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रायबरेली के अभय ने कलम पकड़ाकर दिव्यांगों को बना दिया लेखनी का महारथी

बेसिक शिक्षा विभाग में समेकित शिक्षा के तहत अभय श्रीवास्तव दिव्यांगों बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखा रहे हैं. अभय को उनके इस काम के लिए साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सम्मानित भी कर चुके हैं.

अभय श्रीवास्तव.
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Published : Feb 9, 2019, 3:59 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: हर रोज गिर कर भी, मुकम्मल खड़े हैं...ऐ जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं....ये अल्फाज हमारे लिए मायने रखते हों या नहीं, लेकिन रायबरेली के उन दिव्यांगजनों की हकीकत बन चुके हैं, जिनके परों को शिक्षक अभय श्रीवास्तव ने उड़ना सिखा दिया है. समाज की नजरों में जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, सुन भी नहीं सकते, उनके छिपे हुनर को संवारकर अभय ने उनकी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है.

जानकारी देते अभय श्रीवास्तव.
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रायबरेली के रहने वाले अभय ने बेसिक शिक्षा विभाग में समेकित शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य रखा है. परिवार के ठुकराए इन बच्चों को शिक्षित करना और समाज में इनकी पहचान को निखारना इनका सपना है. शरीर ही नहीं, मस्तिष्क से भी दिव्यांगता झेल रहे बच्चों को उन्होंने लिखना तो सिखाया ही साथ ही अंग्रेजी में नाम बताना, पैरों से लिखना भी सिखाया है.

दिव्यांगता के बावजूद काबिलियत की इबारत लिखने वाले इन दिव्यांगों के परिजन भी अभय की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं. अभय को उनके इस काम के लिए साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सम्मानित भी कर चुके हैं.

आज अभय समाज के लिए एक मिसाल बन गए हैं, उन्हें देखकर तो बस यही बात याद आती है...जीत की खातिर बस जुनून चाहिए, जिसमें उबाल हो, ऐसा खून चाहिए...ये आसमां भी आएगा जमीं पर, बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए…….

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रायबरेली: हर रोज गिर कर भी, मुकम्मल खड़े हैं...ऐ जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं....ये अल्फाज हमारे लिए मायने रखते हों या नहीं, लेकिन रायबरेली के उन दिव्यांगजनों की हकीकत बन चुके हैं, जिनके परों को शिक्षक अभय श्रीवास्तव ने उड़ना सिखा दिया है. समाज की नजरों में जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, सुन भी नहीं सकते, उनके छिपे हुनर को संवारकर अभय ने उनकी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है.

जानकारी देते अभय श्रीवास्तव.
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रायबरेली के रहने वाले अभय ने बेसिक शिक्षा विभाग में समेकित शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य रखा है. परिवार के ठुकराए इन बच्चों को शिक्षित करना और समाज में इनकी पहचान को निखारना इनका सपना है. शरीर ही नहीं, मस्तिष्क से भी दिव्यांगता झेल रहे बच्चों को उन्होंने लिखना तो सिखाया ही साथ ही अंग्रेजी में नाम बताना, पैरों से लिखना भी सिखाया है.

दिव्यांगता के बावजूद काबिलियत की इबारत लिखने वाले इन दिव्यांगों के परिजन भी अभय की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं. अभय को उनके इस काम के लिए साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सम्मानित भी कर चुके हैं.

आज अभय समाज के लिए एक मिसाल बन गए हैं, उन्हें देखकर तो बस यही बात याद आती है...जीत की खातिर बस जुनून चाहिए, जिसमें उबाल हो, ऐसा खून चाहिए...ये आसमां भी आएगा जमीं पर, बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए…….

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रायबरेली के अभय ने कलम पकड़ाकर दिव्यांगों को बना दिया लेखनी का महारथी



हर रोज गिर कर भी, मुकम्मल खड़े हैं...

ऐ जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं....

ये अल्फाज हमारे लिए मायने रखते हों या नहीं, लेकिन रायबरेली के उन दिव्यांगजनों की हकीकत बन चुके हैं, जिनके परों को शिक्षक अभय श्रीवास्तव ने उड़ना सिखा दिया है...

समाज की नजरों में जो बोल नहीं सकते... देख नहीं सकते... सुन भी नहीं सकते, उनके छिपे हुनर को संवारकर अभय ने उनकी जिंदगी को खुशियों से भर दिया है...

रायबरेली के रहने वाले अभय ने बेसिक शिक्षा विभाग में समेकित शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य रखा है... परिवार के ठुकराए इन बच्चों को शिक्षित करना और समाज में इनकी पहचान को निखारना इनका सपना है...

बाइट - अभय (00:36-00:58)

शरीर ही नहीं, मस्तिष्क से भी दिव्यांगता झेल रहे बच्चों को उन्होंने लिखना तो सिखाया ही... साथ ही अंग्रेजी में नाम बताना, पैरों से लिखना भी सिखाया है....

बाइट - अभय...(04:12-04:15)

दिव्यांगता के बावजूद काबिलियत की इबारत लिखने वाले इन दिव्यांगों के परिजन भी अभय की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं... अभय को उनके इस काम के लिए साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सम्मानित भी कर चुके हैं...

बाइट - अभिभावक (03:25-03:28)

आज अभय समाज के लिए एक मिसाल बन गए हैं... उन्हें देखकर तो बस यही बात याद आती है...

जीत की खातिर बस जुनून चाहिए, जिसमें उबाल हो, ऐसा खून चाहिए,

ये आसमां भी आएगा जमीं पर, बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए…….




Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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