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अमेरिका के हाथों से वसीम लिखेगा अपनी तकदीर, जानिए कैसे?

रामपुर में पैर से पढ़ाई-लिखाई करने वाले वसीम के लिए अमेरिका से 6 लाख के कृत्रिम हाथ (Artificial hand ordered from America) मंगवाए गए है. आइए जानते है क्या पूरा मामला...

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स्कूल में पढ़ाई करता वसीम
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Published : Dec 16, 2022, 7:13 PM IST

वसीम के बारे में जानकारी देते स्कूल टीचर और जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार

रामपुर: सैदनगर ब्लॉक में अपने पैरों से किस्मत लिख रहे वसीम आने वाले दिनों में अपने हाथों से लिख-पढ़ सकेगा. वसीम के लिए अमेरिका से 6 लाख का कृत्रिम हाथ मंगवाए गए हैं. जिला प्रशासन ने इसके लिए 3 लाख रुपये जमा कर दिए है.

जानकारी के मुताबिक, वसीम पुत्र हिदायत अली बेजवा गांव सैदनगर का निवासी है. 4 साल पहले करंट से वसीम के दोनों हाथ झुलस गए थे, जिन्हें काटना पड़ा था. इतने बड़े हादसे के बाद भी वसीम ने अपनी हिम्मत और जज्बा कम नहीं किया और वह अपने पैरों से लिखना-पढ़ना शुरू किया. वसीम कम्पोजिट विद्यालय घाटमपुर में कक्षा 3 का छात्र है.

वसीम के क्लास टीचर मलखान सिंह ने बताया कि 4 साल पहले वसीम के साथ हादसा हुआ था. इसके घर के ऊपर से एक हाईटेंशन तार गई थी. वसीम का हाथ उसी तार में छू गया, जिससे वसीम के दोनों हाथ बुरी तरह से झुलस गए. उसके दोनों हाथ को काटना पड़ा. वसीम पढ़ने में भी बहुत अच्छा है.

वहीं, जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जिला अधिकारी के नेतृत्व में रामपुर में मिशन समर्थ चलाया जा रहा है. इस मिशन के जरिए हम दिव्यांग बच्चों की सर्जरी कराते है. इस मिशन में वसीम नाम के एक बच्चे का भी नाम शामिल है, जो सैदनगर ब्लॉक के घाटमपुर स्कूल में पढ़ता है. 4 साल पहले वसीम के दोनों हाथ बिजली के तारों से झुलस गए थे. इस पर डीएम साहब ने कृत्रिम हाथ के बारे में पता लगाने को कहा. जानकारी करने पर चला कि दिल्ली में एक हॉस्पिटल है, जहां कृत्रिम अंग लगाए जाते है. वहां 6 लाख रुपये में कृत्रिम हाथ लगवाने की बात तय की गई. जिला प्रशासन ने 3 लाख रुपये भुगतान कर दिए है.

अधिकारी ने बताया कि 10 दिन में बच्चे को कृत्रिम हाथ लगा दिए जाएंगे. इस हाथ में खास तरह का सेंसर होगा. यह सेंसर वसीम के दिमाग को पढ़कर उससे मिलने वाले सिग्नल के आधार पर काम करेगा. जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जिला प्रशासनिक सहयोग से हमने चाइल्ड केयर फंड बनाया है, जिसमें कोई भी पैसे दान कर सकता है. उसी पैसों से हमने गरीब लोगों के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया है. उसी के तहत यह बच्चे का इलाज हो रहा है.

यह भी पढ़ें: आजम नहीं अब उद्योग नगरी के रूप में पहचाना जाएगा रामपुर : आकाश सक्सेना

वसीम के बारे में जानकारी देते स्कूल टीचर और जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार

रामपुर: सैदनगर ब्लॉक में अपने पैरों से किस्मत लिख रहे वसीम आने वाले दिनों में अपने हाथों से लिख-पढ़ सकेगा. वसीम के लिए अमेरिका से 6 लाख का कृत्रिम हाथ मंगवाए गए हैं. जिला प्रशासन ने इसके लिए 3 लाख रुपये जमा कर दिए है.

जानकारी के मुताबिक, वसीम पुत्र हिदायत अली बेजवा गांव सैदनगर का निवासी है. 4 साल पहले करंट से वसीम के दोनों हाथ झुलस गए थे, जिन्हें काटना पड़ा था. इतने बड़े हादसे के बाद भी वसीम ने अपनी हिम्मत और जज्बा कम नहीं किया और वह अपने पैरों से लिखना-पढ़ना शुरू किया. वसीम कम्पोजिट विद्यालय घाटमपुर में कक्षा 3 का छात्र है.

वसीम के क्लास टीचर मलखान सिंह ने बताया कि 4 साल पहले वसीम के साथ हादसा हुआ था. इसके घर के ऊपर से एक हाईटेंशन तार गई थी. वसीम का हाथ उसी तार में छू गया, जिससे वसीम के दोनों हाथ बुरी तरह से झुलस गए. उसके दोनों हाथ को काटना पड़ा. वसीम पढ़ने में भी बहुत अच्छा है.

वहीं, जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जिला अधिकारी के नेतृत्व में रामपुर में मिशन समर्थ चलाया जा रहा है. इस मिशन के जरिए हम दिव्यांग बच्चों की सर्जरी कराते है. इस मिशन में वसीम नाम के एक बच्चे का भी नाम शामिल है, जो सैदनगर ब्लॉक के घाटमपुर स्कूल में पढ़ता है. 4 साल पहले वसीम के दोनों हाथ बिजली के तारों से झुलस गए थे. इस पर डीएम साहब ने कृत्रिम हाथ के बारे में पता लगाने को कहा. जानकारी करने पर चला कि दिल्ली में एक हॉस्पिटल है, जहां कृत्रिम अंग लगाए जाते है. वहां 6 लाख रुपये में कृत्रिम हाथ लगवाने की बात तय की गई. जिला प्रशासन ने 3 लाख रुपये भुगतान कर दिए है.

अधिकारी ने बताया कि 10 दिन में बच्चे को कृत्रिम हाथ लगा दिए जाएंगे. इस हाथ में खास तरह का सेंसर होगा. यह सेंसर वसीम के दिमाग को पढ़कर उससे मिलने वाले सिग्नल के आधार पर काम करेगा. जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जिला प्रशासनिक सहयोग से हमने चाइल्ड केयर फंड बनाया है, जिसमें कोई भी पैसे दान कर सकता है. उसी पैसों से हमने गरीब लोगों के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया है. उसी के तहत यह बच्चे का इलाज हो रहा है.

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