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सबको काम-तुरंत दाम से सहारनपुर में मनरेगा बनी संजीवनी

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में कोरोना काल में मनरेगा श्रमिकों के लिए संजीवनी का काम कर रही है. जिले में 24 हजार से अधिक मजदूरों को न सिर्फ रोजगार दिया गया है, बल्कि समय से भुगतान किए जाने से उनको राहत भी मिली है.

laborers during corona crisis in sahranpur
सहारनपुर में लॉकडाउन में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी संजीवनी.
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Published : Jun 30, 2020, 9:18 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर: एक ओर जहां कोरोना काल में गरीब और असहाय परिवारों के सामने आर्थिक संकट छाया हुआ है, वहीं सरकार की मनरेगा योजना श्रमिकों के लिए संजीवनी का काम कर रही है. जनपद में स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल सका है.

4 करोड़ 52 लाख रुपये का हुआ भुगतान
कोरोना काल में मनरेगा योजना से 24 हजार 500 मजदूरों को 4 करोड़ 52 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. प्रवासी मजदूरों के लिए बाकायदा जिला और ब्लॉक स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं, जहां श्रमिक अपना पंजीकरण करा कर जॉब कार्ड बनवा सकते हैं.

मनरेगा के तहत 698 ग्राम पंचायतों में चल रहा कार्य
मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि मनरेगा योजना के तहत जिले की 698 ग्राम पंचायतों में कार्य चल रहा है. करीब 24 हजार 500 श्रमिक मनरेगा के कार्य में लगे हुए हैं. कोरोना वायरस की वजह से प्रवासी श्रमिकों का भी जॉब कार्ड बनवाये जा रहे हैं. जिन प्रवासी श्रमिकों का जॉब कार्ड और पंजीकरण हो रहा है, उन सबको मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है.

लॉकडाउन में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी संजीवनी.

सभी श्रमिकों का किया गया भुगतान
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की कोशिश है कि धीरे-धीरे सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को काम दिया जाए. उन्होंने बताया कि सहारनपुर जिले में 4 करोड़ 52 लाख रुपये का भुगतान श्रमिकों के खातों में जा चुका है. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे प्रवासी मजदूर जॉब कार्ड के जरिये मनरेगा में काम करते रहेंगे, वैसे-वैसे उनका भुगतान होता रहेगा. खास बात यह है कि यह भुगतान सीधा श्रमिकों के खातों में भेजा जा रहा है और वर्तमान में किसी भी श्रमिक का भुगतान पेंडिंग नहीं है.

जॉब कार्ड के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि मनरेगा के जितने भी प्रवासी मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं, उनको प्राथमिकता पर लेकर जॉब कार्ड बनाए जा रहे हैं. यदि किन्ही कारणों से किसी श्रमिक का जॉब कार्ड नहीं बन पा रहा है तो उनके लिए सम्बन्धित ब्लॉक में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जहां वे बीडीओ से संपर्क कर अपना जॉब कार्ड बनवा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: सहारनपुर में अधर में लटका स्पोर्ट्स कॉलेज निर्माण

मजदूरों को रोजगार देना पहली प्राथमिकता
मुख्य विकास अधिकारी प्रणव सिंह ने बताया कि जिला स्तर पर भी डीसी मनरेगा के यहां भी कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां बाहर से आने वाले प्रवासी श्रमिक फोन के जरिये या सीधे संपर्क कर अपना जॉब कार्ड बनवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौर में जो भी व्यक्ति जॉब कार्ड और कार्य मांगेगा, मनरेगा की ओर से उसे कार्य देना पहली प्राथमिकता होगी.

सहारनपुर: एक ओर जहां कोरोना काल में गरीब और असहाय परिवारों के सामने आर्थिक संकट छाया हुआ है, वहीं सरकार की मनरेगा योजना श्रमिकों के लिए संजीवनी का काम कर रही है. जनपद में स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल सका है.

4 करोड़ 52 लाख रुपये का हुआ भुगतान
कोरोना काल में मनरेगा योजना से 24 हजार 500 मजदूरों को 4 करोड़ 52 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. प्रवासी मजदूरों के लिए बाकायदा जिला और ब्लॉक स्तर पर कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं, जहां श्रमिक अपना पंजीकरण करा कर जॉब कार्ड बनवा सकते हैं.

मनरेगा के तहत 698 ग्राम पंचायतों में चल रहा कार्य
मुख्य विकास अधिकारी प्रणय सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि मनरेगा योजना के तहत जिले की 698 ग्राम पंचायतों में कार्य चल रहा है. करीब 24 हजार 500 श्रमिक मनरेगा के कार्य में लगे हुए हैं. कोरोना वायरस की वजह से प्रवासी श्रमिकों का भी जॉब कार्ड बनवाये जा रहे हैं. जिन प्रवासी श्रमिकों का जॉब कार्ड और पंजीकरण हो रहा है, उन सबको मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है.

लॉकडाउन में श्रमिकों के लिए मनरेगा बनी संजीवनी.

सभी श्रमिकों का किया गया भुगतान
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की कोशिश है कि धीरे-धीरे सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत श्रमिकों को काम दिया जाए. उन्होंने बताया कि सहारनपुर जिले में 4 करोड़ 52 लाख रुपये का भुगतान श्रमिकों के खातों में जा चुका है. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे प्रवासी मजदूर जॉब कार्ड के जरिये मनरेगा में काम करते रहेंगे, वैसे-वैसे उनका भुगतान होता रहेगा. खास बात यह है कि यह भुगतान सीधा श्रमिकों के खातों में भेजा जा रहा है और वर्तमान में किसी भी श्रमिक का भुगतान पेंडिंग नहीं है.

जॉब कार्ड के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि मनरेगा के जितने भी प्रवासी मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे हैं, उनको प्राथमिकता पर लेकर जॉब कार्ड बनाए जा रहे हैं. यदि किन्ही कारणों से किसी श्रमिक का जॉब कार्ड नहीं बन पा रहा है तो उनके लिए सम्बन्धित ब्लॉक में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जहां वे बीडीओ से संपर्क कर अपना जॉब कार्ड बनवा सकते हैं.

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मजदूरों को रोजगार देना पहली प्राथमिकता
मुख्य विकास अधिकारी प्रणव सिंह ने बताया कि जिला स्तर पर भी डीसी मनरेगा के यहां भी कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां बाहर से आने वाले प्रवासी श्रमिक फोन के जरिये या सीधे संपर्क कर अपना जॉब कार्ड बनवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौर में जो भी व्यक्ति जॉब कार्ड और कार्य मांगेगा, मनरेगा की ओर से उसे कार्य देना पहली प्राथमिकता होगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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