ETV Bharat / state

सहारनपुर का यह दिव्यांग एक ही कंधे से रेहड़ा खींचकर कमाता है दो जून की रोटी

बचपन में हुए एक हादसे में सहारनपुर के बंसीलाल ने अपना हाथ खो दिया था. बावजूद इसके वह एक हाथ से रेहड़ा खींचकर दो जून की रोटी कमा रहा है.

एक हाथ से रेहड़ा खींचता बंसीलाल.
author img

By

Published : Jul 18, 2019, 7:25 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: तकदीर के खेल से कभी निराश नहीं होते, जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते. हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. यह कहावत सहारनपुर के बंसीलाल पर सटीक बैठती है.

एक हाथ से रेहड़ा खींचता बंसीलाल.

बचपन में हुए हादसे में गवां दिया था हाथ:
बचपन में हादसे का शिकार हुए बंसीलाल ने अपना एक हाथ भले ही गंवा दिया हो, लेकिन हौंसला और हिम्मत कभी नहीं हारी. यही वजह है कि बंसीलाल अपने एक हाथ से भारी-भरकम रेहड़े में कई क्विंटल वजन खींचकर दो जून की रोटी कमा रहा है. कंधे से हाथ कटा होने पर भी उसका हौंसला सलामत है, जिसके बलबूते वह रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर रेहड़ा खींचता है, लेकिन किसी के आगे हाथ फैलाना उसे कतई मंजूर नहीं.

अपने बच्चों को बनाउंगा अच्छा इंसान:
बंसीलाल ने बताया कि उसके मां बाप का देहांत हो चुका है. परिवार में एक छोटा भाई और उसके बच्चे हैं. जिनके लिए ही वह जी तोड़ मेहनत कर रहा है. बंसीलाल का कहना है कि वह मेहनत और ईमानदारी की कमाई खिलाकर अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाना चाहता है.

सहारनपुर: तकदीर के खेल से कभी निराश नहीं होते, जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते. हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. यह कहावत सहारनपुर के बंसीलाल पर सटीक बैठती है.

एक हाथ से रेहड़ा खींचता बंसीलाल.

बचपन में हुए हादसे में गवां दिया था हाथ:
बचपन में हादसे का शिकार हुए बंसीलाल ने अपना एक हाथ भले ही गंवा दिया हो, लेकिन हौंसला और हिम्मत कभी नहीं हारी. यही वजह है कि बंसीलाल अपने एक हाथ से भारी-भरकम रेहड़े में कई क्विंटल वजन खींचकर दो जून की रोटी कमा रहा है. कंधे से हाथ कटा होने पर भी उसका हौंसला सलामत है, जिसके बलबूते वह रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर रेहड़ा खींचता है, लेकिन किसी के आगे हाथ फैलाना उसे कतई मंजूर नहीं.

अपने बच्चों को बनाउंगा अच्छा इंसान:
बंसीलाल ने बताया कि उसके मां बाप का देहांत हो चुका है. परिवार में एक छोटा भाई और उसके बच्चे हैं. जिनके लिए ही वह जी तोड़ मेहनत कर रहा है. बंसीलाल का कहना है कि वह मेहनत और ईमानदारी की कमाई खिलाकर अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाना चाहता है.

Intro:सहारनपुर : क्यों ढूंढते हो तकदीर हाथों की लकीरों में नसीब तो उनका भी होता है जिमके हाथ नही होते। ये लाइन सहारनपुर के बंसी लाल पर सटीक बैटती है। बचपन मे हादसे का शिकार हुए बंसी लाल ने अपना एक हाथ भले गंवा दिया हो लेकिन होंसला और हिम्मत कभी नही हारी। एक हाथ से बंसी लाल जहां भारी भरकम रेहडे में कई किवंटल वजन खींच कर दो जून की रोटी कमा रहा है वही एक हाथ से अनाज के कट्टो को अनाज मंडी में गोदाम में पहुंचा रहा है। कंधे से हाथ कटा होने पर भी उसका हौसला सलामत है जिसके बलबूते वह रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर रेहड़ा खींचता है। लेकिन किसी के आगे हाथ नही फैलाता।Body:VO 1 - अनाज के कट्टो से भरा रेहड़ा खींच रहा यह शख्स सहारनपुर के बहादुरपुर गांव निवासी बंसी लाल है। बंसी लाल के साथ बचपन मे हुए हादसे में इनका एक हाथ कट गया। हाथ कटने के बाद भी 30 साल से बंसी लाल मेहनत कर ईमानदारी की रोटी कमा रहे है। कटे हाथ के कंधे में रस्सी डालकर भारी भरकम रेहड़ा खींच कर हर दिन सेकड़ो किंवटल अनाज मंडी के गोदामो में पहुंचा रहे है। गांव बहादरपुर निवासी बंसीलाल की उम्र इस समय करीब पचास साल है। वह रेहड़ा खींचकर मजदूरी करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। लेकिन एक बात उसे अन्य मजदूरों से अलग करती है। बंसीलाल के शरीर पर केवल एक हाथ का होना है। जी हां जब बंसीलाल केवल दस साल का था तो दुर्घटना में उसका एक हाथ कट गया था लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। गरीबी की मार और पढ़ा लिखा न होने के कारण परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी आने पर केवल 16 साल की उम्र में बंसीलाल ने एक हाथ के सहारे ही रेहड़ा संभाल लिया। मेहनत की दो रोटी कमाने के लिए हष्ट पुष्ट लोगों की भीड़ में शामिल हो गया। आज भी जब बंसीलाल रेहड़े में बंधी रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर कुंतलों वजनी सामान खींचता है तो देखने वाले उसके जजबे की तारीफ किये बिना नहीं रह पाते हैं।
बंसी लाल ने बताया कि उसके मां बाप का देहांत हो चुका है। परिवार में एक छोटा भाई और उसके बच्चे हैं। जिनके लिए ही वह जी तोड़ मेहनत कर रहा है। बंसीलाल का कहना है कि वह मेहनत और ईमानदारी की कमाई खिलाकर अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाना चाहता है।

बाईट - बंसी लाल ( दिव्यांग )
बाईट - संजय गुप्ता ( स्थानीय अनाज व्यापारी )Conclusion:FVO - खास बात तो ये है कि एक हाथ से भारी भरकम कट्टो को कंधे पर लाद कर गोदाम में भी लगा देता है। बंसी लाल की मेहनत और जज्बे को हर कोई तारीफ करता है। साथ उन लोगो के मुहं पर भी तमांचा हैं जो मामूली चोटिल होने पर भीख मांगनी शुरू कर देते है।


रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.