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रायबरेली: सतयुग से अनवरत होता चला आ रहा है कार्तिक महोत्सव का सबसे बड़ा मेला

उत्तर प्रदेश के रायबरेली में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मोक्षदायिनी गंगा के तट पर लगने वाले मेले का अनवरत आयोजत होता चला आ रहा है. कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव मेले के आयोजन में प्राचीन नगरी डलमऊ के प्रसिद्ध 'बड़ा मठ' के प्रमुख स्वामी देवेन्द्रानंद गिरी से खास बातचीत की.

कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव मेले का आयोजन.
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Published : Nov 14, 2019, 4:58 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: जनपद के डलमऊ कस्बे में लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव को जिले के सबसे बड़े मेले का दर्जा मिला है. मुख्य पर्व भले ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहता हो पर मेले को लेकर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करने में लोग पीछे नहीं रहते है. मोक्षदायिनी गंगा के तट पर लगने वाले इस मेले में सतयुग से अनवरत हर साल आयोजित होता आ रहा है.

कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव मेले का आयोजन.
ऐतिहासिक कार्तिक महोत्सव मेलाडलमऊ के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र करते हुए 92 वर्षीय 'बड़ा मठ' प्रमुख देवेन्द्रानंद गिरी कहते है कि दालभ्य ऋषि की नगरी डलमऊ में कार्तिक मेले का आयोजन गंगा के तट पर सतयुग काल से अनवरत जारी है. भगवान बुद्ध का भी इस नगरी में आगमन हो चुका है. गंगा के आविर्भाव से शुरु हुआ यह मेला अभी भी जारी है.


कृतिका नक्षत्र होने के कारण ही कार्तिक नाम पड़ा. इसी मास में भगवान शंकर और पार्वती जी द्वारा पूजन में सर्वप्रथम होने के लिए अपने दोनों बेटों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. गणेश जी द्वारा भोलेनाथ और पार्वती जी की परिक्रमा पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया था. कार्तिकेय द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा इसी मास में पूरी की गई थी.


इसे भी पढ़ें-रायबरेली: शिक्षक ने छात्रों को बेरहमी से पीटा, वीडियो हुआ वायरल

अयोध्या मसले पर महंत देवेंद्रनंद गिरी ने बड़े ही बेबाकी से रखी अपनी राय
उन्होंने कहा कि अयोध्या हर सनातन धर्मी से जुड़ा मसला रहा है. इसका हल न निकलने से हिंदु भी विचलित थे पर लंबे समय बाद मिली इस अपार सफलता से खुशी कई गुना बढ़ गई है. हिन्दू संस्कृति ने दूसरे धर्मों को विकृत कर अपने को उजागर करने का प्रयास कभी नहीं किया गया. हालांकि हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्हों को ध्वस्त करने का प्रयास समय-समय पर कुछ वर्ग के लोगों के द्वारा होता आया है. त्रेता में प्रभु के आविर्भाव से लेकर बाद के कालखंडों में साहित्यकारों और रचनाकारों द्वारा प्रभु से जुड़ी स्मृतियों में अयोध्या का जिक्र मंदिर न होने के कारण अधूरा लगता था.

भारत के कई मंदिरों को तोड़ा गया था और उनकी जगहों पर मस्जिद का निर्माण हुआ है. इस बात में कोई संशय नहीं है पर अब न्यायालय के निर्णय से पुनः भव्य मंदिर का निर्माण होगा. यह सबसे अच्छी बात है. बिना किसी खून खराबे के साथ इतने पुराने और जटिल मसले को हल कराने के लिए पीएम बधाई के पात्र है.
इसे भी पढ़ें-रायबरेली: गंगा सफाई को लेकर श्याम साधु ने सरकार पर साधा निशाना

अयोध्या के बाद क्या मथुरा और काशी का रुख करेगा संत समाज
इस समय अयोध्या पर ही ध्यान केंद्रित कर के मंदिर निर्माण प्रमुख है. उसके बाद ही भविष्य को लेकर कुछ विचार होगा. डलमऊ के इस प्राचीन मठ का इतिहास 500 से ज्यादा वर्षो का पुराना है और 23 पीढ़ियों तक आचार्य मठ के प्रमुख रह चुके है.

