सहारनपुर: लोकसभा और राज्यसभा में तीन तलाक कानून पास होने के बाद जहां मुस्लिम महिलाओं में खुशी का माहौल बना हुआ है तो वहीं देवबंदी उलेमाओं ने इस कानून की मुखालफत की है. दारुल उलूम देवबंद ने पहली बार मीडिया के सामने आकर जहां तीन तलाक बिल पर विरोध जताया है तो वहीं, केंद्र सरकार पर मुसलमानों पर इस कानून को जबरन थोपने का आरोप लगाया है.
सहारनपुर: तीन तलाक कानून के विरोध में उतरा दारुल उलूम और जमीयत उलेमा-ए-हिन्द
तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने कानून तो बना दिया है, लेकिन इसका विरोध लगातार जारी है. दारुल उलूम देवबंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तीन तलाक कानून की निंदा की है. साथ ही राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस पर पुनर्विचार करने की भी मांग की है.
देवबंदी उलेमाओं ने तीन तलाक कानून पर सरकार को घेरा.
सहारनपुर: लोकसभा और राज्यसभा में तीन तलाक कानून पास होने के बाद जहां मुस्लिम महिलाओं में खुशी का माहौल बना हुआ है तो वहीं देवबंदी उलेमाओं ने इस कानून की मुखालफत की है. दारुल उलूम देवबंद ने पहली बार मीडिया के सामने आकर जहां तीन तलाक बिल पर विरोध जताया है तो वहीं, केंद्र सरकार पर मुसलमानों पर इस कानून को जबरन थोपने का आरोप लगाया है.
दारुल उलूम देवबंद के उपकुलपति मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने मीडिया के सामने आकर बताया कि यह कानून बनाकर शरीयत छेड़छाड़ की गई है, जो इस्लाम के खिलाफ है. जिसके चलते राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कानून लागू करने से पहले पुनर्विचार करने की अपील की गई है. वहीं तीन तलाक कानून को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया. अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कानून में संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इस कानून से पति पत्नी के बीच ज्यादा तकरार बढ़ेगी और तीन साल जेल में रहने के बाद शौहर पत्नी को न तो खर्च दे सकेगा, न ही उसे दोबारा से पत्नी के रूप में स्वीकार करेगा.
दारुल उलूम देवबंद के उपकुलपति मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने मीडिया के सामने आकर बताया कि यह कानून बनाकर शरीयत छेड़छाड़ की गई है, जो इस्लाम के खिलाफ है. जिसके चलते राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कानून लागू करने से पहले पुनर्विचार करने की अपील की गई है. वहीं तीन तलाक कानून को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया. अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कानून में संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इस कानून से पति पत्नी के बीच ज्यादा तकरार बढ़ेगी और तीन साल जेल में रहने के बाद शौहर पत्नी को न तो खर्च दे सकेगा, न ही उसे दोबारा से पत्नी के रूप में स्वीकार करेगा.
