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राजनीति की भेंट चढ़ गया सहारनपुर का राजकीय स्पोर्ट्स कॉलेज, पढ़ें पूरी रिपोर्ट - सहारनपुर ताजा खबर

यूपी के सहारनपुर में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद स्पोर्ट्स कॉलेज अधूरा पड़ा है. 2011 में बसपा सरकार ने 86 करोड़ से ज्यादा के बजट से प्रस्तावित स्पोर्ट्स कॉलेज का निर्माण कार्य तो शुरू किया, लेकिन 2012 में सपा सरकार ने काम रुकवा दिया. ऐसे में जिले का स्पोर्ट्स कॉलेज राजनीति की भेट चढ़ गया.

राजनीति की भेंट चढ़ गया सहारनपुर का राजकीय स्पोर्ट्स कॉलेज
राजनीति की भेंट चढ़ गया सहारनपुर का राजकीय स्पोर्ट्स कॉलेज.
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Published : Oct 3, 2020, 7:09 AM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां केंद्र के मोदी सरकार खेल एवं खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के दावे कर रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कई सालों से अधूरा पड़ा राजकीय स्पोर्टस कॉलेज न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोल रहा है, बल्कि बजट के इंतजार में बदहाली के आंसू बहा रहा है. 2011 में बसपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा 86 करोड़ से ज्यादा के बजट से प्रस्तावित स्पोर्ट्स कॉलेज का निर्माण कार्य तो शुरू किया गया, लेकिन 2012 में समाजवादी सरकार ने बरसाती नदी में बाढ़ का बहाना कर काम रुकवा दिया. 20 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाने के बाद भी बड़ा प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

जानकारी के मुताबिक, जमीन को खेल विभाग को हैंडओवर किए बिना ही काम शुरू कर दिया गया था. जिससे कॉलेज निर्माण में पेंच फंस गया था, लेकिन जनप्रतिनिधि स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण में आई रुकावट का मुख्य कारण राजनीति होना बता रहे हैं. जहां सपा विधायक बीजेपी सरकार और अधिकारियों पर रुकावट लाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि राज्य निर्माण निगम अधिकारी स्पोर्ट्स कॉलेज बरसाती नदी किनारे होने की वजह से बाढ़ के कारण रुकावट आने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

'2011 में बसपा सरकार ने दी थी मंजूरी'
2011 में बसपा सरकार आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर तहसील बेहट इलाके के गांव शेरुल्लागढ़ के जंगल में न सिर्फ स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए जमीन तलाश की, बल्कि स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की मंजूरी देकर 22 करोड़ रुपये जारी कर दिए. इसके बाद राज्य निर्माण निगम ने स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण कार्य शुरू कर दिया. बरसाती नदी किनारे कॉलेज की बाउंड्री कर हॉस्टल और दफ्तर के लिए भवन और पीने के पानी की टंकी बना दी गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहला राजकीय स्पोर्ट्स कॉलेज खुलने की खबर से उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड के युवाओं को भी अपनी प्रतिभा दिखाने की उम्मीद जगी थी. सब कुछ तेजी के साथ सही चल रहा था. इसी बीच 2012 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार ने पूर्व की बसपा सरकार द्वारा घोषित योजनाओं और प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. ऐसे में सहारनपुर का स्पोर्ट्स कॉलेज भी राजनीति का शिकार हो गया. बरसाती नदी में पानी आने से बाढ़ का खतरा बताकर अधिकारियों ने भी कॉलेज निर्माण में बड़ा खेल कर दिया.

खंडहर में तब्दील स्पोर्ट्स कॉलेज
खंडहर में तब्दील स्पोर्ट्स कॉलेज.

