रामपुर: सपा सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान आज जेल से रिहा होंगे. करीब 23 महीने तक जेल में रहने के बाद आज अब्दुल्ला आजम खान सीतापुर जेल से रिहा होंगे. बता दे अब्दुल्लाह आजम खान पर दो जन्म प्रमाणपत्र कूट रचित तरीके से बनाने का आरोप था, जिसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसके अलावा अब्दुल्लाह आजम खान पर लगभग 43 मामले दर्ज हैं. जिनमें ज्यादातर मामलों में अब्दुल्लाह आजम खान को जमानत मिल गई है. तीन मामलों में रिहाई का परवाना सीतापुर जेल भेज दिया गया है.
गौर हो कि गलत जन्म प्रमाणपत्र के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी छीन ली थी. अब्दुल्ला आजम खान फरवरी 2020 से ही सीतापुर जेल में बंद हैं. हालांकि, रिहाई के बाद वो चुनाव लड़ेंगे या नहीं, अभी इस पर सस्पेंस बना है. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी अब्दुल्ला को टिकट दे सकती है.
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वहीं, अब चुनाव करीब है. चुनाव को देखते हुए अब्दुल्लाह आजम खान का जेल से रिहा होना कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने का काम करेगा. इधर, रामपुर से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता सीतापुर के लिए निकल गए हैं. हालांकि कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन ने किसी भी तरह के जुलूस और लोगों के जमावड़े पर रोक लगा रखा है. इसीलिए सपा के लोग अलग-अलग गाड़ियों से सीतापुर के लिए निकले हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि रात को करीब 11 बजे तक अब्दुल्लाह आजम खान रामपुर आ जाएंगे.
दरअसल, अब्दुल्ला आजम पर 43 मुकदमें दर्ज हुए थे और सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है. तीन मामलों में रिहाई के परवाने भी सीतापुर जेल भेज दिए गए हैं. अब केवल कागजी औपचारिकता बाकी है और इसके बाद वो आज शाम चार बजे जेल से बाहर निकल सकते हैं. अब सवाल उठता है कि जब अब्दुल्ला आजम के ऊपर कई आपराधिक मामले लंबित हैं तो क्या वह चुनाव लड़ने के योग्य हैं? इसका जवाब टटोलने पर पता चलता है कि वह चुनाव लड़ने के पूरी तरह से योग्य हैं.
आज की तारीख में अब्दुल्ला आजम के ऊपर चल रहे मुकदमों के जो हालात हैं, उसके मुताबिक उनके चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं होगी. उन्हें अभी तक किसी भी आपराधिक मुकदमे में सजा नहीं हुई है. सभी ट्रायल में हैं और सब में गवाही चल रही है. गलत जन्म प्रमाणपत्र देने का मामला उन पर जरूर साबित हुआ था, जिसके चलते 16 दिसंबर 2019 को उनकी विधायकी चली गयी थी लेकिन, इससे उनके चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं लगेगी. ये मामला सिविल का था न कि फौजदारी का.
बता दें कि रामपुर की स्वार सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खां ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ इलेक्शन पिटीशन दाखिल की थी. पिटीशन नंबर 8/2017 के मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को उनकी सदस्यता रद्द करने के आदेश दिये थे. उनके ऊपर अपनी उम्र छिपाने के आरोप सही साबित हुए थे. आरोप था कि जब 2017 का चुनाव अब्दुल्ला आजम ने लड़ा था तब उनकी उम्र 25 साल नहीं हुई थी.
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