भदोही: वैश्विक स्तर पर भारतीय कालीन उद्योग की अलग पहचान है. खासकर भदोही, मिर्जापुर और कश्मीर की कालीन की तो बात ही कुछ और है. कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में कालीन उद्योग को कई करोड़ का नुकसान हुआ है. अनलॉक होने के बाद कारोबार फिर से पटरी पर लौटने लगा है. उम्मीद है कि 3-4 महीने में हालात और सुधरेंगे.
भदोही की निर्मित कालीनें विदेशी बाजारों में सबसे अधिक पसंद की जाती हैं. भदोही से सबसे अधिक एक्सपोर्ट अमेरिकी बाजारों में होता है. कोरोना की वजह से इस इंडस्ट्री से जुड़े लाखों बुनकरों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के चलते कामकाज बंद हो गया तो दूसरे प्रान्त के बुनकरों ने पलायन कर लिया, इससे बुनकरों का भी बहुत नुकसान हुआ. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया था. लेकिन अनलॉक के बाद कालीन कंपनियों ने रफ्तार पकड़ ली है. अब बुनकरों को भी काम मिल रहा है.
कोरोना की वजह से कालीन उद्योग का करोड़ों का नुकसान हुआ है. विदेशी खरीददार यहां नहीं आ सके हैं. निर्यातक विदेशी ग्राहकों से ऑनलाइन माध्यमों से जरूर जुड़े रहे लेकिन, स्थानीय स्तर पर कामकाज नहीं चल सका. इस समय निर्यातकों के पास विदेशी बाजारों से ऑर्डर हैं और अब वह प्रयास कर रहे हैं कि उन आर्डरों को पूरा किया जाए.