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इंडियन लैंडलाइन टेलीफोन का जनक रायबरेली ITI करेगा वापसी, देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में स्थित लंबे समय तक घाटे के दौर से गुजरी आईटीआई ने अब दोबारा वापसी करने की ठानी है. भारत नेट परियोजना पर सरकार का विशेष जोर रहा, जिसके कारण फेज 1 और फेज 2 को पूरा करने में आईटीआई ने अहम भूमिका निभाई. इसके कारण लगभग 25 वर्ष बाद आईटीआई रायबरेली पुनः मुनाफा हासिल कर सका. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2020 में आईटीआई पुनः इतिहास रचने जा रहा है.

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Published : Jan 13, 2020, 2:31 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

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आईटीआई रायबरेली.

रायबरेली: इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज को देश की पहली सार्वजनिक उपक्रम बनने का गौरव प्राप्त है. लंबे अरसे बाद बीते वर्ष आईटीआई ने पहले मुनाफा अर्जित किया और अब पुनः सुनहरे काल में प्रवेश करने के दावे कर रहा है. वर्तमान में आईटीआई रायबरेली से जुड़े मौजूदा वर्क आर्डर और भविष्य को लेकर तैयारी चल रही है.

देश में लैंडलाइन टेलीफोन हैंडसेट की जन्मस्थली रही आईटीआई रायबरेली की इस यूनिट ने सुनहरे काल में अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित कीं, लेकिन न जाने इस संस्थान को किसकी नजर लग गई कि देखते ही देखते इकाई घाटे में जाने लगी. एक-दो साल से शुरू हुआ घाटे का सफर कई दशकों तक लंबा खिंचा. फिर हालात ऐसे बन गए कि एंप्लाइज की सैलरी मिलना दूभर हो गया. मजबूरन कर्मचारी और अधिकारी वीआरएस लेने लगे.

इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज का जनक रायबरेली आईटीआई.

सोनिया ने दी करोड़ों की सौगात
एक दौर ऐसा भी आया जब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के पास वर्क ऑर्डर के टोटे हो गए. इसी बीच कांग्रेस का गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली को गांधी परिवार के सदस्यों का सहारा मिला और सोनिया गांधी ने यूपीए शासनकाल में करोड़ों के पैकेज की सौगात भी दी, लेकिन आईटीआई के तारे गर्दिश से नहीं हटे. आईटीआई को उसकी दक्षता के अनुरूप काम नहीं मिल सका, जिसके कारण 10 साल के यूपीए शासनकाल में आईटीआई ने अपने सबसे खराब दिन देखे.

2014 में सरकार जाने के बाद लगा कि घोर अंधकार आएगा और जैसे एक-एक कर सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों ने रायबरेली में दम तोड़ दिया. मोदी सरकार के कार्यकाल में आईटीआई के दिन बहुरने शुरू हुए. भारत नेट परियोजना पर सरकार का विशेष जोर रहा. फेज 1 और फेज 2 को पूरा करने में आईटीआई ने अहम भूमिका निभाई. नतीजा रहा कि लगभग 25 वर्ष बाद आईटीआई रायबरेली पुनः मुनाफा हासिल करने में कामयाब रही. अब 2020 में उम्मीद जताई जा रही है आईटीआई पुनः इतिहास रचने जा रहा है.

आईटीआई के यूनिट हेड ने दी जानकारी
आईटीआई रायबरेली के यूनिट हेड और महाप्रबंधक वीबी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वह दिन दूर नहीं जब आईटीआई दोबारा अपने स्वर्णिम इतिहास को दोहराएगा. भारत नेट परियोजना के जरिए जी-पोन प्रोडक्शन का जिम्मा रायबरेली आईटीआई को मिला था, जिसकी बदौलत न केवल यहां कि इकाई बल्कि आईटीआई की सभी यूनिट के 'रिवाइवल' की पटकथा लिखी जा चुकी है. रायबरेली आईटीआई एसएमपीएस, ओएफसी और एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग में पारंगत हो चुका है.

रायबरेली इकाई में निर्मित हो रही है एचडीपी डक्ट
इकाई प्रमुख दावा करते हैं कि विगत 1 माह से भी ज्यादा समय से आईटीआई रायबरेली में एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग अनवरत जारी है. 23 नवंबर 2019 से लगातार एक हजार किमी प्रति माह के दर से उत्पादन शुरू है, जिसकी आपूर्ति महाराष्ट्र को दी जा रही है.

रायबरेली: इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज को देश की पहली सार्वजनिक उपक्रम बनने का गौरव प्राप्त है. लंबे अरसे बाद बीते वर्ष आईटीआई ने पहले मुनाफा अर्जित किया और अब पुनः सुनहरे काल में प्रवेश करने के दावे कर रहा है. वर्तमान में आईटीआई रायबरेली से जुड़े मौजूदा वर्क आर्डर और भविष्य को लेकर तैयारी चल रही है.

