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यूपी के इस जिले में 9 हजार से ज्यादा दुधारू पशु हुए बांझ, जानें क्या है कारण..

फसलों में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने के दुष्परिणाम अब देखने को मिलने लगे हैं. रासायनिक खाद व कीटनाशकों से प्रभावित चारा खाने से रामपुर जिले के करीब 9 हजार दुधारू पशु बांझ हो गए हैं. समस्या से निजात पाने के लिए पशु चिकित्सालय की तरफ से ऐसे पशुओं का इलाज शुूरु कर दिया गया है.

9 हजार से ज्यादा दुधारू पशु हुए बांझ
9 हजार से ज्यादा दुधारू पशु हुए बांझ
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Published : Nov 28, 2021, 4:52 PM IST

रामपुर: फसलों में रासायनिक खाद और कीटनाशक का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल इंसानों के साथ पशुओं के लिए भी हानिकारक साबित हो रहा है. रासायनिक खाद के उपयोग से पशुओं के चारे से प्रोटीन, खनिज और विटामिन खत्म हो रहे हैं.

जिले में इसका बड़ा असर देखने को मिला है. रासायनिक खाद व कीटनाशकों से प्रभावित चारे के सेवन से रामपुर में करीब 9 हजार दुधारू पशु बांझ हो गए हैं. बांझ हुए इन पशुओं का चिकित्सा विभाग की तरफ से इलाज चल रहा है. इसे लेकर गांव-गांव शिविर भी लगाया जा रहा है.

जनपद रामपुर के पशुपालक इस समस्या को लेकर बेहद परेशान हैं. दुधारू पशुओं के बांझ होने से उनका धंधा-पानी चौपट हो गया है. उनकी आय का श्रोत बंद हो गया है. फिलहाल समस्या से निजात पाने के लिए पशु चिकित्सालय की तरफ से ऐसे पशुओं का गांव-गांव कैंप लगाकर इलाज किया जा रहा है. लगभग एक हजार पशुओं का इलाज भी किया जा चुका है.

रामपुर जिले में 9 हजार से ज्यादा दुधारू पशु हुए बांझ

पशु चिकित्सकों के मुताबिक पशुओं के प्रजनन के लिए सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, विटामिन और पानी की आवश्यकता होती है. फसलों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के इस्तेमाल के चलते चारे में पोषक तत्व खत्म हो रहे हैं.

पशुओं में बांझपन का मुख्य कारण पोषण की कमी है. खनिज तत्वों और जिंक की कमी से पशु गर्भित नहीं हो पाते. चारे में विटामिन ए, विटामिन डी, फास्फोरस, कॉपर, आयरन, कबोल्ट, आयोडीन व सेलेनियम की मात्रा घट गई है जबकि बांझपन रोकने के लिए चारे में सही अनुपात में सभी पोषक तत्व जरूरी हैं.

यह भी पढ़ें- केरल-तमिलनाडु के बाद अब यूपी में भी हो रही छोटी इलायची की खेती, जानें किसान ने क्या अपनाई तकनीक..

मामले पर चीफ वेटरनरी ऑफिसर (सीवीओ) राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसका मूल कारण हमारे कृषि कार्यों में सबसे ज्यादा रासायनिक खादों का प्रयोग है. साथ ही कीटनाशक दवाइयों का बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. कैमिकल खाद व कीटनाशक जमीन में जाकर चारे को प्रभावित कर रहा है.

बांझपन न हो, इसके लिए फास्फोरस, आयोडीन, जिंक और मिनरल्स सेलेनियम आवश्यक है. सीवीओ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि जनपद में करीब 9 हजार पशु हैं जिनको बांझपन की समस्या है. उपचार कर उनको ठीक करने की कोशिश की जा रही है. अब तक लगभग 1000 पशु स्वस्थ भी हो चुके हैं.

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रामपुर: फसलों में रासायनिक खाद और कीटनाशक का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल इंसानों के साथ पशुओं के लिए भी हानिकारक साबित हो रहा है. रासायनिक खाद के उपयोग से पशुओं के चारे से प्रोटीन, खनिज और विटामिन खत्म हो रहे हैं.

जिले में इसका बड़ा असर देखने को मिला है. रासायनिक खाद व कीटनाशकों से प्रभावित चारे के सेवन से रामपुर में करीब 9 हजार दुधारू पशु बांझ हो गए हैं. बांझ हुए इन पशुओं का चिकित्सा विभाग की तरफ से इलाज चल रहा है. इसे लेकर गांव-गांव शिविर भी लगाया जा रहा है.

जनपद रामपुर के पशुपालक इस समस्या को लेकर बेहद परेशान हैं. दुधारू पशुओं के बांझ होने से उनका धंधा-पानी चौपट हो गया है. उनकी आय का श्रोत बंद हो गया है. फिलहाल समस्या से निजात पाने के लिए पशु चिकित्सालय की तरफ से ऐसे पशुओं का गांव-गांव कैंप लगाकर इलाज किया जा रहा है. लगभग एक हजार पशुओं का इलाज भी किया जा चुका है.

रामपुर जिले में 9 हजार से ज्यादा दुधारू पशु हुए बांझ

पशु चिकित्सकों के मुताबिक पशुओं के प्रजनन के लिए सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, विटामिन और पानी की आवश्यकता होती है. फसलों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के इस्तेमाल के चलते चारे में पोषक तत्व खत्म हो रहे हैं.

पशुओं में बांझपन का मुख्य कारण पोषण की कमी है. खनिज तत्वों और जिंक की कमी से पशु गर्भित नहीं हो पाते. चारे में विटामिन ए, विटामिन डी, फास्फोरस, कॉपर, आयरन, कबोल्ट, आयोडीन व सेलेनियम की मात्रा घट गई है जबकि बांझपन रोकने के लिए चारे में सही अनुपात में सभी पोषक तत्व जरूरी हैं.

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मामले पर चीफ वेटरनरी ऑफिसर (सीवीओ) राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसका मूल कारण हमारे कृषि कार्यों में सबसे ज्यादा रासायनिक खादों का प्रयोग है. साथ ही कीटनाशक दवाइयों का बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. कैमिकल खाद व कीटनाशक जमीन में जाकर चारे को प्रभावित कर रहा है.

बांझपन न हो, इसके लिए फास्फोरस, आयोडीन, जिंक और मिनरल्स सेलेनियम आवश्यक है. सीवीओ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि जनपद में करीब 9 हजार पशु हैं जिनको बांझपन की समस्या है. उपचार कर उनको ठीक करने की कोशिश की जा रही है. अब तक लगभग 1000 पशु स्वस्थ भी हो चुके हैं.

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