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भगत सिंह के भतीजे का सरकार पर आरोप, कहा- नहीं मिला शहीद का दर्जा

भारत सरकार लगातार शहीदों के परिजनों की अनदेखी करती जा रही है. जिससे स्वत्रंत्रता सेनानियों के परिजनों में खासा आक्रोश बना हुआ है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले शहीद भगत सिंह के भतीजे किरनजीत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सरकार ने अभी तक भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया है.

भगत सिंह के भतीजे ने ईटीवी भारत से की बात.
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Published : Aug 18, 2019, 12:08 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में जश्न के साथ मनाया गया. वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकार पर न सिर्फ अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं, बल्कि शहीदों के सपनों का भारत भी ढूंढ रहे हैं. जिले में रह रहे शहीद-ए-आजम भगत सिंह का परिवार सरकार से पूछ रहा है कि कहां है शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत, कहां है देशवासियों की आर्थिक आजादी. ईटीवी भारत से बातचीत में शहीद भगत सिंह के भतीजे सरदार किरनजीत सिंह ने बताया कि सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं देना तो दूर शहीद भगत को शहीद का दर्जा तक नहीं दे पाई है. सरकार आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तक नहीं बना पाई है. जिसके चलते उन्हें और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भारत सरकार से शिकायत रहेगी.

भगत सिंह के भतीजे ने ईटीवी भारत से की बात.

इसे भी पढ़ेंः- कुशीनगर: स्वतत्रंता सेनानी का परिवार झोपड़ी में रहने को मजबूर

शहीद भगत सिंह के भतीजे ने सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का लगाया आरोप
जिस आजादी को आज पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. उसके लिए न जाने कितनी मांओं गोद सुनी हो गई, कितनी बहनों के भाई शहीद हुए और कितनी शुहागिनों की मांग का सिंदूर मिटते देखा है. बावजूद इसके शहीदों के परिजन भारत सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे है. जबकि सरकार शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के दावे कर रही है. शहीद ए आजम भगत के भतीजे ने ईटीवी पर एक्ससीलुसिव इंटरव्यू में न सिर्फ चोकाने वाला खुलासा किया है, बल्कि सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का आरोप लगाया है. जिस परिवार ने अपनी तीन पीढ़ियों को आजादी के लिए कुर्बान कर दिया. आज वहीं परिवार पूछ रहा है कि '' कहां है शहीदे आज़म भगत सिंह के सपनो का भारत वो भारत जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह जैसे अनेको भारत मां के सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी".

शहीद भगत सिंह का सहारनपुर से विशेष नाता
शहीद आजम भगत सिंह का जनपद सहारनपुर से विशेष नाता रहा है. यही वजह है कि उनके छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह सहारनपुर आकर बस गए थे. बताया जाता है कि सरकार भगत सिंह फरारी के समय सहारनपुर आकर रहे थे. उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट पब्लिक एंड एसोशिएशन की एक बम फैक्ट्री यहीं सहारनपुर के एक मोहल्ले में स्थापित थी, जहां सभी क्रांतिकारियों का मिलने का स्थल भी था. भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के बेटे यानी भगत सिंह के भतीजे सरदार कुलतार सिंह ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो गया, लेकिन देश के अंदर बैठे नेताओं, भ्रष्टाचार, गरीबी और आर्थिक रूप से आजादी नहीं मिली है, जिसके चलते आर्थिक आजादी आज भी देश के 40 फीसदी लोगों से कोसों दूर है.

7.5 लाख से अधिक नवयुवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए दिया था बलिदान
सरदार किरनजीत सिंह ने शहीद भगत सिंह के बारे में बताया कि भगत सिंह जी उस लंबी परंपरा का एक हिस्सा थे. जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया. उनके दादाजी से यह परंपरा चली, उनके दोनों चाचा स्वतंत्रता आंदोलन में रहे. सरदार स्वर्ण सिंह के छोटे चाचा 1910 में शहीद हो गए और दूसरे बड़े चाचा सरदार अजीत सिंह 40 साल के निर्वासन के लिए बाहर विदेशों में संघर्ष करते रहे. इतना ही नही ब्रिटिश सरकार ने उनके पिताजी पर 42 मुकदमे चलाए. सरदार भगत सिंह उस परंपरा का एक हिस्सा थे 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 1947 तक 7.5 लाख से अधिक नव युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिए.

