बुलंदशहर: सरकार ने राइट-टू-एजुकेशन कानून के तहत निजी स्कूल बनाकर गरीब परिवारों के बच्चों के निजी स्कूल में दाखिले का सपना भले ही साकार कर दिया है. इसके बाद भी जिले में यह अभियान पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. यही वजह है कि विद्यालय खुले करीब एक पखवाड़े से भी ज्यादा हो चुका है, लेकिन जिले में इतनी भारी-भरकम सरकारी मशीनरी होने के बाद भी सिर्फ और सिर्फ 555 आवेदन ही किए गए हैं.
इन 555 आवेदन में भी करीब 100 आवेदन नियम के अनुसार नहीं पाए गए हैं. राइट-टू-एजुकेशन अभियान का प्रचार-प्रसार भी जिले में नजर नहीं आ रहा है. पर्याप्त प्रचार-प्रसार न होने की वजह से लोगों को राइट-टू-एजुकेशन कानून की जानकारी भी नहीं है.
विद्यालयों में गरीब और निर्धन असहाय परिवार के बच्चों को पढ़ाने का सपना देखकर सरकार ने राइट-टू-एजुकेशन कानून के तहत निजी स्कूल में बच्चों को पढ़ने की व्यवस्था की है, लेकिन यह अभियान सिर्फ दफ्तरों की फाइलों और अफसरों के टेबलों के इर्द गिर्द ही परिक्रमा करके सार्थकता दर्शाता नजर आ रहा है.
- जिए में कुल 555 आवेदन अब तक जमा हुए, इनमें से 493 ही वास्तविक पात्र पाये गए.
- कुल 395 बच्चों का नजदीकी निजी स्कूलों में प्रवेश कराया गया है.
- वहीं 98 बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया अभी चल रही है.
- 20 जुलाई तक पात्र परिवार अपने नोनिहालों का दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अम्बरीष यादव का कहना है कि जिन परिवारों की आय एक लाख से कम होती है और जिनके परिवार का मुखिया गंभीर बीमारी से ग्रसित होता है, जैसे कि कैंसर और एड्स व अन्य कोई गम्भीर बीमारी ऐसे परिवार के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए निजी विद्यालयों में 25% कोटा निर्धारित है.
बुलंदशहर जिले में राइट-टू-एजुकेशन अभियान सफल होता नजर नहीं आ रहा है. कहने को तो यह वेस्टर्न यूपी का सबसे बड़ा जिला भी है. यहां हर साल हजारों की तादाद में ऐसे बच्चे चिन्हित किए जाते हैं जो विद्यालय तक नहीं जाते हैं. जिले में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या भी अच्छी-खासी है फिर भी यहां इस अभियान में बच्चों का दाखिला नहीं हो रहा है.
राइज-टू-एजुकेशन के तहत निजी स्कूल में जिन परिवारों ने अपने बच्चों के एडमिशन के लिए अप्लाई किया है. उसमें भी यहां के जिम्मेदार अधिकारियों ने 100 के फॉर्म रिजेक्ट कर दिए हैं. वहीं लगभग 400 छात्रों के एडमिशन ही अब तक एक तरह से हुए बताए जा रहे हैं.