रायबरेली: कोरोना से बचाव को लेकर सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाया गया. वहीं अनलॉक-1 की घोषणा के साथ ही सरकार सब कुछ वापस पटरी पर लाने की बात कह रही है, लेकिन किसानों की समस्याओं का कोई समाधान होता फिलहाल नहीं दिख रहा है. यही कारण है कि अब अन्नदाता सरकार से सिर्फ घोषणाएं करने की ही नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने को कह रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में किसान सरकार से कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं.
लागत निकालना भी हो रहा मुश्किल
रायबरेली में मिर्ची की खेती कर रहे किसानों पर कोरोनाकाल आर्थिक बदहाली के दिन लेकर आया है. किसानों को मिर्ची की खेती से मुनाफा तो दूर लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है. एक तरफ परिवार के खर्चे का बोझ और दूसरी तरफ कर्ज अदायगी की चिंता, उनके भविष्य को अंधकार में डूबो रही है. यही कारण है कि अब वह सरकार से राहत देने की गुहार कर रहे हैं.
किसानों को हो रहा नुकसान
भदोखर थाना क्षेत्र के छोटेलाल कहते है कि वे मिर्ची की खेती बीते 10 सालों से लगातार कर रहे हैं. वह अयोध्या के नजदीक से उच्च गुणवत्ता का पौधा लाकर मिर्ची की खेती करते हैं. बेहतर पैदावार होने पर अच्छी आमदनी भी होती है. पारंपरिक खेती की अपेक्षा मिर्ची की खेती में कमाई 3 गुना ज्यादा होती है, पर पहले लॉकडाउन फिर अनलॉक-1 में भी जरूरत के मुताबिक बाजार में मांग न होने के कारण काफी नुकसान हो रहा है.
परिवार के सामने आर्थिक संकट
छोटेलाल ने कहा कि अब साल भर का खर्चा कैसे चलेगा, इसकी चिंता सता रही है. परिवार में 11 सदस्य हैं और खेती का ही सहारा है. यह सीजन पूरा बर्बाद हो गया है. बैंक से लिए गए कर्ज की चिंता अलग सता रही है. उन्होंने सरकार से किसानों के लिए कुछ ठोस कदम उठाने और कर्जमाफी की राहत दिए जाने की गुहार लगाई है.
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करीब 2 महीने से ज्यादा के लॉकडाउन के दौरान किसानों की फसलों पर आफत की बारिश हुई. हालांकि 1 जून से सरकार ने अनलॉक-1 की घोषणा की थी. बाजारों के भी औपचारिक रूप से खुलने के निर्देश दिए गए थे, पर उपज का कम दाम मिलना और मांग में आ रही भारी कमी के कारण अन्नदाता को बेहिसाब नुकसान उठाना पड़ रहा है. यही कारण है कि कर्जमाफी की मांग अब जोर पकड़ती दिख रही है.