जिले के मगहर कस्बे में स्थित महान सूफीसंत कबीर की निर्वाण स्थली स्थित है. यहां हर साल 12 जनवरी से 18 जनवरी तक मगहर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसके लिए सरकार 40 लाख रुपये का बजट देती है, लेकिन मगहर महोत्सव में कार्यक्रम के दौरान एक हैरान करने वाली तस्वरी देखने को मिली. जब मंच पर कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति करते रहे थे. तब सामने खाली पड़ी सैकड़ों कुर्सियां दर्शकों का इंतजार करती रही.

खाली पड़ी कुर्सियां.

वहीं जब खाली पड़ी कुर्सियों के मामले पर कबीर चौरा के महंत विचार दास से सवाल किया गया तो उनके जवाब ने मगहर महोत्सव पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया. महंत ने कहा कि मगहर महोत्सव अपने सिद्धांतों से भटक गया है. क्योंकि जब भक्त लोगों को हम बुलाते हैं तो भक्त यह कहकर आने के लिए मना कर देते हैं कि वहां पर तो पर सिर्फ नाच गाना और लोकल नेता लोग अपनी बात कहते हैं.

इसे भी पढ़ें- गलियां होंगी साफ, मिर्जापुर के सफाईकर्मियों को मिली 150 हत्थुगाड़ी

इसलिए कबीर के भक्त इस महोत्सव से कटते गए. इतना ही नही महंत विचार दास ने महोत्सव समिति पर सवाल खड़े करते हुए कहा की, हमने समिति से यह बात पहले ही कही थी. मगहर महोत्सव के द्वारा जो संदेश लोगों में जाना चाहिए था. वह लोगों के बीच नहीं जा पा रहा है.

संतकबीर नगरः जिले के मगहर कस्बे में स्थित महान सूफीसंत कबीर की निर्वाण स्थली स्थित है. यहां हर साल 12 जनवरी से 18 जनवरी तक मगहर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसके लिए सरकार 40 लाख रुपये का बजट देती है, लेकिन मगहर महोत्सव में कार्यक्रम के दौरान एक हैरान करने वाली तस्वरी देखने को मिली. जब मंच पर कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति करते रहे थे. तब सामने खाली पड़ी सैकड़ों कुर्सियां दर्शकों का इंतजार करती रही.

खाली पड़ी कुर्सियां.

वहीं जब खाली पड़ी कुर्सियों के मामले पर कबीर चौरा के महंत विचार दास से सवाल किया गया तो उनके जवाब ने मगहर महोत्सव पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया. महंत ने कहा कि मगहर महोत्सव अपने सिद्धांतों से भटक गया है. क्योंकि जब भक्त लोगों को हम बुलाते हैं तो भक्त यह कहकर आने के लिए मना कर देते हैं कि वहां पर तो पर सिर्फ नाच गाना और लोकल नेता लोग अपनी बात कहते हैं.

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इसलिए कबीर के भक्त इस महोत्सव से कटते गए. इतना ही नही महंत विचार दास ने महोत्सव समिति पर सवाल खड़े करते हुए कहा की, हमने समिति से यह बात पहले ही कही थी. मगहर महोत्सव के द्वारा जो संदेश लोगों में जाना चाहिए था. वह लोगों के बीच नहीं जा पा रहा है.

Intro:
संतकबीरनगर- मगहर महोत्सव में सूनी पड़ी कुर्सियां , किस बात के लिए खर्च हो रहे 40 लाख!



Body:एंकर.. सन्तकबीरनगर जिले के मगहर कस्बे में स्थित। महान सूफ़ीसंत कबीर की निर्माण स्थली स्थित है। जहां हर साल 12 जनवरी से 18 जनवरी तक मगहर महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमे सरकार 40 लाख रुपये भी देती है। लेकिन मगहर महोत्सव में कार्यक्रम के दौरान। एक हैरान करने वाली तसवीर देखने को मिली। जब कबीर के मंच पर कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति करते रहे थे। और सामने खाली पड़ी सैकड़ों कुर्सियां दर्शकों का इंतजार करती रही।
Conclusion:वीओ.. ये तस्वीर है सन्तकबीरनगर ज़िले के मगहर कस्बे में स्थित संतकबीर की निर्माण स्थली के मगहर महोत्सव की। जहां मंच के सामने दर्शकों के लिए सैकड़ों कुर्सियां और VIP सोफे लगाए गए हैं। लेकिन तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं। सामने मंच पर एक महिला कलाकार, अपने सहयोगी मियुजीशियन के साथ अपनी गायकी प्रस्तुत कर रही हैं। लेकिन सामने चंद लोगों को छोड़कर। लगभग सभी कुर्सियां खाली पड़ी है। जहां कभी हजारों की भीड़ से यह पूरा पंडाल खचाखच भरा रहता था। लेकिन चंद लोगों को छोड़कर सिर्फ खाली पड़ी सैकड़ों कुर्सियां हैं। जो गाजी का आनंद ले रही हैं । आपको बता दें कि इस मगर महोत्सव के लिए सरकार 40 लाख रुपये का बजट भी देती है। इस पांडाल और मंच की शोभा बढ़ाने के लिए कलाकारों पर। लेकिन मंच पर मौजूद कलाकार, इन खाली पड़ी कुर्सियों को ही अपनी गायकी का हुनर पेश कर रही हैं। कियूंकि इनकी मजबूरी है सामने खाली पड़ी कुर्सियों को ही कबीर का संदेश देना।



वीओ..वहीं जब खाली पड़ी कुर्सियों के मामले पर कबीर चौरा के महंत विचार दास से सवाल किया गया। तो उनके जवाब ने मगहर महोत्सव पर ही सवालिया निशान खड़ा करदिया। महंत विचार दास ने कहा की, मगहर महोत्सव अपने सिद्धांतों से भटक गया है। क्योंकि जब भक्त लोगों को हम बुलाते हैं। तो भक्त ये कहकर आने के लिए मना करदेते हैं। कि वहां पर तो पर सिर्फ़ नाच गाना और लोकल नेता लोग अपनी बात कहते हैं। इस लिए कबीर के भक्त इस महोत्सव से कटते गए। और महोत्सव समिति से यही गलती हुई है । इतना ही नही महंत विचार दास ने महोत्सव समिति पर सवाल खड़े करते हुए कहा की, हमने समित से ये बात पहले ही कही थी। कि मगहर महोत्सव के द्वारा जो संदेश लोगों में जाना चाहिये था। वो लोगों के बीच नही जापा रहा है। जिसपर लोगों को बुरा भी लगा। लेकिन अगर लोग आत्मिक रूप से सोचेंगे कि ये कुर्सियां खाली क्यों है। क्योंकि यहां आने वाले लोग कोई बड़ा चेहरा नहीं चाहते। लोग बस यही चाहते हैं कि। मगहर महोत्सव में सभी को एक संतुष्टि मिल सके। फिलहाल मगहर महोत्सव के पंडाल में कार्यक्रम के दौरान खाली पड़ी कुर्सियां। और मगहर कबीर चौरा के महंत विचार दास के दर्द को अगर समय रहते नहीं समझा गया, तो सरकार के द्वारा इस महोत्सव के लिए दिया जाने वाला 40 लाख रुपए सरकारी धन, इसी तरह पानी में बहता रहेगा, जो मगहर महोत्सव की शोभा बढ़ाने और कबीर के उद्देश्यों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार के द्वारा ख़र्च किया जाता है।



बाइट.. महंत विचार दास- कबीर चौरा मगहर

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:22 PM IST
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