Intro:सहारनपुर : लोकसभा और राज्यसभा में तीन तलाक कानून पास होने के बाद जहां मुस्लिम महिलाओं में खुशी का माहौल बना हुआ है वहीं देवबंदी उलेमाओं ने इस कानून की मुखालफत की है। दारुल उलूम देवबंद ने पहली बार मीडिया के सामने आकर जहां तीन तलाक बिल पर विरोध जताया है वहीं केंद्र सरकार पर यह कानून बनाने के साथ मुसलमानों पर जबरन थोपने का आरोप लगाया है। दारुल उलूम देवबंद के उपकुलपति मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी में मीडिया के सामने आकर बताया कि यह कानून बनाकर शरीयत छेड़छाड़ की गई है। जो इस्लाम के खिलाफ है। जिसके चलते राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कानून लागू करने से पहले पुनर्विचार करने की अपील की गई है। वही तीन तलाक कानून को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया। अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कानून में संशोधन की मांग करते हुए कहा कि इस कानून से पति पत्नी के बीच ज्यादा तकरार बढ़ेगी और 3 साल जेल में रहने के बाद शोहर पत्नी को न तो खर्च दे सकेगा और ना ही उसे दोबारा से पत्नी के रूप में स्वीकार करेग।
Body:VO 1 - इस्लाम मे तीन तलाक बिल बिल पर छिड़ी बहस पर लोकसभा और राज्यसभा में पास बिल पेश होने के बाद विराम लग गया है। केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रही तीन तलाक और निकाह हलाला की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कानून बनाने की कवायद शुरू कर दी है। कानून बनने की पहल से जहां तीन तलाक पीड़ित एवं अन्य मुस्लिम महिलाओं में जश्न का माहौल है वहीं मुस्लिम धर्म गुरुओं में हड़कंप मच हुआ है। दारुल उलूम देवबंद के कुलपति अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ने पहली बार कैमरे के सामने आकर न सिर्फ तीन तलाक बिल का विरोध किया है बल्कि केंद्र सरकार पर शरीयत के साथ छेड़छाड़ और कानून को मुसलमानों पर जबरन थोपने का आरोप लगाया है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि इस्लाम मे मुस्लिम महिलाओं के बहुत से मसले है लाखो मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे अपने मजहब के मुताबिक अमल करेंगे उन्हें मजहब से बाहर का कोई दूसरा फैलसा मंजूर नही है। लेकिन चंद लोगो और कुछ महिलाओ के कहने पर सरकार ने बड़ी दिलचस्पी लेकर ट्रिपल तलाक बिल पास किया है। यह हमारी समझ से परे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि तीन तलाक एक भी नही है ऐसे में सजा किस बात की होगी। कानून पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई शौहर बीवी को तलाक देकर तीन साल की सजा काटकर आएगा तो क्या ऐसे में वह अपनी बीवी के पास जाएगा, क्या पति पत्नी के बीच संबंध बाकी रहेंगे? मोहतमिम द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह पत्र महामहिम राष्ट्रपति इस लिए भेजा गया है कि बिल पर दस्तख़त करने से पहले उस पुनर्विचार किया जाए ताकि कानून में संशोधन किया जा सके। तीन तलाक कानून का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक पीड़िता को न्याय देने के लिए बहुत से तरीके है। आरोपी शौहर को अन्य तरीकों से भी सजाएं दी जा सकती है। सबसे पहले निकाह के मौके पर शर्त रखी जा सकती है कि अगर शौहर तलाक देगा तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा या फिर कोई सजा का डर दिखाया जा सकता है। निकाह के मौके पर दुल्हन की तरफ से कई अन्य तरह की शर्तें लगाई जा सकती हैं जिसे दूल्हा पक्ष कबूल करेगा। यह कानून दारुल उलूम के हिसाब से शरीयत और इस्लाम के खिलाफ है। इसलिए जो भी फैसला इस्लाम के खिलाफ होगा उसे वे न तो पसंद नही करेंगे और ना ही मानेंगे। लेकिन सरकार द्वारा लागू किया गया कानून जारी रहेगा। बढ़ती तीन तलाक के मामलों पर उनका कहना है कि जहां दो चार बर्तन होंगे उनमें आवाज तो आएगी ही, पति पत्नी के बीच खटपट होती रहेगी। अगर ऐसे में तलाक की नोबत आती