देश में लैंडलाइन टेलीफोन हैंडसेट की जन्मस्थली रही आईटीआई रायबरेली की इस यूनिट ने सुनहरे काल में अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित कीं, लेकिन न जाने इस संस्थान को किसकी नजर लग गई कि देखते ही देखते इकाई घाटे में जाने लगी. एक-दो साल से शुरू हुआ घाटे का सफर कई दशकों तक लंबा खिंचा. फिर हालात ऐसे बन गए कि एंप्लाइज की सैलरी मिलना दूभर हो गया. मजबूरन कर्मचारी और अधिकारी वीआरएस लेने लगे.

इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज का जनक रायबरेली आईटीआई.

सोनिया ने दी करोड़ों की सौगात
एक दौर ऐसा भी आया जब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के पास वर्क ऑर्डर के टोटे हो गए. इसी बीच कांग्रेस का गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली को गांधी परिवार के सदस्यों का सहारा मिला और सोनिया गांधी ने यूपीए शासनकाल में करोड़ों के पैकेज की सौगात भी दी, लेकिन आईटीआई के तारे गर्दिश से नहीं हटे. आईटीआई को उसकी दक्षता के अनुरूप काम नहीं मिल सका, जिसके कारण 10 साल के यूपीए शासनकाल में आईटीआई ने अपने सबसे खराब दिन देखे.

2014 में सरकार जाने के बाद लगा कि घोर अंधकार आएगा और जैसे एक-एक कर सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों ने रायबरेली में दम तोड़ दिया. मोदी सरकार के कार्यकाल में आईटीआई के दिन बहुरने शुरू हुए. भारत नेट परियोजना पर सरकार का विशेष जोर रहा. फेज 1 और फेज 2 को पूरा करने में आईटीआई ने अहम भूमिका निभाई. नतीजा रहा कि लगभग 25 वर्ष बाद आईटीआई रायबरेली पुनः मुनाफा हासिल करने में कामयाब रही. अब 2020 में उम्मीद जताई जा रही है आईटीआई पुनः इतिहास रचने जा रहा है.

आईटीआई के यूनिट हेड ने दी जानकारी
आईटीआई रायबरेली के यूनिट हेड और महाप्रबंधक वीबी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वह दिन दूर नहीं जब आईटीआई दोबारा अपने स्वर्णिम इतिहास को दोहराएगा. भारत नेट परियोजना के जरिए जी-पोन प्रोडक्शन का जिम्मा रायबरेली आईटीआई को मिला था, जिसकी बदौलत न केवल यहां कि इकाई बल्कि आईटीआई की सभी यूनिट के 'रिवाइवल' की पटकथा लिखी जा चुकी है. रायबरेली आईटीआई एसएमपीएस, ओएफसी और एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग में पारंगत हो चुका है.

रायबरेली इकाई में निर्मित हो रही है एचडीपी डक्ट
इकाई प्रमुख दावा करते हैं कि विगत 1 माह से भी ज्यादा समय से आईटीआई रायबरेली में एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग अनवरत जारी है. 23 नवंबर 2019 से लगातार एक हजार किमी प्रति माह के दर से उत्पादन शुरू है, जिसकी आपूर्ति महाराष्ट्र को दी जा रही है.

Intro:स्पेशल - रायबरेली:2020 में धमाकेदार वापसी की तैयारी में आईटीआई रायबरेली

12 जनवरी 2020 - रायबरेली

इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज को देश की पहली सार्वजनिक उपक्रम बनने का गौरव प्राप्त है।वर्ष 1948 में अस्तित्व में आई भारत के पहली पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग को रायबरेली में स्थापित होने का अवसर यहां की पूर्व सांसद व देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों वर्ष 1973 में मिला था।संचार क्रांति के दौर में अग्रदूत बनकर उभरे इस संस्थान को भारत में टेलीफोन के जनक की भी उपाधि दी जाती है।लंबे समय तक घाटे के दौर से गुजरी आईटीआई ने अब दोबारा से वापसी करने की ठानी है।लंबे अरसे बाद बीते वर्ष आईटीआई ने पहले मुनाफा अर्जित किया,और अब पुनः सुनहरे काल मे प्रवेश करने के दावे कर रहा है।वर्तमान में आईटीआई रायबरेली से जुड़े मौजूदा वर्क आर्डर व भविष्य को लेकर चल रही तैयारी पर पेश है ETV भारत की यह ख़ास रिपोर्ट।




