सहारनपुर: एक ओर जहां योगी सरकार के गन्ना मंत्री गन्ना किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं चलाने के दावे कर रहे हैं, वहीं सरकार की यह योजनाएं धरातल पर पूरी तरह धराशाही हैं. आलम यह है कि 14 दिनों में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं. चीनी मिलों की मनमानी के चलते किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है.
ईटीवी भारत की टीम गन्ना मंत्री के दावों की पड़ताल करने गन्ना किसानों के बीच पहुंची तो हैरान करने वाला खुलासा सामने आया है. किसान न सिर्फ चीनी मिलों से पर्ची नहीं मिलने पर परेशान हैं, बल्कि बकाया भुगतान न होने से भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
किसानों का कहना है कि भुगतान समय पर नहीं होने से उन्हें घर के खर्च तो दूर बच्चों की फीस और शादी तक करने में दिक्कतें आ रही हैं. किसानों की माने तो मिलों से उनकी फसल का अच्छा दाम तो मिल जाता है, लेकिन समय पर नहीं मिलता. जिससे किसानों के सामने आर्थिक संकट आ गया है. पर्चियां नहीं आने से किसान खेत खाली करके गेहूं और सरसों की फसल की बुवाई भी नहीं कर पाए हैं.
वहीं गन्ना मंत्री सुरेश राणा 85 हजार करोड़ रुपये गन्ने का बकाया भुगतान करने का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा गन्ना पर्ची भिजवाई जा रही है. बावजूद इसके किसानों के हालातों में कोई खास सुधार नहीं देखा जा रहा.
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