रामपुर: सीएम योगी द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू किए गए मिशन शक्ति अभियान में जिला प्रशासन कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता है. वहीं आमतौर पर नजरों से ओझल और परदे में रहने वाली मदरसे की छात्राओं तक मिशन शक्ति की पहुंच बनाने के लिए सीडीओ रामपुर गजल भारद्वाज ने मदरसे का दौरा किया. इस दौरान सीडीओ ने छात्राओं को महिला सम्मान सुरक्षा और स्वालंबन के आवश्यक गुर सिखाए.
'नारी स्वालंबन के बिना नारी सम्मान अधूरा'
सिविल लाइन स्थित लड़कियों के इस्लामिक शिक्षण संस्थान जामिया-तू-सालेहात में मिशन शक्ति के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में पहुंची मुख्य विकास अधिकारी गजल भारद्वाज ने छात्राओं को संबोधित करते हुए मिशन शक्ति के तीन स्तंभों 'नारी सम्मान, नारी सुरक्षा और नारी स्वावलंबन' को विस्तार से समझाया. उन्होंने कहा कि जब हम नारी सम्मान की बात करते हैं, तो उसके लिए नारी स्वालंबन भी जरूरी है. अक्सर देखने में आया है कि बच्चे पिता से तो डरते हैं, लेकिन मां से नहीं डरते हैं. शायद इसलिए के पिता उनकी फीस देता है, उनके लिए आवश्यक धन जुटाता है. नारी को सम्मान तभी मिल सकता है, जब वे खुद अपने आप में स्वावलंबी बनें.
कार्यस्थल पर भी महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान जरूरी
गजल भारद्वाज ने कहा कि जब हम नारी सुरक्षा की बात करते हैं तो केवल सड़क पर चलते हुए सुरक्षा नहीं बल्कि घर के अंदर भी और कार्यस्थल पर भी महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रखना होगा. इस दौरान उन्होंने पिछले दिनों रामपुर के विकास भवन में फीडिंग रूम स्थापित करने का जिक्र किया. सीडीओ ने कहा कि अपने काम के लिए आने वाली ऐसी महिलाओं को, जिनकी गोद में बच्चे होते थे और उन्हें दूध पिलाने की आवश्यकता होती थी. इसके बावजूद महिलाओं को संकोच और बच्चे को दूध पिलाने का उपयुक्त स्थान नहीं होने के चलते परेशानी का सामना करना पड़ता था. यह भी एक महिला सम्मान का ही मामला है.
'मानसिकता में परिवर्तन की जरूरत'
सीडीओ रामपुर गजल भारद्वाज एक आईएएस अधिकारी हैं और उत्तराखंड की टॉपर भी रह चुकी हैं. उन्होंने छात्राओं को अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब आप कोई सपना साकार करने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले आपके अंदर से डर उत्पन्न होता है. सबसे पहले अपने अंदर से पैदा हुए इस डर से लड़ना होता है. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई पद नहीं, जिसे हम पा नहीं सकते हैं. गजल भारद्वाज ने बताया कि मिशन शक्ति के अंतर्गत बच्चों को सुरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं. इसके लिए नारी सम्मान, नारी स्वावलंबन और नारी सुरक्षा के लिए शिक्षा के साथ-साथ मानसिकता के परिवर्तन की आवश्यकता है, जिसकी शुरुआत घरों के अंदर से ही होगी.