सहारनपुर: जिले में स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद तेज हो गई है. आईसीसीसी, आईटीएमएस और सर्विलांस के लिए पांच कंपनियों ने अपने-अपने प्रेजेंटेशन दिए. आईसीसीसी (इंटेग्रेटिड कमांड एंड कन्ट्रोल सेन्टर) से स्मार्ट सिटी की योजनाओं का संचालन और निगरानी की जायेगी. इसके अलावा नगर निगम का भी डिजिटाइजेशन किये जाने की तैयारी की जा रही है. स्मार्ट सिटी योजना के चेयरमैन एवं मंडलायुक्त संजय कुमार समेत संबंधित विभागों के अधिकारियों के समक्ष कंपनियों ने प्रेजेंटेशन दिया.
बीएसएनएल और जाॅनसन एण्ड जाॅनसन ने संयुक्त रूप से अपना प्रेजेंटेशन दिया. इनके अलावा प्रेजेंटेशन देने वाली कंपनियों में एल एण्ड टी, हनी वैल, एनईसी और शाहपुरजी शामिल रहीं. कंपनियों द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन के दौरान स्मार्ट सिटी चेयरमैन एवं मंडलायुक्त संजय कुमार ने कंपनियों से उनकी कार्यप्रणाली पर चर्चा की. साथ ही उनके टीम लीडर, विशेषज्ञों और उनके अनुभव आदि की भी जानकारी ली. मंडलायुक्त ने कंपनियों से पूछा कि सहारनपुर के बारे में उन्होंने क्या अध्ययन किया है और सहारनपुर के लिए वह अपने प्रोजेक्ट में क्या विशेष लेकर आये हैं.
नगर निगम की आय के बारे में सवाल
उन्होंने डाटा सुरक्षा पर खास जोर देते हुए पूछा कि इसके लिए उनके पास क्या प्लान है. साथ ही कंपनियां स्मार्ट सिटी में ऐसा क्या कर सकती हैं, जिससे नगर निगम की आय के साधनों में वृद्धि हो सके. कंपनी प्रतिनिधियों से उनके जोखिम और सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में भी पूछा गया. कंपनियों द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन के अंतर्गत बिना नंबर की गाड़ियों, बिना मास्क, बिना हेलमेट लगाये व्यक्ति और सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को चिन्हित करने के अलावा ई-चालान, डम्पिंग यार्ड और कूड़ा प्रबंधन से संबंध सवाल पूछा गया.
एसपी ट्रैफिक ने किया सवाल
इसके अलावा यातायात व्यवस्था को लेकर अनेक सवाल पूछे गए. एसपी ट्रैफिक ने जानना चाहा कि क्या आईसीसीसी में बैठकर शहर के लोगों को माईक पर कोई संदेश दिया जा सकता है. इन सवालों के उत्तर में कंपनियों ने अपने-अपने डेमो दिखाते हुए बताया कि आवश्यकतानुसार इनमें परिवर्तन किया जा सकता हैं. कंपनियों ने अंबाला रोड और घंटाघर पर लगाए गए कैमरों के माध्यम से डेमो दिखाए. कंपनियों ने सूरत, प्रयागराज, पुणे, अहमदाबाद, नागपुर आदि स्मार्ट सिटी के अपने अनुभव भी साझा किये.
शहर की व्यवस्थाएं न हों प्रभावित
नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह ने कंपनियों से पूछा कि स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन के अनुसार फेज-वन की तय समय सीमा के हिसाब से क्या वे अपना कार्य पूरा कर पाएंगे. कंपनी प्रतिनिधियों ने बताया कि पांच माह में योजनाएं धरातल पर आनी शुरु हो जाएंगी. कंपनियों को ये भी बताया गया कि नगर निगम का डाटा काफी पुराना हो सकता है, अतः वे उस पर भरोसा न करें. डोर-टू-डोर अपना सर्वे करें. साथ ही ये भी कहा गया कि उनके कार्यों के दौरान शहर की यातायात और अन्य व्यवस्थाएं अधिक प्रभावित न हों.