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जानें, गर्मी के प्रकोप से बचने के उपाय और उपचार

गर्मी के बढ़ते प्रकोप और हीट स्ट्रोक से बचाव को लेकर डॉक्टर सजगता बरतने की सलाह दे रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जितना भी हो सके उतना हीट स्ट्रोक से बचने का प्रयास करें.

गर्मी से बचाव के उपाय के बारे में बताते डॉक्टर.
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Published : May 8, 2019, 12:12 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: जिले में भीषण गर्मी के चलते बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी परेशान हैं. गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए डॉक्टर सावधानी बरतने के साथ गर्मी में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और धूप में मुंह और सिर पर कपड़ा बांध कर बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए आरसीएच प्रभारी डॉ. एनसी कर्त्वान ने गर्मी में चलने वाली लू के बारे में पूरी जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने इसके लक्षण, उपाय और उपचार के बारे में बताया.

इन बातों को ध्यान में रखकर बच सकते हैं गर्मी और लू से

हीट स्ट्रोक के लक्षण
⦁ त्वचा का गर्म, लाल और शुष्क होना, पसीना न आना और तेज पल्स होना.
⦁ सिरदर्द, मितली, थकान, कमजोरी और चक्कर आना.
⦁ मूत्र में कमी होना.

क्या करें/क्या न करें
⦁ अधिक से अधिक पानी पीयें.
⦁ पसीना सोखने वाले पतले व हल्के रंग के वस्त्र ही पहने.
⦁ तेज धूप में निकलने से बचे, अगर धूप में निकलना जरूरी है, तो निकलते वक्त छाता लगा लें, टोपी पहन लें और ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे.
⦁ यदि खुले में कार्य करते हैं तो सिर, चेहरा, हाथ-पैर को गीले कपडे से ढके रहें.
⦁ यात्रा करते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी रखें.
⦁ घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, नीबू-पानी, छाछ, ORS आदि का उपयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके.
⦁ यदि मूर्छा या बीमारी का अनुभव करते हैं, तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह लें.
⦁ अपने घरों को ठंडा रखें, दरवाजे और खिडकियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है.
⦁ श्रमसाध्य कार्यो को ठंडे समय मे करने का प्रयास करें.
⦁ कार्यस्थल पर पीने के ठंडे पानी की व्यवस्था करें.
⦁ बासी भोजन अथवा खुले में बिकने वाले पेय पदार्थों के प्रयोग से बचें.

हीट-स्ट्रोक का फर्स्ट एड
⦁ शरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित करने का प्रयास करें.
⦁ मरीज को ठण्डी जगह पर रखें.
⦁ मरीज को ठण्डी हवा दें और उसके शरीर को स्पंज अथवा गीले कपडे से पोछें.
⦁ मरीज को ठण्डे पानी के टब में रखें.
⦁ उसके ऊपर तब तक बर्फ की पट्टी रखें जब तक उसके शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट तक न हो जाए.

सहारनपुर: जिले में भीषण गर्मी के चलते बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी परेशान हैं. गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए डॉक्टर सावधानी बरतने के साथ गर्मी में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और धूप में मुंह और सिर पर कपड़ा बांध कर बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए आरसीएच प्रभारी डॉ. एनसी कर्त्वान ने गर्मी में चलने वाली लू के बारे में पूरी जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने इसके लक्षण, उपाय और उपचार के बारे में बताया.

इन बातों को ध्यान में रखकर बच सकते हैं गर्मी और लू से

हीट स्ट्रोक के लक्षण
⦁ त्वचा का गर्म, लाल और शुष्क होना, पसीना न आना और तेज पल्स होना.
⦁ सिरदर्द, मितली, थकान, कमजोरी और चक्कर आना.
⦁ मूत्र में कमी होना.

