सहारनपुर: जिले में जहां एक तरफ लोग लॉकडाउन के चलते बिना कमाई के एक-एक पैसे को मोहताज हैं, वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल मजबूर लोगों से डिलीवरी के नाम पर अवैध वसूली करने में जुटा है. सरकार का दावा है, कि लॉकडाउन की स्थिति में वो बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे रही है. लेकिन सहारनपुर जिले के महिला जिला अस्पताल में स्टाफ बिना किसी डर के वसूली करने में जुटे हुए हैं.
डिलीवरी के नाम पर हो रही अवैध वसूली
महिला अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ डिलीवरी के नाम पर मरीजों के परिजनों से मोटी रकम वसूल रहे हैं. ऑपरेशन और नॉर्मल डिलीवरी के लिए हजारों रुपये वसूले जा रहे हैं. इतना ही नहीं, यहां पर डिलीवरी के बाद मुह मांगी कीमत नहीं देने पर बच्चा नहीं देने की धमकी दी जा रही है. वहीं लॉक डाउन में फंसे हरियाणा के गरीब दंपति से डिलीवरी के बाद तीन हजार रुपये की मांग की गई. बमुश्किल 1500 रुपये में किसी तरह से परिजनों को नर्सों ने बच्चा सौंपा. यहां एक दो नहीं बल्कि आने वाली सभी महिलाओं से उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर मुंह मांगी कीमत वसूली जा रही है
कोरोना वायरस के चलते सहारनपुर में फंसे दंपति
आपको बता दें, कि हरियाणा से एक महिला सहारनपुर अपने मायके आई हुई थी. 21 मार्च को उसका पति उसको ले जाने के लिए आया ही था कि 22 मार्च को कोरोना वायरस के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया, जिससे वह भी यहीं फंस गया. सोमवार की देर रात गर्भवती महिला को लेबर पेन के बाद परिजन महिला अस्पताल लेकर पहुंचे. पति रजत ने बताया, कि रात में अस्पताल स्टाफ ने दुर्व्यवहार किया. लाख विनती के बाद महिला को भर्ती तो कर लिया लेकिन डॉक्टर और नर्स पैसों की मांग करने लगे.
पैसे दिए बिना बच्चों को नहीं सौंपते डॉक्टर
कई घंटों के बाद लेबर रूम में महिला ने बेटे को जन्म दिया. जिसके बाद मानों डॉक्टरों की लॉटरी निकल गई हो, उन्होंने बच्चा देने की एवज में 3000 रुपये की मांग की. पैसे नहीं देने पर बच्चे को नहीं देने का दबाव बनाने लगे. सौदेबाजी कर जेब में पड़े 1500 रुपये अस्पताल स्टाफ ने वसूल लिये. जेब खाली होने पर महिला का पति पूरी तरह मजबूर हो गया उसके पास घर जाने तक की पैसे नहीं बचे. जिसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने पीड़ित दंपति को अपनी गाड़ी से उनके घर तक छोड़ा
इस काले कारनामे में सीएमएस डॉ. अनिता जोशी भी शामिल
वहीं अस्पताल में आए कई और दंपतियों का कहना है, कि लेबर रूम से पैसे लिए बिना बच्चे को नहीं दिया जाता है. आलम यह है कि लड़की होने पर भी कम से कम 1100 रुपये लिये जा रहे है. नाम पहचान छिपाने की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मचारी ने पूरी जानकारी देते हुए बताया, कि डॉक्टरों के इस कारनामे में महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अनिता जोशी भी शामिल है. उन्हीं के इशारे पर खुलेआम मोटी रकम वसूली जा रही है.