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रामपुर पब्लिक स्कूल का मामला: आजम खान को लग सकता है बड़ा झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट में रामपुर पब्लिक स्कूल (Allahabad High Court on Rampur Public School) को लेकर सुनवाई हुई. मंगलवार को इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया. माना जा रहा है कि सपा नेता आजम खान (SP leader Azam Khan) को बड़ा झटका लग सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 11:58 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के भवन में पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म खां (SP leader Azam Khan) द्वारा रामपुर पब्लिक स्कूल खोलने की योजना को रद्द करने के आदेश के विरुद्ध दाखिल याचिका पर सोमवार को निर्णय सुरक्षित कर लिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल (Allahabad High Court on Rampur Public School) के छात्रों को अन्यत्र समायोजित करने की योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारिणी परिषद की याचिका पर अधिवक्ता इमरान उल्लाह, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव को सुनकर दिया. राज्य सरकार ने रामपुर में सरकारी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था, जिसके लिए जमीन अधिगृहीत की गई. 80 फीसदी भवन निर्माण कार्य भी पूरा हो गया. उस समय के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पर दबाव डालकर कैबिनेट प्रस्ताव पारित कराया और सरकारी संस्था को मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया.

अल्पसंख्यक मंत्रालय की कई आपत्तियां थीं लेकिन उन्हें नजर अंदाज किया गया. आपत्ति थी कि सरकारी संस्था को प्राइवेट संस्थान से संबद्ध नहीं किया जा सकता. हितों में टकराव के कारण सरकार को 20.44 करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट की भी अनदेखी की गई. महाधिवक्ता की विधिक राय लेकर विधि विभाग की राय की अनदेखी कर कैबिनेट मंत्री ने सरकारी संस्था को प्राइवेट विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया और एक एकड़ जमीन की 100 रुपये किराये पर 99 साल की लीज कैबिनेट मंत्री ने स्वयं अनुमोदित कर ली, जो ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं.

सरकारी संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल स्थापित कर लिया गया. सरकार बदलने पर शिकायत की गई, जिस पर एसआईटी गठित हुई. उसकी रिपोर्ट हाई पावर कमेटी ने कैबिनेट के समक्ष रखी. रिपोर्ट के अवलोकन के बाद वर्तमान कैबिनेट ने 2014 के प्रस्ताव को पलट दिया और लीज निरस्त कर दी. साथ ही रामपुर पब्लिक स्कूल को कब्जे में लेकर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान स्थापित किया. याचिका में इसे चुनौती दी गई है.

याची का कहना है कि कैबिनेट के फैसले को दूसरी सरकार रद्द नहीं कर सकती. ऐसा करने से पहले याची को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो नैसर्गिक न्याय के विपरीत है. सरकार की ओर से कहा गया नीतिगत मामलों में किसी पक्ष को सुनवाई का मौका देने का औचित्य नहीं है. एक सरकारी संस्था को प्राइवेट सोसायटी से संबद्ध नहीं किया जा सकता. ऐसा करना ग्रांट एक्ट का उल्लघंन है. मंगलवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया.

ये भी पढ़ें- कालेधन का जौहर ! आजम की यूनिवर्सिटी में खर्च हुए 448 करोड़ रुपये, बड़े पैमाने पर धाधंली

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के भवन में पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आज़म खां (SP leader Azam Khan) द्वारा रामपुर पब्लिक स्कूल खोलने की योजना को रद्द करने के आदेश के विरुद्ध दाखिल याचिका पर सोमवार को निर्णय सुरक्षित कर लिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर पब्लिक स्कूल (Allahabad High Court on Rampur Public School) के छात्रों को अन्यत्र समायोजित करने की योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की कार्यकारिणी परिषद की याचिका पर अधिवक्ता इमरान उल्लाह, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव को सुनकर दिया. राज्य सरकार ने रामपुर में सरकारी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था, जिसके लिए जमीन अधिगृहीत की गई. 80 फीसदी भवन निर्माण कार्य भी पूरा हो गया. उस समय के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पर दबाव डालकर कैबिनेट प्रस्ताव पारित कराया और सरकारी संस्था को मौलाना जौहर अली विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया.

अल्पसंख्यक मंत्रालय की कई आपत्तियां थीं लेकिन उन्हें नजर अंदाज किया गया. आपत्ति थी कि सरकारी संस्था को प्राइवेट संस्थान से संबद्ध नहीं किया जा सकता. हितों में टकराव के कारण सरकार को 20.44 करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट की भी अनदेखी की गई. महाधिवक्ता की विधिक राय लेकर विधि विभाग की राय की अनदेखी कर कैबिनेट मंत्री ने सरकारी संस्था को प्राइवेट विश्वविद्यालय से संबद्ध करा लिया और एक एकड़ जमीन की 100 रुपये किराये पर 99 साल की लीज कैबिनेट मंत्री ने स्वयं अनुमोदित कर ली, जो ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं.

सरकारी संस्थान के भवन में रामपुर पब्लिक स्कूल स्थापित कर लिया गया. सरकार बदलने पर शिकायत की गई, जिस पर एसआईटी गठित हुई. उसकी रिपोर्ट हाई पावर कमेटी ने कैबिनेट के समक्ष रखी. रिपोर्ट के अवलोकन के बाद वर्तमान कैबिनेट ने 2014 के प्रस्ताव को पलट दिया और लीज निरस्त कर दी. साथ ही रामपुर पब्लिक स्कूल को कब्जे में लेकर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान स्थापित किया. याचिका में इसे चुनौती दी गई है.

याची का कहना है कि कैबिनेट के फैसले को दूसरी सरकार रद्द नहीं कर सकती. ऐसा करने से पहले याची को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो नैसर्गिक न्याय के विपरीत है. सरकार की ओर से कहा गया नीतिगत मामलों में किसी पक्ष को सुनवाई का मौका देने का औचित्य नहीं है. एक सरकारी संस्था को प्राइवेट सोसायटी से संबद्ध नहीं किया जा सकता. ऐसा करना ग्रांट एक्ट का उल्लघंन है. मंगलवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया.

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