'करोड़ों की लागत से बना भवन हो गया खंडहर'
ईटीवी भारत की टीम ने अधूरे पड़े स्पोर्ट्स कॉलेज का जायजा लिया, जहां खिलाड़ियों की जगह मवेशी चरते दिखाई दिए. वहीं स्विमिंग पुल की जगह भी भैंसे तालाब में नहाती मिलीं. खेल मैदान में जंगल और कंटीले पेड़ लगे हुए हैं. चारों ओर ऊबड़-खाबड़ मैदान में घास फूंस और कबाड़ उगा हुआ है. करोड़ों की लागत से बनाए गए भवन खंडहर हो चुके हैं. लोहे की खिड़कियों और चौखटें जंग खा रही हैं. सबसे खास बात तो ये है कि दिल्ली यमुनोत्री हाइवे से स्पोर्ट्स कॉलेज तक जाने के लिए कोई रास्ता भी नहीं है. बरसाती नदी के रेत से होकर कॉलेज परिसर तक पहुंचना पड़ता है. अब ऐसे सरकारें आई और गईं, लेकिन किसी ने स्पोर्ट्स कॉलेज बनाना तो दूर नदी के बीच रास्ता बनाने की भी जरूरत नहीं समझी.

स्पोर्ट्स कॉलेज के तालाब में नहाती भैंसे.
स्पोर्ट्स कॉलेज के तालाब में नहाती भैंसे.

'सपा बसपा की आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया स्पॉटर्स कॉलेज'
स्थानीय विधायक नरेश सैनी ने बताया कि जैसे-तैसे मायावती सरकार ने सहारनपुर की बेहट विधानसभा क्षेत्र में स्पॉटर्स कॉलेज बनाने की मंजूरी दी थी. इसके लिए बाकायदा 86 करोड़ रुपये का बजट जारी कर जल्द कॉलेज तैयार करने के निर्देश दिए थे. लेकिन 2012 में सपा की अखिलेश सरकार आई तो यह कॉलेज सपा-बसपा की आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया. विधानसभा में कई बार सवाल उठाने के बाद पैसा रिलीज हुआ, लेकिन राजनीतिक कारणों से वापस चला गया. अगर समय रहते यह स्पोर्ट्स कॉलेज शुरू हो जाता तो अब तक सहारनपुर और आसपास के इलाकों के कई खिलाड़ी नेशनल ही नहीं, इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन करते. लेकिन अधिकारियों की नीतियों के चलते दोबारा आया पैसा भी वापस चला गया, सब कुछ कागजों में हो रहा है. धरातल पर कुछ नहीं है. ऐसे में युवाओं के साथ धोखा किया जा रहा है.

सपा विधायक ने अधिकारियों पर लगाया आरोप
वहीं इस पर सपा विधायक संजय गर्ग का कहना है कि 2011 में गोरखपुर के बाद सहारनपुर में लंबे समय से स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की मांग की जा रही थी. इसके बाद कॉलेज को बसपा सरकार ने खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए स्पोर्ट्स कॉलेज देने का काम किया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद सरकार की नीतियां और लक्ष्य भी बदल गए. या यूं कहें कि प्रशासनिक अधिकारियों और व्यवस्था की भेंट चढ़ गया. अधिकारियों ने बरसात के मौसम में नदी किनारे बने कॉलेज परिसर में बाढ़ की आशंका जताई और निर्माण कार्य को रुकवा दिया. सपा विधायक का आरोप है अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को दी जा जाने वाली सौगात पर अड़ंगा लगाया है. उच्च स्तर से कई बार जांच हुई और जांच में शेरुल्लागढ़ गांव में ही स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की बात कही गई, लेकिन इसके बाद भी बाद करोड़ों की लागत से बना कॉलेज अधूरा पड़ा हुआ है.

