सहारनपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के तबलीगी जमात को लेकर दिए गए फैसले का जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने न सिर्फ स्वागत किया है, बल्कि जजों की जमकर सराहना की है. अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मरकज जमातियों पर कोरोना संक्रमण फैलाने के आरोप पर मीडिया पर भड़ास निकालते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है. मौलाना ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले ने उन लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है, जो देश की शांति को भंग करने और देश में शत्रुता फैलाने के प्रयास में लगे थे.
भाईचारे को नष्ट करने का किया गया प्रयास
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि तबलीगी जमात को लेकर जिस तरह से मीडिया ने देश के सामाजिक ताने-बाने और भाईचारे को नष्ट करने का प्रयास किया था, यह फैसला उनके मुंह पर एक तमाचा है. आशा है कि वह अदालत के इस फैसले से सीख लेंगे और गांधी के देश में शत्रुता की जगह प्यार और मोहब्बत को बढ़ाने का प्रयास करेंगे. बता दें कि मार्च महीने में कोरोना वायरस संक्रमण सबसे ज्यादा मरकज जमात से निकले जमातियों में पाया गया था. देशी-विदेशी हजारों कोरोना पॉजिटिव जमाती गुपचुप तरीके से देश के विभिन्न हिस्सों में पकड़े गए थे, जिसके बाद शासन-प्रशासन ने विदेशी जमातियों सहित हजारों लोगों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज किए थे.
सरकार पर साधा निशाना
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद डिवीजन बेंच के फैसले के बाद भी अगर मीडिया की विभाजनकारी नीतियों और भारत की एकता और सभ्यता को नष्ट करने के प्रयासों पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह देश की एकता के लिए घातक होगा. मीडिया की विभाजनकारी नीतियों पर सरकार की खामोशी उसके समर्थन की पुष्टि कर रही है.
क्या कहा बॉम्बे हाईकोर्ट ने
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली आने वाले विदेशियों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बहुत बड़ा प्रोपेगेंडा किया गया. एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास हुआ, जिसमें इस बात को बताया गया कि यह विदेशी कोविड-19 इंफेक्शन के जिम्मेदार हैं. अदालत ने यह भी कहा कि भारत में इंफेक्शन से संबंधित हालिया आंकड़ों से ज्ञात होता है कि उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए थी. विदेशियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की भरपाई के लिए पॉजिटिव स्टेप उठाए जाने की जरूरत है.
जस्टिस टीवी नलवाडे और जस्टिस एमजी सेवलिकर की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ऐसा मालूम होता है कि राज्य सरकार ने सियासी मजबूरी के तहत काम किया और पुलिस ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का खुलकर स्वागत करती है और विदेशी मेहमानों के खिलाफ हुई कार्रवाई को वापस लेने की मांग करती है.