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दबाव देकर कराई गई थी आजम खान के खिलाफ FIR? सरकारी अधिवक्ता ने कही ये बात - आजम खान भड़काऊ भाषण मामला

हेट स्पीच मामले में रामपुर की एमपी एमएलए सेशन कोर्ट ने सपा राष्ट्रीय महासचिव आजम खान राहत दे दी. लेकिन अब इस मामले में हुए एफआईआर को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं.

SP leader Azam Khan hate speech case
SP leader Azam Khan hate speech case
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Published : May 27, 2023, 7:57 AM IST

संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी शिव प्रकाश पांडे

रामपुरः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान को भड़काऊ भाषण में बीते दिनों बरी कर दिया गया. रामपुर के एमपी एमएलए मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने आजम खान को 3 वर्ष की सजा सुनाई थी. इसकी वजह से उनकी विधायकी भी रद्द कर दी गई थी. इस फैसले के खिलाफ सपा नेता ने रामपुर के ही एमपी एमएलए सेक्शन कोर्ट में याचिका दायर की थी. यहां फैसला आजम खान के पक्ष में आया. लेकिन, अब इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जिले की निचली अदालत से सजा और फिर सत्र न्यायालय से बरी होना, सुर्खियां बटोर रहा है. खबर यह भी आ रही है कि आजम खान के खिलाफ एफआईआर कराने वाले अधिकारी ने जिला निर्वाचन अधिकारी के दबाव में मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है.

आजम खान के मामले में दोनों अदालतों में सरकार की पैरवी करने वाले संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी शिव प्रकाश पांडे से ईटीवी भारत ने इस बारे में बातचीत की. उन्होंने बताया कि आजम खान को 27 अक्टूबर 2022 को भड़काऊ भाषण मामले में सजा हुई थी. न्यायालय ने सभी साक्ष्यों का मूल्यांकन किया था. इसके बाद फैसला दिया था. विरोधी पक्ष ने उस समय कोई टिप्पणी भी नहीं की थी. न ही किसी प्रकार का विरोध किया गया था. हालांकि, इस फैसले के खिलाफ बचाव पक्ष ने एमपी एमएलए सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की थी. इसमें गुरुवार को फैसला आया है. एमपी एमएलए सेक्शन कोर्ट ने आजम खान को दोषमुक्त करार दिया.

अभियोजन अधिरकारी ने कहा कि यह फैसला साक्ष्यों का टुकड़ों में विश्लेषण करके दिया गया है. उनका मानना है कि साक्ष्यों की संपूर्ण रूप से विवेचन करना चाहिए, टुकड़ों में नहीं. क्योंकि टुकड़ों में विवेचन करने पर पूरी स्थिति दरकिनार हो जाती हैं. इस फैसले के खिलाफ सरकार उच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी. अपील की कार्रवाई में सारी चीजों को पूरे विश्लेषण के साथ उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय को उल्लेखित करते हुए प्रस्तुत किया जाएगा.

संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी ने आगे कहा कि इस फैसले से यह मामला समाप्त नहीं हो जाता है. इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार में पूरे जोर के साथ अपील प्रस्ताव तैयार करेगी. वहीं, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा दबाव देकर एफआईआर दर्ज कराने से अभियोजन अधिकारी ने इंकार किया. उन्होंने कहा कि आजम खान ने उस समय देश के प्रधानमंत्री को लेकर जिस तरह की भाषा शैली का प्रयोग किया था, उस पर एफआईआर दर्ज होना बनता था. इसमें दवाब देकर एफआईआर दर्ज कराने जैसी कोई बात नहीं है.

ये भी पढ़ेंः ओमप्रकाश राजभर बोले, चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को वोट न देने वालों अब क्यों जाग रहा दलित प्रेम

संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी शिव प्रकाश पांडे

रामपुरः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान को भड़काऊ भाषण में बीते दिनों बरी कर दिया गया. रामपुर के एमपी एमएलए मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने आजम खान को 3 वर्ष की सजा सुनाई थी. इसकी वजह से उनकी विधायकी भी रद्द कर दी गई थी. इस फैसले के खिलाफ सपा नेता ने रामपुर के ही एमपी एमएलए सेक्शन कोर्ट में याचिका दायर की थी. यहां फैसला आजम खान के पक्ष में आया. लेकिन, अब इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. जिले की निचली अदालत से सजा और फिर सत्र न्यायालय से बरी होना, सुर्खियां बटोर रहा है. खबर यह भी आ रही है कि आजम खान के खिलाफ एफआईआर कराने वाले अधिकारी ने जिला निर्वाचन अधिकारी के दबाव में मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है.

आजम खान के मामले में दोनों अदालतों में सरकार की पैरवी करने वाले संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी शिव प्रकाश पांडे से ईटीवी भारत ने इस बारे में बातचीत की. उन्होंने बताया कि आजम खान को 27 अक्टूबर 2022 को भड़काऊ भाषण मामले में सजा हुई थी. न्यायालय ने सभी साक्ष्यों का मूल्यांकन किया था. इसके बाद फैसला दिया था. विरोधी पक्ष ने उस समय कोई टिप्पणी भी नहीं की थी. न ही किसी प्रकार का विरोध किया गया था. हालांकि, इस फैसले के खिलाफ बचाव पक्ष ने एमपी एमएलए सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की थी. इसमें गुरुवार को फैसला आया है. एमपी एमएलए सेक्शन कोर्ट ने आजम खान को दोषमुक्त करार दिया.

अभियोजन अधिरकारी ने कहा कि यह फैसला साक्ष्यों का टुकड़ों में विश्लेषण करके दिया गया है. उनका मानना है कि साक्ष्यों की संपूर्ण रूप से विवेचन करना चाहिए, टुकड़ों में नहीं. क्योंकि टुकड़ों में विवेचन करने पर पूरी स्थिति दरकिनार हो जाती हैं. इस फैसले के खिलाफ सरकार उच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी. अपील की कार्रवाई में सारी चीजों को पूरे विश्लेषण के साथ उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय को उल्लेखित करते हुए प्रस्तुत किया जाएगा.

संयुक्त निर्देशक अभियोजन अधिकारी ने आगे कहा कि इस फैसले से यह मामला समाप्त नहीं हो जाता है. इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार में पूरे जोर के साथ अपील प्रस्ताव तैयार करेगी. वहीं, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा दबाव देकर एफआईआर दर्ज कराने से अभियोजन अधिकारी ने इंकार किया. उन्होंने कहा कि आजम खान ने उस समय देश के प्रधानमंत्री को लेकर जिस तरह की भाषा शैली का प्रयोग किया था, उस पर एफआईआर दर्ज होना बनता था. इसमें दवाब देकर एफआईआर दर्ज कराने जैसी कोई बात नहीं है.

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