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रायबरेली: 800 साल पुरानी रामलीला मंचन के साथ हुआ रावण का दहन, धूं-धूं कर जले दशानन

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Published : Oct 9, 2019, 2:47 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में दशहरा धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान 800 साल पुरानी रामलीला मंचन के साथ ही रावण का पुतला जलाया गया.

धूं-धूं करा जले दशानन.

रायबरेली: जिले में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना रहा है. सालों से विभिन्न प्रकार की रामलीला का कार्यक्रम रायबरेली जिले में होता रहा है. दशहरे के दिन सुबह से ही रावण दहन की तैयारी शुरू हो गई थी.रायबरेली शहर में ही करीब 12 से ज्यादा जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम हुआ. हर स्थल का अपना अनोखा अंदाज था. अपनी ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर सभी पुरानी परम्पराओं को निभाया गया.

धूं-धूं करा जले दशानन.

रायबरेली शहर के सुरजुपुर रामलीला कमिटी के संरक्षक अवधेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि करीब 800 से ज्यादा वर्षों से यहां रामलीला मंचन का कार्यक्रम हो रहा है. सदियों से इस परंपरा को सहेज कर रखने के साथ ही सकुशल निर्वाहन भी किया जा रहा है. 10 -12 दिन की कारीगर की कड़ी मशक्कत के बाद रावण का पुतला तैयार होता है. इस बार के पुतले की खासियत बताते हुए संरक्षक दावा करते हैं कि पुतले को बनाने में पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त रखा गया है.

ये भी पढ़ें- विजयदशमी 2019: अधर्म पर धर्म की हुई जीत, धूं-धूं करा जले दशानन

सालों पुरानी इस रामलीला मंचन और रावण दहन कार्यक्रम में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल भी कायम होती है. रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाजी का जिम्मा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर होता है.

रायबरेली: जिले में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना रहा है. सालों से विभिन्न प्रकार की रामलीला का कार्यक्रम रायबरेली जिले में होता रहा है. दशहरे के दिन सुबह से ही रावण दहन की तैयारी शुरू हो गई थी.रायबरेली शहर में ही करीब 12 से ज्यादा जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम हुआ. हर स्थल का अपना अनोखा अंदाज था. अपनी ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर सभी पुरानी परम्पराओं को निभाया गया.

धूं-धूं करा जले दशानन.

रायबरेली शहर के सुरजुपुर रामलीला कमिटी के संरक्षक अवधेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि करीब 800 से ज्यादा वर्षों से यहां रामलीला मंचन का कार्यक्रम हो रहा है. सदियों से इस परंपरा को सहेज कर रखने के साथ ही सकुशल निर्वाहन भी किया जा रहा है. 10 -12 दिन की कारीगर की कड़ी मशक्कत के बाद रावण का पुतला तैयार होता है. इस बार के पुतले की खासियत बताते हुए संरक्षक दावा करते हैं कि पुतले को बनाने में पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त रखा गया है.

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सालों पुरानी इस रामलीला मंचन और रावण दहन कार्यक्रम में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल भी कायम होती है. रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाजी का जिम्मा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर होता है.

Intro:विजयादशमी स्पेशल -

रायबरेली स्पेशल:रावण दहन के दौरान मिलती है सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल,मुस्लिम करता आतिशबाजी की व्यवस्था


आठ सौ साल पुरानी राम लीला मंचन के साथ हुआ रावण का दहन,धुंए के गुबार में नष्ट हुआ पुतला


08 अक्टूबर 2019 - रायबरेली

ज़िले में रामलीला मंचन का इतिहास काफी पुराना रहा है।सालों से विभिन्न प्रकार की रामलीला का कार्यक्रम रायबरेली जनपद में होता रहा है दशहरे के दिन सुबह से ही रावण दहन की तैयारी शुरू हो गई थी।रायबरेली शहर में ही करीब एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर रावण दहन का कार्यक्रम तय था।हर स्थल का अपना अनोखा अंदाज़ था और अपनी ऐतिहासिक विरासत को सहेज कर सभी पुरानी परमपराओं को निभा रहे थे।राम लीला मंचन व रावण दहन में समाज के सभी वर्गों का सहयोग रहता है।शहर के सुरजुपुर स्थित राम लीला कमिटी में बीते 800 सालों से लगातार राम लीला व रावण दहन का कार्यक्रम सुचारु रुप से चल रहा है,खास बात यह है कि मुस्लिम भाइयों द्वारा रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाजी की व्यवस्था की जाती है जिसके लिए कोई शुल्क भी उनके द्वारा नही लिया जाता है।








Body:'सिंगल यूज़ प्लास्टिक कंपैन' को सपोर्ट करता सुरजुपुर का 800 वर्ष पुराना रावण दहन -

रायबरेली शहर के सुरजुपुर राम लीला कमिटी के संरक्षक अवधेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि करीब 800 से ज्यादा वर्षो से यहां राम लीला मंचन का कार्यक्रम हो रहा है।सदियों से इस परंपरा को सहेज कर रखने के साथ ही सकुशल निर्वाहन भी किया जा रहा है।40 फ़ीट से ज्यादा रावण के पुतले की लंबाई बताते हुए दावा करते है कि जनपद के सबसे प्राचीन राम लीला मंचन कार्यक्रमों में वो शुमार है साथ ही रावण के पुतले को भी विशेष कारीगर द्वारा अंजाम दिया जाता है।जिसकी लागत करीब 1 लाख से ऊपर बैठती है।10 - 12 दिन की कारीगर की कड़ी मशक्कत के बाद पुतला तैयार होता है।इस बार के पुतले की ख़ासियत बताते हुए संरक्षक दावा करते है कि 'एनवायर्नमेंटल फ्रेंडली' पुतले को बनाने में पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त रखा गया है।जो सरकार की सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन कंपैन को सपोर्ट कर रहा है।

मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा की जाती है आतिशबाजी की व्यवस्था-

सालों पुरानी इस रामलीला मंचन व रावण दहन कार्यक्रम में गंगा- जमुनी तहजीब की मिसाल भी कायम होती है। रावण दहन के दौरान होने वाली आतिशबाजी का जिम्मा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर होता है।करीब 10 से ज्यादा वर्षों से लगातार आतिशबाजी की व्यवस्था करने वाले मोहम्मद कलीम कहते हैं इस कार्यक्रम के लिए वह लागत की चिंता नहीं करते और न ही उनके द्वारा रुपए - पैसे का लेन-देन होता।चुकी परंपरा वर्षों से चली आ रही यही कारण है इसको निभाने में उनके द्वारा भी अपना योगदान दिया जाता है।





Conclusion:बाइट 1 :अवधेश चंद्र त्रिपाठी - संरक्षक -सुरजुपुर राम लीला कमिटी, रायबरेली

बाइट 2 :मो.कलीम - आतिशबाज - रावण दहन - सुरजुपुर राम लीला कमिटी, रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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