है उसके लिए इस्लाम मे एक तरीका है। एक मसले पर तीन तलाक देना ठीक नही है जिसे शरीयत भी पसंद नही करती। पहले एक तलाक दी जाएज़ इसके महीने बाद दूसरी तलाक दी जाएगी। फिर उसके बाद पति पत्नी में सलाह बनती है तीसरी तलाक दी जानी चाहिए। उप कुलपति ने सरकार अपर आरोप लगाते हुए कहा कि जब अदालत ने तीन तलाक एक भी नही है बावजूद इसके केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बना दिया है। ऐसे में पति को तीन साल की सजा क्यो और किसलिए दी जायेगी। जबकि मियां मियां ही रहता है और बीवी ही रहती है। कानून के मुताबिक सजा भुगतनी के बाद पति पत्नी के पास रहेगा तो उसे सजा किस बात की दी जाएगी।
उधर जमीयत उलेमा हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने तीन तलाक बिल की मुखलाफ़त करते हुए कहा कि जो आदमी जैसा करेगा वैसा भुगतेगा। तीन तलाक का मसला आम मसला नही है। जो लोग एप्ने मजहब को दिल और दिमाग मे उतार चुके है वो केवल मजहबी कानून पर अमल करेंगे। उसमे कानून तक पहुंचने की कोई गुजाइश नही है। तीन तलाक कानून पर उन्होंने कहा कि इस कानून से मुसलमानों को बहुत नुकशान है। अगर कोई मुसलमान बीवी को तलाक देना चाहता है तो वह तलाक ही नही देगा और अपनी बीवी से मिलेगा भी नही। लड़की की जिंदगी खराब हो जाएगी। जबकि मर्द अलग रह कर अपना अलग घर बसाएगा कोई उसे कुछ नही कह सकता। जब तक वह ये कहेगा कि पत्नी लिख कर दे कि उसने अपनी मर्जी से तलाक लिया है इसके लिए लड़की मजबूर हो जाएगी। इसलिए तीन तलाक पर बनने वाले कानून में कुछ बाते सही नही है। इस कानून के लागू होने से तलाक पीड़िता की संख्या बढ़ जाएगी। मुस्लिम महिलाओं के लिए परेशानी बढ़ जाएगी जिसके लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। मौलाना मदनी ने इन कानून में संशोधन करने की मांग की है।
बाईट - मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ( उप कुलपति दारुल उलूम देवबंद )
बाईट - मौलाना अरशद मदनी ( अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिन्द )
Conclusion:FVO - सरकार द्वारा बनाये जा रहे कानून के हिसाब से आरोपी शौहर को 3 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। जिसके चलते मुस्लिम महिलाओं के साथ तीन तलाक और निकाह हलाला की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। छोटी सी बात पर घर परिवार टूटने से बच जाएगा। बावजूद इसके उलेमाओं ने इस कानून को न सिर्फ शरीयत की खिलाफ करार दिया है बल्कि मानने से भी इंकार कर दिया है
रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Body:VO 1 - इस्लाम मे तीन तलाक बिल बिल पर छिड़ी बहस पर लोकसभा और राज्यसभा में पास बिल पेश होने के बाद विराम लग गया है। केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रही तीन तलाक और निकाह हलाला की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कानून बनाने की कवायद शुरू कर दी है। कानून बनने की पहल से जहां तीन तलाक पीड़ित एवं अन्य मुस्लिम महिलाओं में जश्न का माहौल है वहीं मुस्लिम धर्म गुरुओं में हड़कंप मच हुआ है। दारुल उलूम देवबंद के कुलपति अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ने पहली बार कैमरे के सामने आकर न सिर्फ तीन तलाक बिल का विरोध किया है बल्कि केंद्र सरकार पर शरीयत के साथ छेड़छाड़ और कानून को मुसलमानों पर जबरन थोपने का आरोप लगाया है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि इस्लाम मे मुस्लिम महिलाओं के बहुत से मसले है लाखो मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे अपने मजहब के मुताबिक अमल करेंगे उन्हें मजहब से बाहर का कोई दूसरा फैलसा मंजूर नही है। लेकिन चंद लोगो और कुछ महिलाओ के कहने पर सरकार ने बड़ी दिलचस्पी लेकर ट्रिपल तलाक बिल पास किया है। यह हमारी समझ से परे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि तीन तलाक एक भी नही है ऐसे में सजा किस बात की होगी। कानून पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई शौहर बीवी को तलाक देकर तीन साल की सजा काटकर आएगा तो क्या ऐसे में वह अपनी बीवी के पास जाएगा, क्या पति पत्नी के बीच संबंध बाकी रहेंगे? मोहतमिम द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह पत्र महामहिम राष्ट्रपति इस लिए भेजा गया है कि बिल पर दस्तख़त करने से पहले उस पुनर्विचार किया जाए ताकि कानून में संशोधन किया जा सके। तीन तलाक कानून का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक पीड़िता को न्याय देने के लिए बहुत से तरीके है। आरोपी शौहर को अन्य तरीकों से भी सजाएं दी जा सकती है। सबसे पहले निकाह के मौके पर शर्त रखी जा सकती है कि अगर शौहर तलाक देगा तो उसे जुर्माना देना पड़ेगा या फिर कोई सजा का डर दिखाया जा सकता है। निकाह के मौके पर दुल्हन की तरफ से कई अन्य तरह की शर्तें लगाई जा सकती हैं जिसे दूल्हा पक्ष कबूल करेगा। यह कानून दारुल उलूम के हिसाब से शरीयत और इस्लाम के खिलाफ है। इसलिए जो भी फैसला इस्लाम के खिलाफ होगा उसे वे न तो पसंद नही करेंगे और ना ही मानेंगे। लेकिन सरकार द्वारा लागू किया गया कानून जारी रहेगा। बढ़ती तीन तलाक के मामलों पर उनका कहना है कि जहां दो चार बर्तन होंगे उनमें आवाज तो आएगी ही, पति पत्नी के बीच खटपट होती रहेगी। अगर ऐसे में तलाक की नोबत आती है उसके लिए इस्लाम मे एक तरीका है। एक मसले पर तीन तलाक देना ठीक नही है जिसे शरीयत भी पसंद नही करती। पहले एक तलाक दी जाएज़ इसके महीने बाद दूसरी तलाक दी जाएगी। फिर उसके बाद पति पत्नी में सलाह बनती है तीसरी तलाक दी जानी चाहिए। उप कुलपति ने सरकार अपर आरोप लगाते हुए कहा कि जब अदालत ने तीन तलाक एक भी नही है बावजूद इसके केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बना दिया है। ऐसे में पति को तीन साल की सजा क्यो और किसलिए दी जायेगी। जबकि मियां मियां ही रहता है और बीवी ही रहती है। कानून के मुताबिक सजा भुगतनी के बाद पति पत्नी के पास रहेगा तो उसे सजा किस बात की दी जाएगी।
उधर जमीयत उलेमा हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने तीन तलाक बिल की मुखलाफ़त करते हुए कहा कि जो आदमी जैसा करेगा वैसा भुगतेगा। तीन तलाक का मसला आम मसला नही है। जो लोग एप्ने मजहब को दिल और दिमाग मे उतार चुके है वो केवल मजहबी कानून पर अमल करेंगे। उसमे कानून तक पहुंचने की कोई गुजाइश नही है। तीन तलाक कानून पर उन्होंने कहा कि इस कानून से मुसलमानों को बहुत नुकशान है। अगर कोई मुसलमान बीवी को तलाक देना चाहता है तो वह तलाक ही नही देगा और अपनी बीवी से मिलेगा भी नही। लड़की की जिंदगी खराब हो जाएगी। जबकि मर्द अलग रह कर अपना अलग घर बसाएगा कोई उसे कुछ नही कह सकता। जब तक वह ये कहेगा कि पत्नी लिख कर दे कि उसने अपनी मर्जी से तलाक लिया है इसके लिए लड़की मजबूर हो जाएगी। इसलिए तीन तलाक पर बनने वाले कानून में कुछ बाते सही नही है। इस कानून के लागू होने से तलाक पीड़िता की संख्या बढ़ जाएगी। मुस्लिम महिलाओं के लिए परेशानी बढ़ जाएगी जिसके लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। मौलाना मदनी ने इन कानून में संशोधन करने की मांग की है।
बाईट - मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ( उप कुलपति दारुल उलूम देवबंद )
बाईट - मौलाना अरशद मदनी ( अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिन्द )
Conclusion:FVO - सरकार द्वारा बनाये जा रहे कानून के हिसाब से आरोपी शौहर को 3 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है। जिसके चलते मुस्लिम महिलाओं के साथ तीन तलाक और निकाह हलाला की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। छोटी सी बात पर घर परिवार टूटने से बच जाएगा। बावजूद इसके उलेमाओं ने इस कानून को न सिर्फ शरीयत की खिलाफ करार दिया है बल्कि मानने से भी इंकार कर दिया है
रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST