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सहारनपुर: कई पीढ़ी से 'बोलने' वाला रावण बना रहा यह मुस्लिम परिवार

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Published : Oct 7, 2019, 6:12 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दशहरे की तैयारियां जोरों पर हैं. जिले में एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से रावण के पुतले बनाकर हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है. सहारनपुर के इस पुतले की खास बात यह है कि दशहरे के दिन राम-रावण युद्ध के दौरान रावण का पुतला बोलता और हंसता नजर आता है.

रावण के पुतले बना रहा यह मुस्लिम परिवार.

सहारनपुर: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का त्योहार मनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है. जहां भगवान राम की लीलाओं का मंचन अंतिम दौर में चल रहा है, वहीं दशहरे के दिन जलाए जाने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले भी बनाये जा रहे हैं. सहारनपुर की बात करे तो यहां एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से इन पुतलों को बनाता आ रहा है. मुजफ्फरनगर के चरथावल निवासी इंतजार अली 30 सालों से रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल कायम कर रहे हैं. उनके परिवार के सदस्य अपनी टीमों के साथ कई शहरों में एक महीने की मेहनत से इन पुतलों को मूल रूप देने में लगे हुए हैं.

रावण के पुतले बना रहा यह मुस्लिम परिवार.

साम्प्रदायिक सौहार्द का दे रहे संदेश

एक ओर जहां राजनेता जाति धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं, वहीं इंतजार अली का परिवार दशहरे पर दहन होने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर न सिर्फ साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे है बल्कि इन्होंने कट्टरपंथी लोगों को भी करारा जवाब दिया है. दशहरे के दिन जहां हिन्दू समाज के लोग रावण दहन के बाद धर्म लाभ उठाते हैं वहीं पुतले बनाने के वाले ये मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर रोजी-रोटी के साथ पुण्य लाभ कमा रहे हैं.

ईटीवी से बातचीत में इंतजार अली ने कहा

पुतला बनाने वाले इंतजार अली ने बताया कि उनका परिवार 30 सालों से रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाकर पुण्य का काम कर रहा है. साथ ही दो जून की रोटी भी कमा लेते हैं. इंतजार अली के मुताबिक वे दशहरे से एक महीने पहले इन पुतलों को बनाना शुरू करते हैं. जिसमें 8 कुशल कारीगर कड़ी मेहनत और लगन से सुंदर एवं बड़े-बड़े पुतलों को बना रहे हैं. सहारनपुर के गांधी पार्क मैदान में करीब 100 फ़ीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है. इस पुतले की खास बात ये रहती है कि यह पुतला हंसता हुआ और बोलता हुआ भी प्रतीत होता है. जो दशहरे के पर्व पर रामलीला देखने आए दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

इसे भी पढ़ें- बिजनौर: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है यहां का दशहरा

अन्य शहरों में भी है इन पुतलों की मांग

हंसने-बोलने की वजह से इन पुतलों की मांग अन्य शहरों में भी होने लगी है. जिसके चलते इंतजार के परिवार के सदस्य 10 टीमों के साथ करनाल, जालंधर, रुड़की, चण्डीगढ़ समेत 12 शहरों में रावण के हंसने बोलने वाले पुतले बना रहे हैं. एक महीने से घर बार छोड़ कर परिवार के सभी पुरुष रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने में लगे हुए हैं. मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाये गए इन पुतलों की भव्यता और सुंदरता हर किसी को आकर्षित कर रही है.

सहारनपुर: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का त्योहार मनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है. जहां भगवान राम की लीलाओं का मंचन अंतिम दौर में चल रहा है, वहीं दशहरे के दिन जलाए जाने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले भी बनाये जा रहे हैं. सहारनपुर की बात करे तो यहां एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से इन पुतलों को बनाता आ रहा है. मुजफ्फरनगर के चरथावल निवासी इंतजार अली 30 सालों से रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल कायम कर रहे हैं. उनके परिवार के सदस्य अपनी टीमों के साथ कई शहरों में एक महीने की मेहनत से इन पुतलों को मूल रूप देने में लगे हुए हैं.

रावण के पुतले बना रहा यह मुस्लिम परिवार.

साम्प्रदायिक सौहार्द का दे रहे संदेश

एक ओर जहां राजनेता जाति धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं, वहीं इंतजार अली का परिवार दशहरे पर दहन होने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले बनाकर न सिर्फ साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे है बल्कि इन्होंने कट्टरपंथी लोगों को भी करारा जवाब दिया है. दशहरे के दिन जहां हिन्दू समाज के लोग रावण दहन के बाद धर्म लाभ उठाते हैं वहीं पुतले बनाने के वाले ये मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर रोजी-रोटी के साथ पुण्य लाभ कमा रहे हैं.

