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आजम खान का छलका दर्द, बोले- मेरी तबाही में अपनों का ही हाथ

सीतापुर जेल से रिहा होकर सपा नेता आजम खान दोपहर बाद रामपुर अपने आवास पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेरी तबाही में अपनों का ही हाथ था.

आजम खान.
आजम खान.
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Published : May 20, 2022, 6:12 PM IST

Updated : May 21, 2022, 11:13 AM IST

रामपुरः सपा नेता आजम खान 27 महीने के बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर अपने आवास पर पहुंचे, जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. आजम खान ने घर पहुंचने पर मीडिया से बातचीत करते हुए रामपुर की जनता का शुक्रिया अदा किया और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिए गए फैसले का भी स्वागत किया. आजम खान ने कहा कि मेरी तबाही में अपनों का ही हाथ था. उन्होंने कहा कि 'इमरजेंसी के दौरान भी जेल गया था. जौहर यूनिवर्सिटी हमेशा बुलंद रहेगी. बाबरी और ज्ञानवापी की सुनवाई में काफी अंतर है. मेरा मिशन कभी सियासी नहीं था. मैं कई हादसों को जीतकर वापस आया हूं. इंसाफ करने वालों का शुक्रिया करता हूं.

मीडिया से बातचीत करते आजम खान.

आजम खान ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने ही किए हैं. मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा और मेरा वक्त एक बार फिर लौटकर आएगा. जेल के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता कैदी की तरह जेल में रखा गया.

आजम खान ने आगे कहा कि सैलाब को सैलाब से नहीं रोका जा सकता. कभी आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता और कभी नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता. उन्होंने कहा कि जुल्म की मुद्दत बहुत लंबी नहीं होती और न जालिम की मुद्दत बहुत होती है. तारीख गवाह है जब जुल्म खत्म होता है तो जालिम भी खत्म होता है.

मीडिया से बातचीत करते आजम खान.

आजम खान ने बताया कि मैं यहां हूं तो यह एक चमत्कार है. क्योंकि हमें जहां रखा गया था. वहां पर अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था, जिन्हें अगले दिन फांसी देनी होती थी. मेरे कमरे के पास ही फांसी घर था.

इसे भी पढ़ें-27 महीने बाद जेल से रिहा होने पर भावुक हुए आजम खां, समर्थकों से गले मिलते समय भर आयी आंखें

रामपुरः सपा नेता आजम खान 27 महीने के बाद सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर अपने आवास पर पहुंचे, जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. आजम खान ने घर पहुंचने पर मीडिया से बातचीत करते हुए रामपुर की जनता का शुक्रिया अदा किया और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दिए गए फैसले का भी स्वागत किया. आजम खान ने कहा कि मेरी तबाही में अपनों का ही हाथ था. उन्होंने कहा कि 'इमरजेंसी के दौरान भी जेल गया था. जौहर यूनिवर्सिटी हमेशा बुलंद रहेगी. बाबरी और ज्ञानवापी की सुनवाई में काफी अंतर है. मेरा मिशन कभी सियासी नहीं था. मैं कई हादसों को जीतकर वापस आया हूं. इंसाफ करने वालों का शुक्रिया करता हूं.

मीडिया से बातचीत करते आजम खान.

आजम खान ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने ही किए हैं. मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा और मेरा वक्त एक बार फिर लौटकर आएगा. जेल के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता कैदी की तरह जेल में रखा गया.

आजम खान ने आगे कहा कि सैलाब को सैलाब से नहीं रोका जा सकता. कभी आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता और कभी नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता. उन्होंने कहा कि जुल्म की मुद्दत बहुत लंबी नहीं होती और न जालिम की मुद्दत बहुत होती है. तारीख गवाह है जब जुल्म खत्म होता है तो जालिम भी खत्म होता है.

मीडिया से बातचीत करते आजम खान.

आजम खान ने बताया कि मैं यहां हूं तो यह एक चमत्कार है. क्योंकि हमें जहां रखा गया था. वहां पर अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था, जिन्हें अगले दिन फांसी देनी होती थी. मेरे कमरे के पास ही फांसी घर था.

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Last Updated : May 21, 2022, 11:13 AM IST
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