इसे भी पढ़ें- हरदोई: परिजनों ने प्रशासन से रखी स्वतंत्रता सेनानी जय देव कपूर की मूर्ति लगाने की मांग

शहीदों के बारे में आज के बच्चों को कुछ नहीं पढ़ाया जाता
उन्होंने बताया कि 1972 में स्वाधीनता सेनानियों को याद किया गया. उससे पहले और उसके बाद उन्हें भुला दिया गया. आज हम पाठ्यक्रमों में देखते हैं कि शहीदों के बारे में बच्चे नहीं जानते. उनके बारे उन्हें कुछ नहीं पढ़ाया जाता और इसके अलावा इस इतिहास को नई पीढ़ी से छुपाकर रखा गया है. जिन मुट्ठी भर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है, उनमें शहीद भगत सिंह और उनके साथी हैं. बहुत से लाखों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद हुए उनके बारे में देश जानता भी नहीं. राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि के अवसर पर कुछ लोगों को बुलाकर महज खानापूर्ति की जाती है. जबकि इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को बुलाकर सम्मान दिया जाना चाहिए.

सरकार ने शहीद भगत सिंह को नहीं दिया शहीद का दर्जा
एक सवाल पर उन्होंने बताया कि आज तक सरकार ने शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा भी नहीं दे पाई है, जो बेहद अफसोस की बात है. भारत सरकार के पास स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सेनानियों की कोई सूची नहीं है. आरटीआई के माध्यम पूछा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह को शहीद और उनके साथी शहीदों की श्रेणी में आते हैं. तो सरकार का जवाब आया कि हमारे पास शहीदों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर शहीदों की सूची सरकार के पास अब तक नहीं है तो अब स्वतंत्रता सेनानियों की सूची बनाने में देरी क्यों की जा रही है. यह सेनानियों के सम्मान की बात है, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा दिया जा सके.

किरनजीत सिंह ने बताया कि अभी देश को और तरक्की की जरूरत है, जिसके लिये व्यवस्था में काफी परिवर्तन होना चाहिये. कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी.

सहारनपुर: एक ओर जहां स्वतंत्रता दिवस पूरे देश में जश्न के साथ मनाया गया. वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकार पर न सिर्फ अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं, बल्कि शहीदों के सपनों का भारत भी ढूंढ रहे हैं. जिले में रह रहे शहीद-ए-आजम भगत सिंह का परिवार सरकार से पूछ रहा है कि कहां है शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत, कहां है देशवासियों की आर्थिक आजादी. ईटीवी भारत से बातचीत में शहीद भगत सिंह के भतीजे सरदार किरनजीत सिंह ने बताया कि सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं देना तो दूर शहीद भगत को शहीद का दर्जा तक नहीं दे पाई है. सरकार आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तक नहीं बना पाई है. जिसके चलते उन्हें और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भारत सरकार से शिकायत रहेगी.

भगत सिंह के भतीजे ने ईटीवी भारत से की बात.

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शहीद भगत सिंह के भतीजे ने सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का लगाया आरोप
जिस आजादी को आज पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. उसके लिए न जाने कितनी मांओं गोद सुनी हो गई, कितनी बहनों के भाई शहीद हुए और कितनी शुहागिनों की मांग का सिंदूर मिटते देखा है. बावजूद इसके शहीदों के परिजन भारत सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे है. जबकि सरकार शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के दावे कर रही है. शहीद ए आजम भगत के भतीजे ने ईटीवी पर एक्ससीलुसिव इंटरव्यू में न सिर्फ चोकाने वाला खुलासा किया है, बल्कि सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का आरोप लगाया है. जिस परिवार ने अपनी तीन पीढ़ियों को आजादी के लिए कुर्बान कर दिया. आज वहीं परिवार पूछ रहा है कि '' कहां है शहीदे आज़म भगत सिंह के सपनो का भारत वो भारत जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह जैसे अनेको भारत मां के सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी".

