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सहारनपुर: सऊदी से वायरल फतवे को देवबंदी उलेमाओं ने नकारा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सऊदी अरब से जारी हुआ एक फतवा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस फतवे को लेकर देवबंदी उलेमाओं ने खंडन किया है. इस फतवे में कहा गया था कि ईद की नमाज बगैर कुतबा अदा की जा सकती है.

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फेंक फतवे का देवबंदी उलेमाओं ने किया खंडन.
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Published : May 21, 2020, 9:07 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: जिले में स्थित फतवों की नगरी देवबंद में इन दिनों सऊदी अरब से जारी हुआ एक फतवा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस फतवे में कहा गया है कि ईद की नमाज बगैर कुतबा अदा की जा सकती है. इस फतवे पर देवबंदी मुफ्ती ने कहा कि अलग-अलग मसले हैं और अलग-अलग देश हैं. ऐसी जगह नमाज उस वक्त हो सकती है, जहां इमाम न हो और मसले में बहुत बारीकियां हो. इसलिए सऊदी अरब से आया फतवा वहां की आवाम के लिए है. भारत के मुसलमान अपने उलेमाओं एवं मुफ्तियों की राय के हिसाब से ही धार्मिक प्रक्रिया करें.

फेंक फतवे का देवबंदी उलेमाओं ने किया खंडन.

देवबंदी उलेमाओं ने किया खंडन
सऊदी अरब के उलेमाओं ने कोरोना वायरस के चलते एक फतवा जारी किया है. इस पर देवबंदी उलेमाओं ने फतवे पर राय देते हुए कहा कि सऊदी अरब से जारी किया गया फतवा वहां के नागरिकों के लिये मान्य है. भारतीय मुसलमानों के लिए इस्लामिक मोहतरीम इदारे औऱ मुफ्ती की हिदायत है, उन्ही पर अमल करना जरूरी है. क्योंकि ईद और जुमे की शर्तें एक जैसी ही है. नमाज के वक्त इमाम के अलावा कम से कम तीन बालिग आदमी का होना जरूरी है. साथ ही कहा कि मुसलमान को जुमा उस जगह पढ़ना चाहिए, जहां किसी तरह की कोई रोक-टोक न हो.

बाहरी कमरा या बैठक में नमाज पढ़ी जा सकती है. ईद और जुमे की नमाज में थोड़ा सा ही फर्क है. जिस स्थान पर आप जुमा पढ़ते हैं, उस जगह पर ईद की नमाज भी पढ़ी जा सकती है. जुमा का खुतबा, जुमा पढ़ने से पहले दिया जाता है. यानी बगैर खुतबे के जुमा की नमाज नहीं होगी और ईद का खुतबा ईद की नमाज के लिए शर्त नहीं बल्कि सुन्नत है.
मुफ्ती तारिक कासमी, अध्यक्ष, जामिया हुसैनिया देवबंद

सहारनपुर: जिले में स्थित फतवों की नगरी देवबंद में इन दिनों सऊदी अरब से जारी हुआ एक फतवा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस फतवे में कहा गया है कि ईद की नमाज बगैर कुतबा अदा की जा सकती है. इस फतवे पर देवबंदी मुफ्ती ने कहा कि अलग-अलग मसले हैं और अलग-अलग देश हैं. ऐसी जगह नमाज उस वक्त हो सकती है, जहां इमाम न हो और मसले में बहुत बारीकियां हो. इसलिए सऊदी अरब से आया फतवा वहां की आवाम के लिए है. भारत के मुसलमान अपने उलेमाओं एवं मुफ्तियों की राय के हिसाब से ही धार्मिक प्रक्रिया करें.

फेंक फतवे का देवबंदी उलेमाओं ने किया खंडन.

देवबंदी उलेमाओं ने किया खंडन
सऊदी अरब के उलेमाओं ने कोरोना वायरस के चलते एक फतवा जारी किया है. इस पर देवबंदी उलेमाओं ने फतवे पर राय देते हुए कहा कि सऊदी अरब से जारी किया गया फतवा वहां के नागरिकों के लिये मान्य है. भारतीय मुसलमानों के लिए इस्लामिक मोहतरीम इदारे औऱ मुफ्ती की हिदायत है, उन्ही पर अमल करना जरूरी है. क्योंकि ईद और जुमे की शर्तें एक जैसी ही है. नमाज के वक्त इमाम के अलावा कम से कम तीन बालिग आदमी का होना जरूरी है. साथ ही कहा कि मुसलमान को जुमा उस जगह पढ़ना चाहिए, जहां किसी तरह की कोई रोक-टोक न हो.

बाहरी कमरा या बैठक में नमाज पढ़ी जा सकती है. ईद और जुमे की नमाज में थोड़ा सा ही फर्क है. जिस स्थान पर आप जुमा पढ़ते हैं, उस जगह पर ईद की नमाज भी पढ़ी जा सकती है. जुमा का खुतबा, जुमा पढ़ने से पहले दिया जाता है. यानी बगैर खुतबे के जुमा की नमाज नहीं होगी और ईद का खुतबा ईद की नमाज के लिए शर्त नहीं बल्कि सुन्नत है.
मुफ्ती तारिक कासमी, अध्यक्ष, जामिया हुसैनिया देवबंद

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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