रायबरेली : रायबरेली जिले के कलेक्ट्रेट परिसर में गुरुवार को उस समय अफरा तफरी मच गई, जब सैकड़ों की संख्या में कोचिंग व स्कूल संचालक हाथों में तख्तियां लेकर पहुंच गए. इनका कहना था कि पिछले डेढ़ साल से उनके संस्थान बंद होने की वजह से वो भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है. कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे लोगों की मांग थी कि, सरकार कोविड निर्देशों के पालन करने के साथ उनके संस्थानों को खोलने की परमिशन दे, जिससे उनके घर के चूल्हे जल सकें.
दरअसल, कोरोना के चलते प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद चल रहे हैं. ऐसे में कोचिंग व स्कूल संचालकों का कहना है कि उनके आय के साधन बंद हो गए हैं, उनके यहां भूखमरी जैसे हालात हो गए हैं. संस्थानों को खोलने की मांग को लेकर आज सैकड़ों की संख्या में कोचिंग व स्कूल संचालक कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे. हाथों में बैनर व तख्तियां लिए हुए सैकड़ों लोगों ने शहर व ग्रामीण इलाकों में चल रहे कोचिंग व स्कूल खोलने को आदेश देने की मांग की, ताकि वो अपनी आजीविका चला सकें.
लोगों का कहना था कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले 18 माह से उनके संस्थान बन्द चल रहे हैं, जिसकी वजह से वे भुखमरी के कगार पर पहुच गए हैं. बैंक की किस्त से लेकर बिजली के बिल तक का भुगतान नहीं हो पा रहा है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मांग की है कि उनका बिजली का बिल माफ किया जाए. उनका कहना था कि मजबूर होकर आज वे गुहार लगाने के लिए जिलाधिकारी के पास पहुंचे हैं. लोगों का कहना है कि या तो हमें सहायता दी जाए, या हमारे संस्थानों को खोलने की अनुमति दी जाए.
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कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा की सभी को सरकार कुछ न कुछ राहत दे रही है, लेकिन हम लोगों को कुछ नहीं मिल रहा है. हमें बिजली के बिल से लेकर गाड़ियों की ईएमआई तक भरनी है. बच्चों के परिजनों पर जो फीस बकाया है वो भी नहीं मिल रही है. ऐसे में सरकार को हम लोगों को संस्थान खोलने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि हम भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.