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सहारनपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति से जानिए किसानों की आय कैसे होगी दोगुनी?

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Published : Jul 14, 2022, 3:13 PM IST

सहारनपुर सरदार बल्लभबाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के VC डॉ. आर.के. मित्तल ने ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों की आय दोगुनी करने उपाय बताया. स्पेशल रिपोर्ट में जानिए क्या है तरीके....

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किसानों की आय होगी दोगुनी

सहारनपुर: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विभिन्न योजनाएं लागू कर रही है. वहीं, कृषि विभाग भी किसानों के मुनाफे के लिए नए नए शोध कर बेहतर खाद- बीज के इंतजाम कर रहा है. 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार के आदेश पर कृषि वैज्ञानिक नए शोध कर रहे हैं. यही वजह है कि सहारनपुर फल के साथ अब मशरूम उत्पादन का हब भी बनता जा रहा है.

सरदार बल्लभबाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर.के. मित्तल ने ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों की आय दोगुनी करने के न सिर्फ उपाय गिनाए बल्कि, सरकार की उपब्धि भी बताई है. डॉ. मित्तल ने बताया कि आधुनिक और जैविक खेती से ही किसानों की आय दोगुनी संभव है. सहारनपुर जिला मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते कृषि विज्ञान केंद्र में मैंगो और मशरूम प्रोसेसिंग लैब बनाई गई है.

किसानों की आय होगी दोगुनी, मेरठ कृषि विश्वविद्यालय के VC डॉ. आर.के. मित्तल ने दी जानकारी
डॉ. आर.के. मित्तल ने बताया कि वर्तमान में भारत सरकार के साथ प्रदेश सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है. हालांकि, कुछ सालों पहले भ्रांति थी कि किसानों की आय कैसे बढ़ाई जा सकती है. लेकिन कृषि विविधीकरण के जरिये कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा नई नई तकनीकी लाई जा रही है. ताकि फसल पैदावार में किसानों की लागत को कम किया जा सके और किसानों की फसल का सही दाम दिलाया जाये. किसानों की आय को दोगुनी ही नहीं, इससे ज्यादा भी करने पर जोर दिया जा रहा है.
मशरूम उत्पादन में सहारनपुर यूपी में नंबर वन
डॉ. आर.के. मित्तल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र मशरूम की खेती के लिए लंबे समय से काम कर रहा है. यही वजह है कि जनपद न सिर्फ मशरूम की खेती का हब बन गया है बल्कि कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत के चलते मशरूम के लिए क्रांति आई हुई है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाह की टीम ने घर-घर जाकर किसानों को जैविक और आधुनिक खेती के साथ मशरूम की खेती के लिए जागरूक किया है. खास बात यह है कि सहारनपुर जिले में विभिन्न किस्म की मशरूम की पैदावार की जा रही है. यहां दर्जनों किस्म की मशरूम की खेती कर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में सहारनपुर उत्तर प्रदेश का नंबर वन जिला बन गया है. यहां मशरूम के उत्पादन के साथ निकासी भी अच्छी हो रही है. लेकिन मशरूम का समर्थन मूल्य तय नही किया गया है. इसके लिए कृषि विभाग तैयारी कर रहा है कि मशरूम का एक समर्थन मूल्य तय किया जाए, ताकि किसानों को वाजिब दाम मिल सके.

इसे भी पढ़े-कृषि विभाग का नया प्रयोग, जानें खेती करने में कैसे होगा ड्रोन का इस्तेमाल ?

मैंगो प्रोसेसिंग और मशरूम प्रोसेसिंग लैब स्थापित
डॉ. आर.के. ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में मैंगो प्रोसेसिंग और मशरूम प्रोसेसिंग लैब बनाया गया है. उत्तर प्रदेश में दूसरे नबंर की फल पट्टी सहारनपुर के बेहट क्षेत्र को कहा जाता है. यहां के बागों का आम देश भर में ही नहीं, विदेशियों के घरों में भी अपनी मिठास छोड़ता है. यानी हर साल हजारों टन आम विदेशों में निर्यात किया जाता है. मैंगो प्रोसेसिंग लैब में आंधी तूफान में झड़ने वाले छोटे बड़े आम को इस्तेमाल किया जाता है. ताकि आम खराब न होकर अचार आदि बनाकर किसानों को इससे फायदा पहुंचाया जा सके.

डॉ. मित्तल ने बताया कि सरकार का एक ही उद्देश्य है कि किसानों की आय दोगुनी की जाए. इसके लिए सरकार और कृषि विभाग के निर्देश पर कृषि वैज्ञानिक नए नए शोध कर रहे हैं. इसका परिणाम भी सकारात्मक ही मिल रहा हैं. 2024 तक सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करने का है. इसे पूरा करने में कृषि वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे है. आधुनिक खेती के साथ प्रोडक्ट की मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी किसानों को दी जा रही है.