2010-11 में इस प्रोजेक्ट पर का काम शुरू किया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए 86 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी, लेकिन बाढ़ आने की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने काम रोक दिया था. पिछले दिनों मंडलायुक्त के नेतृत्व में अधूरे पड़े कॉलेज का निरीक्षण किया गया था. इसके बाद बाढ़ से सुरक्षा के उपाय बताते हुए निर्माण कार्य को पुन: प्रांरभ करने के निर्देश दिए थे. शासन को निरीक्षण आख्या और एस्टीमेट पहुंच चुका है. इसके बाद सरकार ने स्पोर्ट्स कॉलेज प्रकरण को गंभीरता से लिया है. सरकारी आदेश आते ही राज्य निर्माण निगम वहां काम शुरू कर देगा.
-वीके गुप्ता, अधिशासी अभियंता, राज्य निर्माण निगम

सहारनपुर: एक ओर जहां केंद्र के मोदी सरकार खेल एवं खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के दावे कर रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कई सालों से अधूरा पड़ा राजकीय स्पोर्टस कॉलेज न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोल रहा है, बल्कि बजट के इंतजार में बदहाली के आंसू बहा रहा है. 2011 में बसपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा 86 करोड़ से ज्यादा के बजट से प्रस्तावित स्पोर्ट्स कॉलेज का निर्माण कार्य तो शुरू किया गया, लेकिन 2012 में समाजवादी सरकार ने बरसाती नदी में बाढ़ का बहाना कर काम रुकवा दिया. 20 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाने के बाद भी बड़ा प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

जानकारी के मुताबिक, जमीन को खेल विभाग को हैंडओवर किए बिना ही काम शुरू कर दिया गया था. जिससे कॉलेज निर्माण में पेंच फंस गया था, लेकिन जनप्रतिनिधि स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण में आई रुकावट का मुख्य कारण राजनीति होना बता रहे हैं. जहां सपा विधायक बीजेपी सरकार और अधिकारियों पर रुकावट लाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि राज्य निर्माण निगम अधिकारी स्पोर्ट्स कॉलेज बरसाती नदी किनारे होने की वजह से बाढ़ के कारण रुकावट आने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

'2011 में बसपा सरकार ने दी थी मंजूरी'
2011 में बसपा सरकार आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर तहसील बेहट इलाके के गांव शेरुल्लागढ़ के जंगल में न सिर्फ स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए जमीन तलाश की, बल्कि स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की मंजूरी देकर 22 करोड़ रुपये जारी कर दिए. इसके बाद राज्य निर्माण निगम ने स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण कार्य शुरू कर दिया. बरसाती नदी किनारे कॉलेज की बाउंड्री कर हॉस्टल और दफ्तर के लिए भवन और पीने के पानी की टंकी बना दी गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहला राजकीय स्पोर्ट्स कॉलेज खुलने की खबर से उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड के युवाओं को भी अपनी प्रतिभा दिखाने की उम्मीद जगी थी. सब कुछ तेजी के साथ सही चल रहा था. इसी बीच 2012 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उनकी सरकार ने पूर्व की बसपा सरकार द्वारा घोषित योजनाओं और प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. ऐसे में सहारनपुर का स्पोर्ट्स कॉलेज भी राजनीति का शिकार हो गया. बरसाती नदी में पानी आने से बाढ़ का खतरा बताकर अधिकारियों ने भी कॉलेज निर्माण में बड़ा खेल कर दिया.

खंडहर में तब्दील स्पोर्ट्स कॉलेज
खंडहर में तब्दील स्पोर्ट्स कॉलेज.

'करोड़ों की लागत से बना भवन हो गया खंडहर'
ईटीवी भारत की टीम ने अधूरे पड़े स्पोर्ट्स कॉलेज का जायजा लिया, जहां खिलाड़ियों की जगह मवेशी चरते दिखाई दिए. वहीं स्विमिंग पुल की जगह भी भैंसे तालाब में नहाती मिलीं. खेल मैदान में जंगल और कंटीले पेड़ लगे हुए हैं. चारों ओर ऊबड़-खाबड़ मैदान में घास फूंस और कबाड़ उगा हुआ है. करोड़ों की लागत से बनाए गए भवन खंडहर हो चुके हैं. लोहे की खिड़कियों और चौखटें जंग खा रही हैं. सबसे खास बात तो ये है कि दिल्ली यमुनोत्री हाइवे से स्पोर्ट्स कॉलेज तक जाने के लिए कोई रास्ता भी नहीं है. बरसाती नदी के रेत से होकर कॉलेज परिसर तक पहुंचना पड़ता है. अब ऐसे सरकारें आई और गईं, लेकिन किसी ने स्पोर्ट्स कॉलेज बनाना तो दूर नदी के बीच रास्ता बनाने की भी जरूरत नहीं समझी.

