रायबरेली: जिले में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना रहा है. सालों से विभिन्न प्रकार की रामलीला का कार्यक्रम रायबरेली जिले में होता रहा है. दशहरे के दिन सुबह से ही रावण दहन की तैयारी शुरू हो गई थी.रायबरेली शहर में ही करीब 12 से ज्यादा जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम हुआ. हर स्थल का अपना अनोखा अंदाज था. अपनी ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर सभी पुरानी परम्पराओं को निभाया गया.
रायबरेली शहर के सुरजुपुर रामलीला कमिटी के संरक्षक अवधेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि करीब 800 से ज्यादा वर्षों से यहां रामलीला मंचन का कार्यक्रम हो रहा है. सदियों से इस परंपरा को सहेज कर रखने के साथ ही सकुशल निर्वाहन भी किया जा रहा है. 10 -12 दिन की कारीगर की कड़ी मशक्कत के बाद रावण का पुतला तैयार होता है. इस बार के पुतले की खासियत बताते हुए संरक्षक दावा करते हैं कि पुतले को बनाने में पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त रखा गया है.
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सालों पुरानी इस रामलीला मंचन और रावण दहन कार्यक्रम में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल भी कायम होती है. रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाजी का जिम्मा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर होता है.