शहीद भगत सिंह का सहारनपुर से विशेष नाता
शहीद आजम भगत सिंह का जनपद सहारनपुर से विशेष नाता रहा है. यही वजह है कि उनके छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह सहारनपुर आकर बस गए थे. बताया जाता है कि सरकार भगत सिंह फरारी के समय सहारनपुर आकर रहे थे. उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट पब्लिक एंड एसोशिएशन की एक बम फैक्ट्री यहीं सहारनपुर के एक मोहल्ले में स्थापित थी, जहां सभी क्रांतिकारियों का मिलने का स्थल भी था. भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के बेटे यानी भगत सिंह के भतीजे सरदार कुलतार सिंह ने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो गया, लेकिन देश के अंदर बैठे नेताओं, भ्रष्टाचार, गरीबी और आर्थिक रूप से आजादी नहीं मिली है, जिसके चलते आर्थिक आजादी आज भी देश के 40 फीसदी लोगों से कोसों दूर है.

7.5 लाख से अधिक नवयुवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए दिया था बलिदान
सरदार किरनजीत सिंह ने शहीद भगत सिंह के बारे में बताया कि भगत सिंह जी उस लंबी परंपरा का एक हिस्सा थे. जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया. उनके दादाजी से यह परंपरा चली, उनके दोनों चाचा स्वतंत्रता आंदोलन में रहे. सरदार स्वर्ण सिंह के छोटे चाचा 1910 में शहीद हो गए और दूसरे बड़े चाचा सरदार अजीत सिंह 40 साल के निर्वासन के लिए बाहर विदेशों में संघर्ष करते रहे. इतना ही नही ब्रिटिश सरकार ने उनके पिताजी पर 42 मुकदमे चलाए. सरदार भगत सिंह उस परंपरा का एक हिस्सा थे 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 1947 तक 7.5 लाख से अधिक नव युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिए.

इसे भी पढ़ें- हरदोई: परिजनों ने प्रशासन से रखी स्वतंत्रता सेनानी जय देव कपूर की मूर्ति लगाने की मांग

शहीदों के बारे में आज के बच्चों को कुछ नहीं पढ़ाया जाता
उन्होंने बताया कि 1972 में स्वाधीनता सेनानियों को याद किया गया. उससे पहले और उसके बाद उन्हें भुला दिया गया. आज हम पाठ्यक्रमों में देखते हैं कि शहीदों के बारे में बच्चे नहीं जानते. उनके बारे उन्हें कुछ नहीं पढ़ाया जाता और इसके अलावा इस इतिहास को नई पीढ़ी से छुपाकर रखा गया है. जिन मुट्ठी भर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है, उनमें शहीद भगत सिंह और उनके साथी हैं. बहुत से लाखों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद हुए उनके बारे में देश जानता भी नहीं. राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि के अवसर पर कुछ लोगों को बुलाकर महज खानापूर्ति की जाती है. जबकि इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को बुलाकर सम्मान दिया जाना चाहिए.

सरकार ने शहीद भगत सिंह को नहीं दिया शहीद का दर्जा
एक सवाल पर उन्होंने बताया कि आज तक सरकार ने शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा भी नहीं दे पाई है, जो बेहद अफसोस की बात है. भारत सरकार के पास स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सेनानियों की कोई सूची नहीं है. आरटीआई के माध्यम पूछा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह को शहीद और उनके साथी शहीदों की श्रेणी में आते हैं. तो सरकार का जवाब आया कि हमारे पास शहीदों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर शहीदों की सूची सरकार के पास अब तक नहीं है तो अब स्वतंत्रता सेनानियों की सूची बनाने में देरी क्यों की जा रही है. यह सेनानियों के सम्मान की बात है, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा दिया जा सके.

