सम्भल: हड्डी और सींग के कारोबार से विश्व भर में पहचान बनाने सम्भल जिले में अब एक नए कारोबार की शुरुआत हुई है. लॉकडाउन में हड्डी और सींग का कारोबार प्रभावित हुआ तो निर्यातकों ने चीनी उत्पादकों को मात देने के लिए बाइक, साइकिल, ट्रक के खराब पार्टस से दीवार घड़ी और टेबल लैम्प बनाने शुरू कर दिए. महज 300 से 400 रुपए में एक आइटम तैयार हो रहा है. अमेरिका और रूस से इन आइटमों के सबसे ज्यादा आर्डर निर्यातकों को मिल रहे हैं. सम्भल की उपनगरी सरायतरीन में इस नए कारोबार की शुरुआत होने से जिले को एक नई पहचान मिल गई है.
पुराने पार्टस से कारीगर बना रहे नए आइटम
उपनगरी सरायतरीन में हड्डी और सींग के अवशेषों को खूबसूरत आभूषणों का रूप देने के लिए श्रमिक भले ही सांस, टीबी, कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जिंदगी कम कर रहे हों, लेकिन उनकी बदौलत ही सरायतरीन ने अपनी पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बनाई है. श्रमिकों के हुनर ने सात समंदर पार तक हड्डी और सींग के उत्पादकों का जलवा बिखेरा है. अब कारीगरों की बदौलत ही कोरोना महामारी में यहां एक नए कारोबार को पंख लगे हैं. निर्यातक जकी खान ने अब साईकिल, बाइक और ट्रक के पुराने पार्टस जैसे टायर, चैन स्पार्कट, पाना, चाबी, चेन, रिम, डिस ब्रेक, स्प्रिंग से टेबल लैम्प, टेबल घड़ी, दीवार घड़ी तैयार की है.
- बाइक, साइकिल, ट्रक के खराब पार्टस से दीवार घड़ी और टेबल लैम्प बन रहे हैं.
- एक घड़ी और टेबल लैम्प बनाने में 300 से 400 रुपए तक का खर्चा आ रहा है.
- इस समय निर्यातक जकी खान के पास अमेरिका से आर्डर मिला है.
बता दें कि सरायतरीन में हड्डी और सींग से निर्मित आभूषणों को विदेशों में काफी पसंद किया जाता है. विदेशी नागरिकों को लुभाने में यहां के कारीगर सफल तो हुए ही हैं, साथ ही उन्होंने उन्होंने अपने बनाए सामानों से विदेशियों को दीवाना बना डाला है. श्रमिक हड्डी और सींग से कानों के बुंदे, कमर की पेटी, अंगूठी, नेकलेस, कड़े-चूड़ियां, फोटो फ्रेम तथा घरेलू साज-सज्जा का सामान बनाकर तैयार करते हैं. इसके बाद निर्यातक उन उत्पादों को रूस, अमेरिका, यूरोप, कोरिया, जापान, आस्ट्रेलिया, चीन, समेत विभिन्न देशों में भेजते हैं.