रायबरेली: इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज को देश की पहली सार्वजनिक उपक्रम बनने का गौरव प्राप्त है. लंबे अरसे बाद बीते वर्ष आईटीआई ने पहले मुनाफा अर्जित किया और अब पुनः सुनहरे काल में प्रवेश करने के दावे कर रहा है. वर्तमान में आईटीआई रायबरेली से जुड़े मौजूदा वर्क आर्डर और भविष्य को लेकर तैयारी चल रही है.
देश में लैंडलाइन टेलीफोन हैंडसेट की जन्मस्थली रही आईटीआई रायबरेली की इस यूनिट ने सुनहरे काल में अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित कीं, लेकिन न जाने इस संस्थान को किसकी नजर लग गई कि देखते ही देखते इकाई घाटे में जाने लगी. एक-दो साल से शुरू हुआ घाटे का सफर कई दशकों तक लंबा खिंचा. फिर हालात ऐसे बन गए कि एंप्लाइज की सैलरी मिलना दूभर हो गया. मजबूरन कर्मचारी और अधिकारी वीआरएस लेने लगे.
सोनिया ने दी करोड़ों की सौगात
एक दौर ऐसा भी आया जब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के पास वर्क ऑर्डर के टोटे हो गए. इसी बीच कांग्रेस का गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली को गांधी परिवार के सदस्यों का सहारा मिला और सोनिया गांधी ने यूपीए शासनकाल में करोड़ों के पैकेज की सौगात भी दी, लेकिन आईटीआई के तारे गर्दिश से नहीं हटे. आईटीआई को उसकी दक्षता के अनुरूप काम नहीं मिल सका, जिसके कारण 10 साल के यूपीए शासनकाल में आईटीआई ने अपने सबसे खराब दिन देखे.
2014 में सरकार जाने के बाद लगा कि घोर अंधकार आएगा और जैसे एक-एक कर सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों ने रायबरेली में दम तोड़ दिया. मोदी सरकार के कार्यकाल में आईटीआई के दिन बहुरने शुरू हुए. भारत नेट परियोजना पर सरकार का विशेष जोर रहा. फेज 1 और फेज 2 को पूरा करने में आईटीआई ने अहम भूमिका निभाई. नतीजा रहा कि लगभग 25 वर्ष बाद आईटीआई रायबरेली पुनः मुनाफा हासिल करने में कामयाब रही. अब 2020 में उम्मीद जताई जा रही है आईटीआई पुनः इतिहास रचने जा रहा है.
आईटीआई के यूनिट हेड ने दी जानकारी
आईटीआई रायबरेली के यूनिट हेड और महाप्रबंधक वीबी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वह दिन दूर नहीं जब आईटीआई दोबारा अपने स्वर्णिम इतिहास को दोहराएगा. भारत नेट परियोजना के जरिए जी-पोन प्रोडक्शन का जिम्मा रायबरेली आईटीआई को मिला था, जिसकी बदौलत न केवल यहां कि इकाई बल्कि आईटीआई की सभी यूनिट के 'रिवाइवल' की पटकथा लिखी जा चुकी है. रायबरेली आईटीआई एसएमपीएस, ओएफसी और एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग में पारंगत हो चुका है.
रायबरेली इकाई में निर्मित हो रही है एचडीपी डक्ट
इकाई प्रमुख दावा करते हैं कि विगत 1 माह से भी ज्यादा समय से आईटीआई रायबरेली में एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग अनवरत जारी है. 23 नवंबर 2019 से लगातार एक हजार किमी प्रति माह के दर से उत्पादन शुरू है, जिसकी आपूर्ति महाराष्ट्र को दी जा रही है.