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सहारनपुर: महाभारत काल से भी पुराना है ग्यारहमुखी महादेव मंदिर - sawan news

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ग्यारहमुखी महादेव मन्दिर महाभारत काल से पहले ही स्थापित है. माना जाता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनचाहा फल भी प्राप्त होता है.

ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले स्थित है.
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Published : Jul 22, 2019, 7:33 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: जिले का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पूजा अर्चना की थी. ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आकर जलाभिषेक करके मन की मुराद पाते हैं.

ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है.

क्या है इस मंदिर का इतिहास:

  • नगर का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले का है.
  • अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी.
  • देवबन्द नगर में देवीकुंड स्थित ग्यारहमुखी महादेव मंदिर अपनी अलग ही पहचान रखता है.
  • इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है,अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने वन में भ्रमण किया था.
  • इस मंदिर में एक साथ ग्यारह शिवलिंग के दर्शन होते है, इसीलिए इसे ग्यारहमुखी महादेव मंदिर कहा जाता है.
  • जब इंसान के हाथों चारों तरफ से निराशा लगती है, तब इस मन्दिर में आकर रुद्राभिषेक करने से उसकी निराशा आशा में बदल जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनचाहा फल प्राप्त होता है.

इस मन्दिर में सच्चे मन से की गई सेवा विशेष फलदायी होती है, जब इंसान के हाथ चारों ओर से निराशा लगती है, तब इस मन्दिर में आकर रुद्राभिषेक करने से उसकी निराशा आशा में बदल जाती है. इस मंदिर में आसपास के जिलों से भी लोग भारी संख्या में दर्शन के लिये आते हैं.
आकाश शर्मा, मन्दिर के पुजारी

सहारनपुर: जिले का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है. अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पूजा अर्चना की थी. ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आकर जलाभिषेक करके मन की मुराद पाते हैं.

ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है.

क्या है इस मंदिर का इतिहास:

  • नगर का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले का है.
  • अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी.
  • देवबन्द नगर में देवीकुंड स्थित ग्यारहमुखी महादेव मंदिर अपनी अलग ही पहचान रखता है.
  • इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है,अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने वन में भ्रमण किया था.
  • इस मंदिर में एक साथ ग्यारह शिवलिंग के दर्शन होते है, इसीलिए इसे ग्यारहमुखी महादेव मंदिर कहा जाता है.
  • जब इंसान के हाथों चारों तरफ से निराशा लगती है, तब इस मन्दिर में आकर रुद्राभिषेक करने से उसकी निराशा आशा में बदल जाती है.
  • ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनचाहा फल प्राप्त होता है.

इस मन्दिर में सच्चे मन से की गई सेवा विशेष फलदायी होती है, जब इंसान के हाथ चारों ओर से निराशा लगती है, तब इस मन्दिर में आकर रुद्राभिषेक करने से उसकी निराशा आशा में बदल जाती है. इस मंदिर में आसपास के जिलों से भी लोग भारी संख्या में दर्शन के लिये आते हैं.
आकाश शर्मा, मन्दिर के पुजारी

Intro:नगर का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले स्थित है। अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी। आसपास के इलाके से भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आकर जलाभिषेक करके मन की मुराद पूरी करते है।


Body:नगर का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले स्थित है। अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी। आसपास के इलाके से भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आकर जलाभिषेक करके मन की मुराद पूरी करते है।
देवबन्द नगर में देवीकुंड स्थित ग्यारहमुखी महादेव मंदिर अपनी अलग ही पहचान रखता है। इसका इतिहास महाभारत से जुड़ा है, कहा जाता है कि महाभारत काल मे अज्ञातवास के दौरान जब पांडव वनों में भृमण कर रहे थे तब वे इस देवबन्द नगर ' जो पहले देवीवन के नाम से जाना जाता है, में आये थे। उन्होंने इस प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना की थी। इस मंदिर में एक साथ ग्यारह शिवलिंग के दर्शन होते है। इस तरह के मंदिर अब देखने को नही मिलते है। इस लिहाज से भी यह मंदिर हमे इतिहास का बोध कराता है। मन्दिर के पुजारी पंडित आकाश शर्मा का कहना है कि इस मन्दिर में सच्चे मन से की गई सेवा विशेष फलदायी होती है।जब इंसान के हाथ चारो ओर से निराशा लगती है, तव इस मन्दिर में आकर रुद्राभिषेक करने से उसकी निराशा आशा में बदल जाती है। इस मंदिर में आसपास के जिलों से भी लोग भारी मात्रा में दर्शनों को आते है।


Conclusion:नगर का प्राचीन ग्यारहमुखी महादेव मंदिर महाभारत काल से भी पहले स्थित है। अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने भी यहाँ पूजा अर्चना की थी। हर तरफ से निराश व्यक्ति यदि सच्चे मन से ग्यारहमुखी महादेव की सेवा करता है तो उसकी निराशा आशा में बदल जाती है। आसपास के इलाके से भारी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पर आकर जलाभिषेक करके मन की मुराद पूरी करते है।

बलवीर सैनी
देवबन्द, सहारनपुर
मोबाइल 9319488130
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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