किरनजीत सिंह ने बताया कि अभी देश को और तरक्की की जरूरत है, जिसके लिये व्यवस्था में काफी परिवर्तन होना चाहिये. कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी.

Intro:स्वतंत्रता दिवस स्पेशल

सहारनपुर : एक ओर जहां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरा देश आजादी का जश्न मनाने में जुटा है वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकार पर न सिर्फ अनदेखी का आरोप लगा रहे है बल्कि शहीदों के सपनो का भारत ढूंढ रहे है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रह रहा शहीद ए आज़म भगत सिंह का परिवार सरकार से पूछ रहा है कि कहां है शहीद भगत सिंह के सपनो का भारत? कहां है देशवासियों की आर्थिक आजादी? ईटीवी से बातचीत में शहीद भगत सिंह के भतीजे सरदार किरणजीत सिंह ने बताया कि सरकार स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सुविधाएं देना तो दूर शहीद भगत को शहीद का दर्जा तक नही दे पाई है। ईटीवी पर खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तक नही बना पाई है। जिसके चलते उन्हें और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भारत सरकार से शिकायत रहेगी। वही धारा 370 के सवाल पर भगत सिंह के भतीजे ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सही मायने अब भारत पूरी तरह से आजाद हुआ है।


Body:VO 1 - जिस आजादी को आज पूरा देश धूमधाम से मना रहा है। उसके लिए न जाने कितनी मांओ गोद सुनी हो गई, कितनी बहनों के भाई शहीद हुए और कितनी शुहागिनों की मांग का सिंदूर मिटते देखा है। बावजूद इसके शहीदों के परिजन भारत सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहे है। जबकि सरकार शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के दावे कर रही है। शहीद ए आज़म भगत के भतीजे ने ईटीवी पर एक्ससीलुसिव इंटरव्यू में न सिर्फ चोकाने वाला खुलासा किया है बल्कि सरकार पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की अनदेखी का आरोप लगाया है। जिस परिवार ने अपनी तीन पीढ़ियों को आजादी के लिए कुर्बान कर दिया आज वही परिवार पूछ रहा है कि '' कहां है शहीदे आज़म भगत सिंह के सपनो का भारत वो भारत जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह जैसे अनेको भारत माँ के सपूतो ने अपने प्राणों की आहुति चढ़ा दी"।
आपको बता दें कि शहीद आज़म भगत सिंह का जनपद सहारनपुर से विशेष नाता रहा है। यही वजह है कि उनके छोटे भाई सरदार कुलतार सिंह सहारनपुर आकर बस गए थे। बताया जाता है कि सरकार भगत सिंह फरारी के समय मे सहारनपुर आकर रहे थे। उनकी पार्टी हिंदुस्तान सोशलिस्ट पब्लिक एंड एसोशिएशन की एक बम फेक्ट्री यही सहारनपुर के एक मोहल्ले में स्थापित थी। जहां सभी क्रांतिकारियो का मिलने का स्थल भी था। सहारनपुर में रह रहे सरदार भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह ने ईटीवी को बताया कि आज भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर छोटे से छोटे शहरों में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय झंडा ध्वज जा रहा है। देश भक्ति गीतों पर जश्न आजादी मनाई जा रही है। भगत सिंह के छोटे भाई कुलातर सिंह के बेटे यानी भगत सिंह के भतीजे सरदार कुलतार सिंह ने ईटीवी को दिए इंटरव्यू में बताया कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो गया लेकिन देश के अंदर बैठे नेताओ, भ्रष्टाचार, गरीबी और आर्थिक रूप से आजादी नही मिली है। जिस आज़ाद भारत का  सपना आज़ादी के लिए शहीद होने वाले भारत माता के सपूतो ने खुली आँखों से देखा था। आजादी के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने अंग्रेजो की गोलियां खाई, यातनाएं सही, जेल गए जिसके बाद आजादी का ये दिन देखने को मिला। लेकिन देश को अंग्रेजो की गुलामी से तो आज़ादी मिल गयी लेकिन राजनेताओ ने अपने स्वार्थ  के लिए देश की जनता को जाति , धर्म और भाई चारे में बाँट दिया है। आज देश की जनता को राजनितिक आज़ादी तो मिल है लेकिन आर्थिक आज़ादी आज भी देश के 40 फीसदी लोगो से कोशो दूर है।
