सहारनपुर: एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार महंगाई पर कंट्रोल रखने के दावे कर रही है. वहीं सब्जियों के बढ़ते दामों ने न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं, बल्कि लोगों की जेब और रसोई का बजट भी बिगाड़ दिया है. इस तरह महंगा हुआ प्याज लोगों को रुलाने लगा है.
जिले में प्याज 50 रुपये प्रति किलो से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. हरी धनिया 200 रु. प्रतिकिलो और फूल गोभी 80 रुपये से 120 रुपये किलो और लहसुन 200 रुपये किलो बिक रही है. इतना ही नहीं लौकी, तोरी, कद्दू, पालक, भिंडी आदि सब्जियों के भाव भी पिछले 10 दिनों में दो से तीन गुना बढ़े हैं. इससे आम जनता की रसोई बजट के साथ खाने का स्वाद भी बिगड़ गया है.
आसमान छूने लगे सब्जियों के दाम-
बरसात के बाद त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है. त्योहारी सीजन में सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. प्याज, लहसुन और टमाटर इतना महंगा हो गया है कि लोगों की थाली का स्वाद बिगड़ने लगा है. इन दिनों प्याज में महंगाई की आग लगी हुई है. प्याज महंगा होने से गृहणियों की रसोई का बजट बिगड़ गया है. सब्जियों के दाम बढ़ने के साथ आम जन का बजट भी बढ़कर दो से तीन गुणा हो गया है.
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ईटीवी भारत ने दुकानदारों और ग्राहकों से बात की तो लोगों ने बढ़ती महंगाई से बजट बिगड़ने की बात कही. लोगों ने महंगाई की वजह से रसोई का बजट बढ़ कर दोगुना होने की बात कही. मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए इन दिनों सब्जियां खरीदना सोना खरीदने के बराबर है.
सब्जियों के बढ़े दाम-
सब्जियां | दाम |
आलू | 10 रु. से बढ़कर 15 रु. किलो |
लौकी | 10 रु. से बढ़कर 25-30 रु. किलो |
कद्दू | 10 रु. से बढ़कर 20-30 रु. किलो |
तोरई | 20 रु. से बढ़कर 30-40 रु. किलो |
भिंडी | 15 रु. से बढ़कर 30 रु किलो |
शिमला मिर्च | 40 रु से बढ़कर 60 रु. किलो |
हरी मिर्च | 40 रु से बढ़कर 80 रु. किलो |
खीरा | 10 रु से बढ़कर 30 रु. किलो |
फूल गोभी | 50 रु से बढ़कर 80-100 रु. किलो |
फ्रास्बीन | 20 रु से बढ़कर 40-50 रु. किलो |
करेला | 30 रु से बढ़कर 60-80 रु. किलो |
परवल | 30 रु से बढ़कर 80 रु. किलो |
पालक | 25 रु से बढ़कर 50 रु. किलो |
बिस्स | 20 रु से बढ़कर 60 रु. किलो |
बैगन | 15 रु से बढ़कर 40 रु. किलो |
गाजर | 20 रु से बढ़कर 60-80 रु. किलो |
सब्जी विक्रेता रामलाल के मुताबिक इन दिनों नासिक से प्याज नहीं आ पा रहा है. इसके चलते प्याज महंगा होता जा रहा है. प्याज महंगा आता है तो वे भी आगे महंगा बेचने को मजबूर हैं. लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है.