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वसीम रिजवी के बयान पर भड़के देवबंद के उलेमा, बोले-अपने दिमाग का इलाज कराएं रिजवी

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने मुगल काल में तोड़े गए मंदिरों के निर्माण के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा. पत्र लिखने के बाद वसीम रिजवी फिर से चर्चा में आ गए हैं. इससे नाराज उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने उनको अपने दिमाग का इलाज कराने की नसीहत दे डाली.

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Published : Sep 30, 2020, 11:50 PM IST

देवबंदी उलेमा
देवबंदी उलेमा

सहारनपुर: मुगल काल में तोड़े गए मंदिरों के निर्माण के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखने के बाद शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. वसीम रिजवी की इस मांग पर देवबंदी उलेमाओं में भी खासी नाराजगी देखी जा रही है. देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने वसीम रिजवी के बयान का पलटवार करते हुए कहा कि वसीम रिजवी को अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए. वसीम रिजवी ने मुगल काल में मंदिरों के तोड़ने का दावा कर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उन मंदिरों की स्थिति को सुधारने की मांग की है. उलेमा ने कहा कि उनके पास इस बात के क्या सबूत हैं कि मुगलों ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई है. वह पहले भी इस तरह के विवादित बयान देते आ रहे हैं, उनको अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए.

मुफ्ती असद कासमी, उलेमा, देवबंद

वसीम रिजवी पर भड़के देवबंदी उलेमा

देवबंदी उलेमा एवं मुस्लिम धर्म गुरु मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जिस तरीके से वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. उसमें उन्होंने यह मांग की है कि मुगलों के जमाने में जो मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, उसी स्थानों पर दोबारा मंदिर बना दिया जाए. उलेमा ने वसीम रिजवी से सवाल करते हुए कहा कि आपके पास क्या सबूत है कि मुगलों ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई है. उलेमा ने कहा कि वसीम रिजवी को हिंदुस्तान के इतिहास की तारीख का बिल्कुल भी पता नहीं है. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से यह अपील और निवेदन करते हैं कि वह वसीम रिजवी जैसे लोगों की बातों में न आए. अपना देश किस तरीके से उन्नति करे, किस तरीके से विकास करें उसकी ओर ध्यान दें. उलेमा ने कहा कि वसीम रिजवी ने अब से पहले भी बहुत सारे विवादित बयान दिए हैं और इसे मस्जिद-मंदिर का मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.

उलेमा ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इस तरह की बयानबाजी और पत्र लिखकर देश के प्रधानमंत्री को गुमराह कर रहे हैं. वसीम रिजवी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई हो, इसलिए उन्हें अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए और जहरीले बयानों से बचना चाहिए.

सहारनपुर: मुगल काल में तोड़े गए मंदिरों के निर्माण के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखने के बाद शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. वसीम रिजवी की इस मांग पर देवबंदी उलेमाओं में भी खासी नाराजगी देखी जा रही है. देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने वसीम रिजवी के बयान का पलटवार करते हुए कहा कि वसीम रिजवी को अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए. वसीम रिजवी ने मुगल काल में मंदिरों के तोड़ने का दावा कर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उन मंदिरों की स्थिति को सुधारने की मांग की है. उलेमा ने कहा कि उनके पास इस बात के क्या सबूत हैं कि मुगलों ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई है. वह पहले भी इस तरह के विवादित बयान देते आ रहे हैं, उनको अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए.

मुफ्ती असद कासमी, उलेमा, देवबंद

वसीम रिजवी पर भड़के देवबंदी उलेमा

देवबंदी उलेमा एवं मुस्लिम धर्म गुरु मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जिस तरीके से वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. उसमें उन्होंने यह मांग की है कि मुगलों के जमाने में जो मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, उसी स्थानों पर दोबारा मंदिर बना दिया जाए. उलेमा ने वसीम रिजवी से सवाल करते हुए कहा कि आपके पास क्या सबूत है कि मुगलों ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई है. उलेमा ने कहा कि वसीम रिजवी को हिंदुस्तान के इतिहास की तारीख का बिल्कुल भी पता नहीं है. उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से यह अपील और निवेदन करते हैं कि वह वसीम रिजवी जैसे लोगों की बातों में न आए. अपना देश किस तरीके से उन्नति करे, किस तरीके से विकास करें उसकी ओर ध्यान दें. उलेमा ने कहा कि वसीम रिजवी ने अब से पहले भी बहुत सारे विवादित बयान दिए हैं और इसे मस्जिद-मंदिर का मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.

उलेमा ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इस तरह की बयानबाजी और पत्र लिखकर देश के प्रधानमंत्री को गुमराह कर रहे हैं. वसीम रिजवी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई हो, इसलिए उन्हें अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए और जहरीले बयानों से बचना चाहिए.

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