रायबरेली: देश की प्रमुख सड़क निर्माण इकाई राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन कार्य करती है. रायबरेली-प्रयागराज 2 लेन प्रोजेक्ट का जिम्मा इसी संस्था ने लिया था. जिसके निर्माण के लिए मार्च 2019 तक का समय तय किया गया था. एनएचएआई निर्धारित समय में प्रोजेक्ट पूरा करने में नाकामयाब रहा है. जिसके बाद एनएचएआई के जिम्मेदार अधिकारी अब प्रशासनिक मीटिंग में भी शामिल होने से बच रहे हैं. ऐसा करने के पीछे एनएचएआई विभाग की मंडल बैठक का हवाला दे रहा है. फिलहाल जिले में होने वाली जिलाधिकारी की समीक्षा बैठक में एनएचएआई के प्रतिनिधि नहीं पहुंच रहे हैं.
एनएचएआई की लापरवाही से प्रशासन त्रस्त
- सांसद सोनिया गांधी के विशेष प्रयासों से लखनऊ-इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी.
- इसके निर्माण का जिम्मा एनएचएआई को सौंपा गया था.
- इस पूरे प्रोजेक्ट को 2 भागों में साकार किया जाना था.
- इस प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ से रायबरेली के बीच 4 लेन का निर्माण और रायबरेली से इलाहाबाद के बीच 2 लेन हाईवे का निर्माण होना तय हुआ था.
- लखनऊ से रायबरेली के बीच 4 लेन के निर्माण को पूरा करने का दावा कई साल पहले से ही विभाग करता आया है.
- रायबरेली-इलाहाबाद 2 लेन प्रोजेक्ट के लिए मार्च 2019 तक का समय निर्धारित किया गया था.
- निर्धारित समय के बाद लगभग सात महीने गुजर जाने के बावजूद भी काम पूरा नहीं हो सका है.
- मुख्य रुप से ऊंचाहार रेलवे क्रासिंग और रायबरेली शहर से मुंशीगंज कस्बे के मध्य का काम अभी भी पूरा होना बाकी है.
इस मामले को लेकर रायबरेली के अपर जिलाधिकारी प्रशासन राम अभिलाष से ETV भारत ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि एनएचएआई को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि समस्त सेवा प्रदाता कंपनियों सहित विभाग सभी समीक्षा बैठक में शिरकत करें. साथ ही फोन पर विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से कहा गया है कि रखरखाव के जिम्मेदार वेंडर का ऑफिस जिले में होना सुनिश्चित करें, जिससे सड़कों के रखरखाव और उन्हें पूरा करने में कोई आपत्ति न हो.
रायबरेली-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग के पूरा न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस खंड को भी 4 लेन की स्वीकृत मिलने की प्रक्रिया चल रही है यही कारण है कि प्रोजेक्ट पूरा होने में देरी है. इसके साथ ही अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने इस बात को स्वीकार किया कि अभी तक राजधानी लखनऊ से लेकर रायबरेली तक के प्रोजेक्ट के पहले भाग को भी पूरी तरह से नहीं पूरा किया जा सका है.