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सहारनपुर: किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विभिन्न योजनाएं लागू कर रही है. वहीं, कृषि विभाग भी किसानों के मुनाफे के लिए नए नए शोध कर बेहतर खाद- बीज के इंतजाम कर रहा है. 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार के आदेश पर कृषि वैज्ञानिक नए शोध कर रहे हैं. यही वजह है कि सहारनपुर फल के साथ अब मशरूम उत्पादन का हब भी बनता जा रहा है.

सरदार बल्लभबाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर.के. मित्तल ने ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों की आय दोगुनी करने के न सिर्फ उपाय गिनाए बल्कि, सरकार की उपब्धि भी बताई है. डॉ. मित्तल ने बताया कि आधुनिक और जैविक खेती से ही किसानों की आय दोगुनी संभव है. सहारनपुर जिला मशरूम की खेती का हब बनता जा रहा है. इसके चलते कृषि विज्ञान केंद्र में मैंगो और मशरूम प्रोसेसिंग लैब बनाई गई है.

किसानों की आय होगी दोगुनी, मेरठ कृषि विश्वविद्यालय के VC डॉ. आर.के. मित्तल ने दी जानकारी
डॉ. आर.के. मित्तल ने बताया कि वर्तमान में भारत सरकार के साथ प्रदेश सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है. हालांकि, कुछ सालों पहले भ्रांति थी कि किसानों की आय कैसे बढ़ाई जा सकती है. लेकिन कृषि विविधीकरण के जरिये कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा नई नई तकनीकी लाई जा रही है. ताकि फसल पैदावार में किसानों की लागत को कम किया जा सके और किसानों की फसल का सही दाम दिलाया जाये. किसानों की आय को दोगुनी ही नहीं, इससे ज्यादा भी करने पर जोर दिया जा रहा है.
मशरूम उत्पादन में सहारनपुर यूपी में नंबर वन
डॉ. आर.के. मित्तल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र मशरूम की खेती के लिए लंबे समय से काम कर रहा है. यही वजह है कि जनपद न सिर्फ मशरूम की खेती का हब बन गया है बल्कि कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत के चलते मशरूम के लिए क्रांति आई हुई है. कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाह की टीम ने घर-घर जाकर किसानों को जैविक और आधुनिक खेती के साथ मशरूम की खेती के लिए जागरूक किया है. खास बात यह है कि सहारनपुर जिले में विभिन्न किस्म की मशरूम की पैदावार की जा रही है. यहां दर्जनों किस्म की मशरूम की खेती कर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में सहारनपुर उत्तर प्रदेश का नंबर वन जिला बन गया है. यहां मशरूम के उत्पादन के साथ निकासी भी अच्छी हो रही है. लेकिन मशरूम का समर्थन मूल्य तय नही किया गया है. इसके लिए कृषि विभाग तैयारी कर रहा है कि मशरूम का एक समर्थन मूल्य तय किया जाए, ताकि किसानों को वाजिब दाम मिल सके.

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मैंगो प्रोसेसिंग और मशरूम प्रोसेसिंग लैब स्थापित
डॉ. आर.के. ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में मैंगो प्रोसेसिंग और मशरूम प्रोसेसिंग लैब बनाया गया है. उत्तर प्रदेश में दूसरे नबंर की फल पट्टी सहारनपुर के बेहट क्षेत्र को कहा जाता है. यहां के बागों का आम देश भर में ही नहीं, विदेशियों के घरों में भी अपनी मिठास छोड़ता है. यानी हर साल हजारों टन आम विदेशों में निर्यात किया जाता है. मैंगो प्रोसेसिंग लैब में आंधी तूफान में झड़ने वाले छोटे बड़े आम को इस्तेमाल किया जाता है. ताकि आम खराब न होकर अचार आदि बनाकर किसानों को इससे फायदा पहुंचाया जा सके.

डॉ. मित्तल ने बताया कि सरकार का एक ही उद्देश्य है कि किसानों की आय दोगुनी की जाए. इसके लिए सरकार और कृषि विभाग के निर्देश पर कृषि वैज्ञानिक नए नए शोध कर रहे हैं. इसका परिणाम भी सकारात्मक ही मिल रहा हैं. 2024 तक सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करने का है. इसे पूरा करने में कृषि वैज्ञानिक दिन रात मेहनत कर रहे है. आधुनिक खेती के साथ प्रोडक्ट की मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी किसानों को दी जा रही है.

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