ईटीवी से बातचीत में इंतजार अली ने कहा

पुतला बनाने वाले इंतजार अली ने बताया कि उनका परिवार 30 सालों से रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले बनाकर पुण्य का काम कर रहा है. साथ ही दो जून की रोटी भी कमा लेते हैं. इंतजार अली के मुताबिक वे दशहरे से एक महीने पहले इन पुतलों को बनाना शुरू करते हैं. जिसमें 8 कुशल कारीगर कड़ी मेहनत और लगन से सुंदर एवं बड़े-बड़े पुतलों को बना रहे हैं. सहारनपुर के गांधी पार्क मैदान में करीब 100 फ़ीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है. इस पुतले की खास बात ये रहती है कि यह पुतला हंसता हुआ और बोलता हुआ भी प्रतीत होता है. जो दशहरे के पर्व पर रामलीला देखने आए दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

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अन्य शहरों में भी है इन पुतलों की मांग

हंसने-बोलने की वजह से इन पुतलों की मांग अन्य शहरों में भी होने लगी है. जिसके चलते इंतजार के परिवार के सदस्य 10 टीमों के साथ करनाल, जालंधर, रुड़की, चण्डीगढ़ समेत 12 शहरों में रावण के हंसने बोलने वाले पुतले बना रहे हैं. एक महीने से घर बार छोड़ कर परिवार के सभी पुरुष रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने में लगे हुए हैं. मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाये गए इन पुतलों की भव्यता और सुंदरता हर किसी को आकर्षित कर रही है.

Intro:सहारनपुर : बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का त्यौहार मनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है। जहां भगवान राम की लीलाओं का मंचन अंतिम दौर में चल रहा है वहीं दशहरे दिन जलाए जाने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले भी बनाये जा रहे है। सहारनपुर की बात करे तो यहां एक मुस्लिम परिवार कई पीढ़ियों से इन पुतलों को बनाते आ रहे है। मुजफ्फरनगर के चरथावल निवासी इंतजार अली 30 सालों से रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले बनाकर हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल कायम कर रहे है। इन पुतलों की खास बात ये है कि ये पुतले हंसते और बोलते भी है। जो दशहरे के दिन दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। यही वजह है कि हंसने बोलने वाले रावण के पुतलों की मांग दूसरे शहरों में भी होने लगी है। इंतजार के साथ उनके परिवार के सदस्य अपनी टीमो के साथ दर्जनों शहरों में एक महीने की मेहनत से इन पुतलों मूल रूप देने में लगे हैं।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि एक ओर जहां राजनेता जाति धर्म के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे है वहीं इंतजार अली का परिवार दशहरे के पर्व पर दहन होने वाले रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले बनाकर न सिर्फ साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे है बल्कि कट्टरपंथी लोगो को भी करारा जवाब दिया है। विजयी दशमी दशहरे के अवसर पर भगवान राम इन पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज कर हिन्दू समाज को नई सीख दे रहे है। दशहरे के दिन जहां हिन्दू समाज के लोग रावण दहन के बाद धर्म लाभ उठाते है वहीं पुतले बनाने के वाले ये मुस्लिम कारीगर इन पुतलों को बनाकर रोजी रोटी के साथ पुण्य लाभ कमा रहे है। ईटीवी से बातचीत में इंतजार अली ने बताया कि उनका परिवार 30 सालों से रावण, मेहनाथ एवं कुंभकरण के पुतले बनाकर सबाब का काम कर रहे है। साथ दो जून की रोटी भी कमा लेते हैं।

इंतजार अली के मुताबिक वे दशहरे से एक महीने पहले इन पुतलों को बनाना शुरू करते है। 8 कुशल कारीगर कड़ी मेहनत और लगन से सुंदर एवं बड़े बड़े पुतलों को अंजाम दे रहे है। सहारनपुर के गांधी पार्क मैदान में करीब 100 फ़ीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है। इस पुतले की खास बात ये रहती है कि यह पुतला हंसता तो है ही बोलता भी है। जो दशहरे पर्व पर रामलीला देखने आए दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

हंसने बोलने की वजह से इन पुतलों की मांग अन्य शहरों में भी होने लगी है। जिसके चलते इंतजार के परिवार के सदस्य 10 टीमो के साथ करनाल, जालंधर, रुड़की, चण्डीगढ़ समेत दर्जन भर शहरों में रावण के हंसने बोलने वाले पुतले बना रही है। एक महीने से घर बार छोड़ के परिवार के सभी पुरुष रावण, मेघनाथ और रावण के पुतले बनाने में लगे हुए है। मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाये गए इन पुतलों भव्य और सुंदरता हर किसी को आकर्षित कर रही है।

ईटीवी से बातचीत में इंतजार अली ने बताया कि दशहरे के दिन भगवान राम के हाथों इन पुतलों का दहन किया जाता है। उस वक्त उन्हें बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी तो होती ही है साथ ही मन को अच्छा सकून भी मिलता है। इस मुस्लिम परिवार द्वारा दशहरे के पर्व पर रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले जहां सभी धर्मों के लोगो को भाई चारे का संदेश दे रहे है वहीं धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओ और धर्म के ठेकेदारों के लिए नशियत भी पेश कर रहे है।


बाईट - इंतजार अली ( रावण बनाने वाले मुस्लिम कारीगर )



Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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