स्पोर्ट्स कॉलेज के तालाब में नहाती भैंसे.
स्पोर्ट्स कॉलेज के तालाब में नहाती भैंसे.

'सपा बसपा की आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया स्पॉटर्स कॉलेज'
स्थानीय विधायक नरेश सैनी ने बताया कि जैसे-तैसे मायावती सरकार ने सहारनपुर की बेहट विधानसभा क्षेत्र में स्पॉटर्स कॉलेज बनाने की मंजूरी दी थी. इसके लिए बाकायदा 86 करोड़ रुपये का बजट जारी कर जल्द कॉलेज तैयार करने के निर्देश दिए थे. लेकिन 2012 में सपा की अखिलेश सरकार आई तो यह कॉलेज सपा-बसपा की आपसी राजनीति की भेंट चढ़ गया. विधानसभा में कई बार सवाल उठाने के बाद पैसा रिलीज हुआ, लेकिन राजनीतिक कारणों से वापस चला गया. अगर समय रहते यह स्पोर्ट्स कॉलेज शुरू हो जाता तो अब तक सहारनपुर और आसपास के इलाकों के कई खिलाड़ी नेशनल ही नहीं, इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन करते. लेकिन अधिकारियों की नीतियों के चलते दोबारा आया पैसा भी वापस चला गया, सब कुछ कागजों में हो रहा है. धरातल पर कुछ नहीं है. ऐसे में युवाओं के साथ धोखा किया जा रहा है.

सपा विधायक ने अधिकारियों पर लगाया आरोप
वहीं इस पर सपा विधायक संजय गर्ग का कहना है कि 2011 में गोरखपुर के बाद सहारनपुर में लंबे समय से स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की मांग की जा रही थी. इसके बाद कॉलेज को बसपा सरकार ने खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए स्पोर्ट्स कॉलेज देने का काम किया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद सरकार की नीतियां और लक्ष्य भी बदल गए. या यूं कहें कि प्रशासनिक अधिकारियों और व्यवस्था की भेंट चढ़ गया. अधिकारियों ने बरसात के मौसम में नदी किनारे बने कॉलेज परिसर में बाढ़ की आशंका जताई और निर्माण कार्य को रुकवा दिया. सपा विधायक का आरोप है अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को दी जा जाने वाली सौगात पर अड़ंगा लगाया है. उच्च स्तर से कई बार जांच हुई और जांच में शेरुल्लागढ़ गांव में ही स्पोर्ट्स कॉलेज बनाने की बात कही गई, लेकिन इसके बाद भी बाद करोड़ों की लागत से बना कॉलेज अधूरा पड़ा हुआ है.

2010-11 में इस प्रोजेक्ट पर का काम शुरू किया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए 86 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी, लेकिन बाढ़ आने की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों ने काम रोक दिया था. पिछले दिनों मंडलायुक्त के नेतृत्व में अधूरे पड़े कॉलेज का निरीक्षण किया गया था. इसके बाद बाढ़ से सुरक्षा के उपाय बताते हुए निर्माण कार्य को पुन: प्रांरभ करने के निर्देश दिए थे. शासन को निरीक्षण आख्या और एस्टीमेट पहुंच चुका है. इसके बाद सरकार ने स्पोर्ट्स कॉलेज प्रकरण को गंभीरता से लिया है. सरकारी आदेश आते ही राज्य निर्माण निगम वहां काम शुरू कर देगा.
-वीके गुप्ता, अधिशासी अभियंता, राज्य निर्माण निगम

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