संभल: जनपद में भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा है कि किसानों की मांगों को लेकर केंद्र सरकार को एक मांग पत्र भिजवाया है, जिसमे कहा कि किसान आयोग का गठन कर उसे ही फसलों का दाम तय करने का अधिकार दे दिया जाए. आज जहां किसान गुलाम है तो वही एमपी एमएलए और उद्योगपति आजाद होकर घूम रहे हैं. किसान की कमाई की कीमत सरकार लगाती है. लेकिन एमपी एमएलए और उद्योगपति अपनी कीमत खुद तय करते हैं.
दरअसल, सोमवार को संभल जिले के कैला देवी में किसानों की सभा को संबोधित करने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह जमकर बोले. उन्होंने कहा कि आज किसान पूरी तरह से गुलाम है. उसे अपनी कमाई की कीमत तय करने का अधिकार नहीं है. इसलिए आज किसान गुलाम है. राकेश टिकैत पर निशाना साधते हुए कहा कि राकेश टिकैत ने आंदोलन के नाम पर किसानों को लूटा है. भानु यहीं नहीं रुके उन्होंने राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकैत अपराधी किस्म के हैं. उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की देश में जितने भी किसानों के नेता है. सभी की सीबीआई जांच कराई जाए. इन नेताओं में वह खुद भी शामिल हैं और उनकी भी संपत्ति की जांच कराई जाए, जिसकी संपत्ति अवैध हो उसे सरकारी खजाने में जब्त किया जाए और अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले किसान नेताओं को जेल में डाला जाए.
भानु प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अच्छे हैं और अच्छा काम कर रहे हैं. पिछले 70 साल में उत्तर प्रदेश में योगी जैसा कोई सीएम नहीं बना है, जो न्याय की बात करता हो. सीएम योगी ने हमेशा न्याय किया है, जो भी कमियां रह गई हैं. उनको जल्द पूरा कराया जाएगा. हालांकि भानु प्रताप सिंह पीएम मोदी से खफा दिखे. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने आज तक किसानों के लिए कोई काम नहीं किया. अगर वह किसानों के लिए अच्छा काम करेंगे तो हम उनको भी जिताने का काम करेंगे.
वहीं, उन्होंने कहा कि हमें राजगद्दी की जरूरत नहीं है. किसानों की आम आदमी की पुलिस की और मिलिट्री की जो भी मांगे हैं. उनको पूरा करवाने के बाद ही दम लेंगे और अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो महाभारत होगी. मतलब आंदोलन आंदोलन और आंदोलन सिर्फ आंदोलन चलाया जाएगा. धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वह सिर्फ मानवता की लड़ाई लड़ते .हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब उनके लिए बराबर है. धर्म की राजनीति सिर्फ राजनेता करते हैं.