क्या करें/क्या न करें
⦁ अधिक से अधिक पानी पीयें.
⦁ पसीना सोखने वाले पतले व हल्के रंग के वस्त्र ही पहने.
⦁ तेज धूप में निकलने से बचे, अगर धूप में निकलना जरूरी है, तो निकलते वक्त छाता लगा लें, टोपी पहन लें और ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे.
⦁ यदि खुले में कार्य करते हैं तो सिर, चेहरा, हाथ-पैर को गीले कपडे से ढके रहें.
⦁ यात्रा करते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी रखें.
⦁ घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, नीबू-पानी, छाछ, ORS आदि का उपयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके.
⦁ यदि मूर्छा या बीमारी का अनुभव करते हैं, तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह लें.
⦁ अपने घरों को ठंडा रखें, दरवाजे और खिडकियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है.
⦁ श्रमसाध्य कार्यो को ठंडे समय मे करने का प्रयास करें.
⦁ कार्यस्थल पर पीने के ठंडे पानी की व्यवस्था करें.
⦁ बासी भोजन अथवा खुले में बिकने वाले पेय पदार्थों के प्रयोग से बचें.

हीट-स्ट्रोक का फर्स्ट एड
⦁ शरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित करने का प्रयास करें.
⦁ मरीज को ठण्डी जगह पर रखें.
⦁ मरीज को ठण्डी हवा दें और उसके शरीर को स्पंज अथवा गीले कपडे से पोछें.
⦁ मरीज को ठण्डे पानी के टब में रखें.
⦁ उसके ऊपर तब तक बर्फ की पट्टी रखें जब तक उसके शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट तक न हो जाए.

Intro:सहारनपुर : मई का महीना आते ही भीषण गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सूर्य देवता जहां आसमान से आग बरसाने लगे हैं वहीं लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। भीषण गर्मी से बच्चे तो बच्चे बड़े बुजुर्ग भी परेशान हो रहे हैं। आलम यह है कि दोपहर के वक़्त आमजन के लिए घरो से बाहर के काम करना तो दूर धूप में निकलने के नाम से भी सिर चकराने लगता है। गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए डॉक्टर सावधानी बरतने के साथ गर्मी में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और धूप में मुंह और सिर पर कपड़ा बांध कर बाहर निकलने की सलाह दे रहे है। डॉ एनसी कर्त्वान ने बताया कि गर्मी के दिनों में बाहर निकलने से पहले न सिर्फ पानी पियें बल्कि अपने साथ भी पानी लेकर चले। लू लगने से जहां बच्चो में डायरिया और बुखार हो जाता है वही महिला पुरुष भी बीमार हो जाते है। डॉक्टर के मुताबिक सरकारी अस्पतालों से ORS का घोल पीकर भी गर्मी से होने वाली बीमारी से बचा जा सकता है। इसके अलावा डॉ एनसी कर्त्वान ने गर्मी से होने वाली बीमारियों के लक्षण और उपाय भी बताए है।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि इन दिनों जहां सूरज आसमान से आग उगल रहा है वहीं गर्मी अपने शबाब पर है। गर्मी के आगे बच्चे तो बच्चे बड़े बुजुर्ग भी नतमस्तक हो रहे है। लू के थपेड़े घर से बाहर निकलते ही अपना कहर बरपाने लगी है। ऐसे में जनमानस में लू के प्रकोप से बचाव के प्रति जन जागरूकता अतिआवष्यक है। गर्मी दिन प्रतिदिन गर्मी बढ रही है ऐसे में बच्चो तथा उम्रदराज व्यक्तियों के सेहत का ध्यान रखना बेहत जरूरी है। इटीवी से बातचीत में आरसीएच प्रभारी डॉ एनसी कर्त्वान ने बताया कि सभी दोपहर में घर से बाहर कम निकले जिससे लू के प्रभाव से बचा जा सकें। हीट वेव (लू) के कारण शरीर की कार्य-प्रणाली प्रभावित हो जाती है जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसलिये  इससे बचाव बहुत ही जरूरी है। थोडी सी सावधानी को अपनाकर इससे बचाव किया जा सकता है। संक्रामक रोग/लू प्रकोप रोग की रोकथाम हेतु आवष्यक औशधि प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ORS के घोल पीकर लू से बचा जा सकता है। इसके आल्वा अउन्होने सलाह दी है कि ज्यादा टेक धूप में निकलने से पहले सिर और मुह पर कपड़ा लपेट कर ही बाहर निकले। जिससे लू के थपेडों से बचा जा सके। इसके अलावा उन्होंने बचाव के उपाय और सावधानी रखनी की भी सलाह दी है।

