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सहारनपुर: महिलाएं पहुंचीं होलिका दहन स्थल, सुख-समृद्धि की कामना की - sharanpur today news

देशभर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. होली में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. सहारनपुर में होलिका दहन स्थल पर पहुंचकर महिलाओं और बच्चों ने पूजन किया.

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होली पूजन .
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Published : Mar 9, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: देशभर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है. होली में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. ऐसे में महिलाएं व बच्चे होलिका दहन स्थल पर पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंच रही हैं. जिले में भी होलिका दहन स्थल पर सुबह से ही महिलाओं व बच्चों की भीड़ देखने को मिली, जहां महिलाएं और बच्चे होलिका पूजन कर रहे हैं. वहीं साथ ही एक- दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई भी दे रहे हैं.

जिले में हुआ होली पूजन.

ईटीवी भारत ने जब महिलाओं से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि वह काफी सालों से यहां पर पूजा करने के लिए आ रही हैं, क्योंकि होली की मान्यता है कि होलिका अपने भतीजे को लेकर गोद में बैठी थी, उसको वरदान था कि वह अग्नि में जल नहीं सकती, लेकिन दुराचारी का साथ देने की वजह से वह अग्नि में खुद भस्म हो गई थी और प्रह्लाद बच गए थे.

इसे भी पढ़ें: विपदाओं के सर्वनाश के लिए महायज्ञ का आयोजन

तब से ही होलिका दहन का त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है, इसलिए सुबह से ही महिलाएं अपने बच्चों को लेकर होलिका दहन स्थल पर पहुंचकर पूजा-अर्चना करती हैं. उन्होंने बताया कि होली राधा-कृष्ण के प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है. होली के त्योहार पर महिलाएं अपने बच्चों के लिए व्रत रख उनकी लंबी आयु की कामना भी करती है.

सहारनपुर: देशभर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है. होली में जितना महत्व रंगों का है, उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है. ऐसे में महिलाएं व बच्चे होलिका दहन स्थल पर पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंच रही हैं. जिले में भी होलिका दहन स्थल पर सुबह से ही महिलाओं व बच्चों की भीड़ देखने को मिली, जहां महिलाएं और बच्चे होलिका पूजन कर रहे हैं. वहीं साथ ही एक- दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई भी दे रहे हैं.

जिले में हुआ होली पूजन.

ईटीवी भारत ने जब महिलाओं से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि वह काफी सालों से यहां पर पूजा करने के लिए आ रही हैं, क्योंकि होली की मान्यता है कि होलिका अपने भतीजे को लेकर गोद में बैठी थी, उसको वरदान था कि वह अग्नि में जल नहीं सकती, लेकिन दुराचारी का साथ देने की वजह से वह अग्नि में खुद भस्म हो गई थी और प्रह्लाद बच गए थे.

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तब से ही होलिका दहन का त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है, इसलिए सुबह से ही महिलाएं अपने बच्चों को लेकर होलिका दहन स्थल पर पहुंचकर पूजा-अर्चना करती हैं. उन्होंने बताया कि होली राधा-कृष्ण के प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है. होली के त्योहार पर महिलाएं अपने बच्चों के लिए व्रत रख उनकी लंबी आयु की कामना भी करती है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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