संभल: न्यायालय में कार्यरत सिविल जज सीनियर डिविजन सुदेश कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने गरीब और असहाय बच्चों को पीसीएस जे परीक्षा पास करने के टिप्स दिए. उनका कहना है कि अगर आप के अंदर कुछ करने का जज्बा है और आपको जज बनना है या न्यायपालिका के क्षेत्र में आना है तो आर्थिक तंगी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. आप बिना कोचिंग के घर पर रहकर भी पीसीएस (जे) की तैयारी कर सकते हैं.
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जज सुदेश कुमार ने दी ये जानकारी
जज सुदेश कुमार ने बताया कि इस परीक्षा में शामिल होने की चाहत रखने वाले बच्चे घर बैठकर भी अध्ययन कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें सामान्य ज्ञान का अध्ययन करना चाहिए. स्टूडेंट्स हिस्ट्री से लेकर करेंट अफेयर्स की पढ़ाई पत्रिकाओं और किताबों के माध्यम से घर बैठे ही कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी नहीं कि वह कोचिंग ही जाएं. परीक्षार्थी हर विषय पर अपनी अच्छी पकड़ बनाएं और हर विषय की जानकारी रखें.
परीक्षा का हर चरण होता है महत्वपूर्ण
जज सुदेश कुमार बताया कि 3 चरणों में होने वाली इस परीक्षा का हर चरण अपने आप में महत्वपूर्ण होता है. प्रारंभिक परीक्षा के माध्यम से एक निश्चित संख्या में परीक्षार्थियों का चयन करना होता है. मेंस परीक्षा में परीक्षार्थी की वास्तविक परीक्षा होती है. इसमें उनकी नॉलेज परखी जाती है. साक्षात्कार में परीक्षार्थियों की पर्सनालिटी का टेस्ट होता है. परीक्षार्थी कैसे समस्याओं को समझते हैं, समस्याओं का सामना करते हैं, उनकी मनोवैज्ञानिक क्षमता और ज्ञान की परीक्षा इस इंटरव्यू के माध्यम से होती है. मुख्य परीक्षा ही बाकी परीक्षाओं का आधार होती है. इसके आधार पर फाइनल चयन किया जाता है.
जज से किया सवाल
सवाल: अगर कोई व्यक्ति 14 या 15 साल से जेल में बंद है. वह मुकदमे के ट्रायल के बाद अंतिम फैसले में वह निर्दोष पाया जाता है तो न्याय व्यवस्था में ऐसे क्या परिवर्तन होने चाहिए कि निर्दोष व्यक्ति को जल्द न्याय मिले.
जज: जेल में निरुद्ध कैदी हैं, उनका परीक्षण फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से होना चाहिए. संभव हो तो जेल के अंदर ही न्यायालय गठित किया जाए. वहीं पर जाकर उनका ट्रायल हो और गवाह को बुलाया जाए. इसके बाद की प्रक्रिया भी जल्द से जल्द पूरी की जाए. इससे लंबे समय तक जेल में निरुद्ध नहीं रहना पड़ेगा और न्याय भी जल्द मिलेगा.