Body:देश में लैंडलाइन टेलिफोन हैंडसेट की जन्म स्थली रही आईटीआई रायबरेली कि इस यूनिट ने सुनहरे काल में अभूतपूर्व सफलताएं अर्जित की पर न जाने इस संस्थान को किसकी नजर
लगी कि देखते ही देखते इकाई घाटे में जाने लगी।एक - दो साल से शुरु हुआ घाटे का सफर कई दशकों तक लंबा खींचा फिर हालात ऐसे बन गए कि एंप्लाइज की सैलरी मिलना दूभर हो गया। मजबूरन कर्मचारी व अधिकारी वीआरएस लेने लगे।एक दौर ऐसा भी आया जब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के पास वर्क आर्डर के टोटे हो गए,इसी बीच कांग्रेस का गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली को गांधी परिवार के सदस्यों का सहारा जरुर मिला और सोनिया गांधी ने यूपीए शासनकाल में करोड़ों के पैकेज की सौगात भी दी पर आईटीआई के तारे गर्दिश से नही हटे।आईटीआई को उसकी दक्षता के अनुरुप काम नहीं मिल सका।कामोबेश 10 साल के यूपीए शासनकाल में आईटीआई ने अपने सबसे खराब दिन देखे गलिमत रही कि स्थानीय सांसद सोनिया गांधी के विशेष आर्थिक पैकेज की ही बदौलत आईटीआई वेंटिलेटर ही सही पर अस्तित्व में रही।

2014 में सरकार जाने के बाद लगा कि घोर अंधकार आएगा और जैसे एक - एक कर सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों ने रायबरेली से दम तोड़ दिया,कुछ वैसा ही हश्र में इसका भी होना तय था।लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।मोदी सरकार के कार्यकाल में आईटीआई के दिन बहुरने शुरु हुए,भारत नेट परियोजना पर सरकार का विशेष जोर रहा और फेज 1 और फेज 2 को पूरा करने में आईटीआई ने अहम भूमिका निभाई।
नतीजा रहा कि लगभग 25 वर्ष बाद आईटीआई रायबरेली पुनः मुनाफ़ा हासिल करने में कामयाब रही।अब 2020 में उम्मीद जताई जा रही है आईटीआई पुनः इतिहास रचने जा रहा है।

ईटीवी भारत संवाददाता ने आईटीआई रायबरेली के यूनिट हेड व महाप्रबंधक वीबी सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वह दिन दूर नहीं जब आईटीआई दोबारा अपने स्वर्णिम इतिहास को दोहराएगा।भारत नेट परियोजना के जरिए जी-पोन प्रोडक्शन का जिम्मा रायबरेली आईटीआई को मिला था जिसकी बदौलत न केवल यहां कि इकाई बल्कि आईटीआई की सभी यूनिट के 'रिवाइवल' की पटकथा लिखी जा चुकी है।फिलहाल रायबरेली आईटीआई एसएमपीएस,ओएफसी और एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग में पारंगत हो चुका है।


रायबरेली इकाई में निर्मित हो रही है एचडीपी डक्ट -

इकाई प्रमुख दावा करते हैं कि विगत 1 माह से भी ज्यादा समय से आईटीआई रायबरेली में एचडीपी डक्ट की मैन्युफैक्चरिंग अनवरत जारी है।23 नवंबर 2019 से लगातार एक हज़ार किमी प्रति माह के दर से उत्पादन शुरु है जिसकी आपूर्ति महाराष्ट्र को देने शुरु हो गई है।

आईटीआई रायबरेली के पास कई मैन्युफैक्चरिंग वर्क आर्डर होने का दावा -

वीबी सिंह कहते हैं कि आईटीआई रायबरेली के पास मौजूदा वक्त में एसएमपीएस की मैन्युफैक्चरिंग के लिए गुजरात,यूपी वेस्ट व राजस्थान समेत कई सर्किल से वर्क आर्डर हासिल है।इसके अलावा डिफेंस सेक्टर से जुड़ा 7 हज़ार करोड़ का वर्क आर्डर जल्द ही आईटीआई की झोली में आने वाले है,इस वर्कऑर्डर को पूरा करने में रायबरेली इकाई की बेहद अहम भूमिका करार देते हुए सिंह दावा करते है कि इसमें ऑप्टिकल फाइबर,एचडीपी डक्ट व एसएमपीएस तीनों की आपूर्ति रायबरेली आईटीआई द्वारा की जा सकेगी।साथ ही साथ 'गुजरात नेट' व 'महा नेट' के प्रोजेक्ट जिसमे आईटीआई की सभी इकाई भागीदारी दे रही है, रायबरेली इकाई के जिम्मे भी कुछ कार्य सौपे गए है।इस लिहाज से आने वाले वर्षों में आईटीआई रायबरेली










Conclusion:विज़ुअल : संबंधित विज़ुअल,

बाइट : वीबी सिंह - महाप्रबंधक (यूनिट हेड) - इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री, रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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