रामपुर: उत्तराखंड से सटा जनपद होने के कारण आए दिन जंगलों से भटक कर वन्य जीव आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं. ऐसे में वन्यजीव को कभी-कभी आवारा कुत्तों के हमले से घायल हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में इन घायल पशु-पक्षियों की हिफाजत का जिम्मा बानी वेलफेयर एनिमल सोसाइटी ही उठा रही है.सोसाइटी के सदस्य सूचना मिलते ही बेजुबानों को बचाने के लिए निकल पड़ते हैं. अब तक इस सोसाइटी द्वारा अनगिनत पशु-पक्षियों का इलाज कराया गया है. बानी वेलफेयर एनिमल सोसाइटी द्वारा अब तक राजकीय पशु बारहसिंघा, राजकीय पक्षी सारस, नीलगाय, तेंदुआ, हिरण, अजगर आदि को उपचार के बाद उनको सुरक्षित ठिकानों पर वन विभाग के माध्यम से छुड़वाया गया है.
हाल ही थाना अजीम नगर क्षेत्र के गांव नगलिया आकिल में विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके एक घायल गिद्ध को बानी वेलफेयर एनिमल सोसाइटी ने अपने कब्जे में लेकर उसका उपचार कराने के बाद वन विभाग को सौंप दिया.
बानी एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष हिफाजत ने बताया कि वह पिछले 11 वर्षों से अपने आसपास होने वाले तमाम बेजुबान जानवरों की हित में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक दिन वह अपने मेडिकल स्टोर पर पिता के साथ बैठे थे, तभी एक पक्षी खंभें से जमीन पर गिरा और लहूलुहान हो गया. घायल पक्षी को वह उठाकर लेकर आए और उपचार करना चाहा. इसी दौरान उनके पिता ने एक शेर पढ़ा और परिंदे की कितनी मदद करना चाहते हैं. हिफाजत ने कहा कि इसके बाद से ही वह पशु-पक्षियों को बचाने की मुहिम में जुट गए.
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हिफाजत ने बताया कि वह इस मुहिम में पहले अकेले थे. लेकिन जब मैंने देखा कि यहां एक समूह की जरूरत है तब वह बानी एनिमल वेलफेयर सोसाइटी कराया. इसके बाद बेजुबान जानवरों के लिए काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि शुरू में बहुत सारी समस्याएं आती थी.ऐसे में जो पहले से ही पशु कल्याण के लिए कार्य कर रही संस्थांओं से मदद ली. एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से भी हमने मदद ली. वहीं, डीएफओ राजीव कुमार ने बताया कि बानी एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के लोग पशु-पक्षियों के घायल होने की सूचना पर मौके पहुंच जाते हैं. सोसाइटी के लोग मौके पर प्राथमिक इलाज भी कराते हैं फिर उन्हें सूचित कर देते हैं.