लू प्रकोप से बचाव हेतु

 हीट स्ट्रोक के लक्षण-

1.         गर्म, लाल ,षुश्क त्वचा का होना, पसीना न आना। तेज पल्स होना। (नाडी गति तेज होना)

2.         उथले ष्वास गति में तेजी।

3.         व्यवहार मेें परिवर्तन, भ्रम की स्थिति।

4.         सिरदर्द, मतली, थकान ओर कमजोरी होना, चक्कर आना।

5.         मूत्र ना होना अथवा इसमें कमी।

6.         उपरोक्त लक्षण होने पर प्रभावित व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में ले जा कर चिकित्सीय परामर्ष ले।

क्या करें/क्या न करें

1.         अधिक से अधिक पानी पीयें।

2.         पसीना सोखने वाले पतले व हल्के रंग के वस्त्र ही पहने।

3.         तेज धूप में निकलने से बचे, अगर तेज धूप में निकलना जरूरी हेै तो निकलते वक्त छाता लगा लें या टोपी पहन ले एवं ऐसे कपडे जिससे षरीर अधिक से अधिक ढका रहे।

4.         यदि आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ-पैरों को गीले कपडें से ढके रहे और यदि सम्भव हो तो छाते  का उपयोग करें।

5.         यात्रा करते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी रख्ेा।

6.         ओआरएस घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (मांड), नीबू-पानी, छाछ आदि का उपयोग करें। ताकि षरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।

7.         यदि मूर्छा या बीमारी का अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह से उपचार लें।

8.         घरेलू/पालतू जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें और उन्हे पर्याप्त मात्रा में पानी पीने को दें।

9.         अपने घरों को ठंडा रखें, दरवाजे व खिडकियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है । सायंकाल व प्रातः के समय घर के दरवाजे खिडकियों को खोलकर रखें ताकि कमरें ठंडें रहे।

10.         श्रमसाध्य कार्यो को ठंडे समय मे करने/कराने की प्रयास करें। कार्यस्थल पर पीने के ठंडें पानी की व्यवस्था करें। कर्मियों को सीधी सूर्य की रोषनी से बचने हेतु सावधान करे।

11.         पंखे,गीले कपडों का उपयोग करें तथा स्नान करे।

12.         गर्भस्थ महिलाओं, छोटे षिषुओं व बडी उम्र के लोगों की विषेश देखभाल करें।

13.         चाय, काॅफी पीने से परहेज करें।

14.         बासी भोजन अथवा खुले बिकने वाला गन्ने/अन्य फलों का रस, कटे फल, ख्ुाली तली-भुनी खाद्य वस्तुये एवं प्लास्टिक के पाउच मेें बिकने वाले पेयजला एवं खाद्य पदार्थ के प्रयोग ना करें।

15.         यदि सम्भव हो तो दोपहर 11.00 बजे से अपरान्ह 4.00 के मध्य धूप में निकलने से बचे।

16.         गहरे रंग के भारी तथा तंग कपडे न पहनें।

17.         जब बाहर का तापमान अधिक हो तो श्रमसाध्य कार्य न करेें।

हीट-स्ट्रोेक का उपचार तथा फस्र्ट-एड-

1.         मनुश्य के षरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित कर 100 डिग्री फा0 तक रखने का प्रयास करेें।

2.         मरीज को ठण्डी जगह में रखें।

3.         मरीज को ठण्डी हवा करें तथा उसके षरीर को स्पंज अथवा गीले कपडे से पोछें।

4.         मरीज को ठण्डे पानी के टब में रखे अथवा उसके ऊपर बर्फ की पट्टी रखें जब तक की उसका तापमान 100 डिग्री फा0 तक न हो जाए।


बाईट - डॉ एनसी कर्त्वान ( प्रभारी आरसीएच )




Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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