रायबरेली: आगामी 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस से नशा मुक्त भारत अभियान का सरकार शुभारंभ कर रही है. पूरे देश में 272 जनपदों का चयन किया गया है. इसमें प्रदेश के 33 जनपद शामिल किए गए हैं. रायबरेली भी चुने गए जनपदों में शुमार है. कलेक्ट्रेट परिसर के बचत भवन सभागार में इसकी तैयारियों को लेकर बैठक की गई और हरहाल में अभियान को सफल बनाने पर जोर दिया गया. नशा मुक्त भारत अभियान योजना के अंतर्गत आयोजित इस बैठक में तम्बाकू, धूम्रपान समेत हर प्रकार के नशे के सेवन को जानलेवा करार दिया गया.
तंबाकू के सेवन से हो रही लाखों की मौत
अपर जिलाधिकारी प्रशासन द्वारा निर्देश दिए गए कि नशा मुक्त भारत अभियान और कार्य योजना को कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण से रोकथाम व बचाव को दृष्टिगत रखते हुए स्वास्थ्य प्रोटोकाल व नियमानुसार ही कार्य किए जाएं. अपर पुलिस अधीक्षक नित्यानन्द राय ने बचत भवन के सभागार में कहा कि अकेले तम्बाकू का सेवन करने वाले 60 लाख लोग हर साल तंबाकू के सेवन से अपनी जान गंवाते हैं. इसमें लगभग 9 लाख भारतीय तंबाकू के सेवन से मरते हैं.
यह संख्या क्षय रोग, एड्स और मलेरिया के कारण मरने वाले लोगों से अधिक है. प्रतिदिन 2,200 से अधिक भारतीय तंबाकू सेवन के प्रयोग से मरते हैं. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 में धूम्रपान से मरने वालों की संख्या लगभग 83 लाख होगी. इस दौरान अधिकारियों ने नशा मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए गठित समिति के सदस्यों से अपील की.
इस तरफ से नशा मुक्त बनेगा जिला
कोविड-19 कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम के दृष्टिगत रखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हेल्पडेस्क को पूरी तरह से सक्रिय रखा जाए. हेल्पडेस्क के इर्द-गिर्द सूचना विभाग से प्राप्त पोस्टर लगाए जाएं. विश्व भर में रोकी जा सकने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण तंबाकू सेवन है. धूम्रपान के अलावा तंबाकू सेवन के कई प्रकार हैं जर्दा, खैनी, हुक्का, गुटखा, तंबाकू युक्त पान मसाला, मावा, मिसरी, गुल आदि. यह भी बीड़ी सिगरेट की ही तरह हानिकारक हैं.
सरकार तंबाकू के सेवन को रोकने के लिए पूरी तरह से गम्भीर है. अतः जागरूकता के माध्यम से जनमानस में सभी प्रकार के तंबाकू के सेवन से दूर रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अभियान के तहत समिति का गठन किया गया है. समिति के सदस्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर लोगों को नशे से निजात दिलाएं. नशा मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत पीड़ितों की पहचान की जाए और उन्हें नशा पुर्नवास केन्द्र में भर्ती कर इलाज दिया जाए. इस दौरान शिक्षण संस्थाओं के आस-पास 100 मीटर की परिधि में तंबाकू उत्पाद वस्तुओं की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाने के निर्देश भी दिए गए.