सरदार किरणजीत सिंह ने शहीद भगत सिंह के बारे में बताया कि भगत सिंह जी उस लंबी परंपरा का एक हिस्सा थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। उनके दादाजी से यह परंपरा चली, उनके दोनों चाचा स्वतंत्रता आंदोलन में रहे। सरदार स्वर्ण सिंह के छोटे चाचा 1910 में शहीद हो गए और दूसरे बड़े चाचा सरदार अजीत सिंह 40 साल के निर्वासन के लिए बाहर विदेशों में संघर्ष करते रहे। इतना ही नही ब्रिटिश सरकार ने उनके पिताजी पर 42 मुकदमे चलाए। सरदार भगत सिंह उस परंपरा का एक हिस्सा थे 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 1947 तक 7.5 लाख से अधिक नव युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान दिए। उन्होंने बताया कि 1972 में स्वाधीनता सेनानियों को याद किया गया। उससे पहले और उसके बाद उन्हें भुला दिया गया। आज हम पाठ्यक्रमों में देखते हैं कि शहीदों के बारे में बच्चे नहीं जानते। उनके उन्हें कुछ नहीं पढ़ाया जाता और इसके अलावा इस इतिहास को नई पीढ़ी से छुपा के रखा गया है। जिन मुट्ठी भर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है जिनमे शहीद भगत सिंह और उनके साथी हैं। लेकिन बहुत से लाखों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद हुए उनके बारे में देश जानता भी नहीं। राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि के अवसर पर कुछ लोगो को बुलाकर महज खानापूर्ति की जाती है। जबकि इस मौके पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को बुलाकर सम्मान दिया जाना चाहिए। एक सवाल पर उन्होंने बताया कि आज तक सरकार ने शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा भी नही दे पाई है। जो बेहद अफसोस की बात है भारत सरकार के पास स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सेनानियों की कोई सूची नही है। आरटीआई के माध्यम पूछा कि शहीद ए आजम भगत सिंह को शहीद और उनके साथी शहीदो की श्रेणी में आते है। तो सरकार का जवाब आया कि हमारे पास शहीदों का कोई रिकॉर्ड नही है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अगर शहीदों की सूची सरकार के पास अब तक नही है तो अब स्वतंत्रता सेनानियों की सूची बनाने में देरी क्यो की जा रही है। यह सिर्फ सेनानियों के सम्मान की बात है जिससे उन्हें सवैधानिक दर्जा दिया जा सके। हालांकि भगत सिंह करोड़ो देशवासियों के दिलो में शहीद का दर्जा पाए हुये हैं। सरकार भगत सिंह ने कहा था कि जब तक देश मे आर्थिक आजादी नही आएगी, हर मजदूर किसान को उसका हक नही मिलेगा तब तक पूरी आजादी नही आएगी। अभी देश को ओर तरक्की करने की जरूरत है, लेकिन व्यवस्था में बहुत परिवर्तन की जरूरत है। धारा 370 को हटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीर में लागू धारा 370 को हटाया है इसके लिए स्वतंत्रता सेनानी प्रधान मंत्री मोदी की तारीफ करते हुए बधाई दी है।


बाईट - किरनजीत सिंह ( शहीद भगत सिंह का भतीजा )




Conclusion:FVO - हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है आजादी के लिए शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों की याद में देश भक्ति गानों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। शहीदों को याद किया जाता है लेकिन भारत सरकार लगातार शहीदों के परिजनों की अनदेखी करती जा रही है। जिससे स्वत्रंत्रता सेनानियों के परिजनों में खासा आक्रोश बना हुआ है। यही वजह है कि शहीद भगत सिंह के भतीजे सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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