रायबरेली: जनपद के डलमऊ कस्बे में लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव को जिले के सबसे बड़े मेले का दर्जा मिला है. मुख्य पर्व भले ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहता हो पर मेले को लेकर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करने में लोग पीछे नहीं रहते है. मोक्षदायिनी गंगा के तट पर लगने वाले इस मेले में सतयुग से अनवरत हर साल आयोजित होता आ रहा है.

कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव मेले का आयोजन.
ऐतिहासिक कार्तिक महोत्सव मेलाडलमऊ के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र करते हुए 92 वर्षीय 'बड़ा मठ' प्रमुख देवेन्द्रानंद गिरी कहते है कि दालभ्य ऋषि की नगरी डलमऊ में कार्तिक मेले का आयोजन गंगा के तट पर सतयुग काल से अनवरत जारी है. भगवान बुद्ध का भी इस नगरी में आगमन हो चुका है. गंगा के आविर्भाव से शुरु हुआ यह मेला अभी भी जारी है.


कृतिका नक्षत्र होने के कारण ही कार्तिक नाम पड़ा. इसी मास में भगवान शंकर और पार्वती जी द्वारा पूजन में सर्वप्रथम होने के लिए अपने दोनों बेटों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. गणेश जी द्वारा भोलेनाथ और पार्वती जी की परिक्रमा पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया था. कार्तिकेय द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा इसी मास में पूरी की गई थी.


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अयोध्या मसले पर महंत देवेंद्रनंद गिरी ने बड़े ही बेबाकी से रखी अपनी राय
उन्होंने कहा कि अयोध्या हर सनातन धर्मी से जुड़ा मसला रहा है. इसका हल न निकलने से हिंदु भी विचलित थे पर लंबे समय बाद मिली इस अपार सफलता से खुशी कई गुना बढ़ गई है. हिन्दू संस्कृति ने दूसरे धर्मों को विकृत कर अपने को उजागर करने का प्रयास कभी नहीं किया गया. हालांकि हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्हों को ध्वस्त करने का प्रयास समय-समय पर कुछ वर्ग के लोगों के द्वारा होता आया है. त्रेता में प्रभु के आविर्भाव से लेकर बाद के कालखंडों में साहित्यकारों और रचनाकारों द्वारा प्रभु से जुड़ी स्मृतियों में अयोध्या का जिक्र मंदिर न होने के कारण अधूरा लगता था.

भारत के कई मंदिरों को तोड़ा गया था और उनकी जगहों पर मस्जिद का निर्माण हुआ है. इस बात में कोई संशय नहीं है पर अब न्यायालय के निर्णय से पुनः भव्य मंदिर का निर्माण होगा. यह सबसे अच्छी बात है. बिना किसी खून खराबे के साथ इतने पुराने और जटिल मसले को हल कराने के लिए पीएम बधाई के पात्र है.
इसे भी पढ़ें-रायबरेली: गंगा सफाई को लेकर श्याम साधु ने सरकार पर साधा निशाना

अयोध्या के बाद क्या मथुरा और काशी का रुख करेगा संत समाज
इस समय अयोध्या पर ही ध्यान केंद्रित कर के मंदिर निर्माण प्रमुख है. उसके बाद ही भविष्य को लेकर कुछ विचार होगा. डलमऊ के इस प्राचीन मठ का इतिहास 500 से ज्यादा वर्षो का पुराना है और 23 पीढ़ियों तक आचार्य मठ के प्रमुख रह चुके है.

Intro:रायबरेली स्पेशल:साल के इस सबसे बड़े मेले का सतयुग से होता रहा है आयोजन,महोत्सव हुआ सम्पन्न

13 नवंबर 2019 - रायबरेली

रायबरेली जनपद के डलमऊ कस्बे में लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव को जिले के सबसे बड़े मेले का दर्जा प्राप्त है।मुख्य पर्व भले ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहता हो पर मेले को लेकर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन करने में लोग पीछे नही रहते।जानकर कहते है कि मोक्षदायिनी गंगा के तट पर लगने वाला यह मेले सतयुग से अनवरत हर साल आयोजित होता आ रहा है।कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव के आयोजन के संपन्न होने के अवसर पर ETV भारत संवाददाता ने रायबरेली की प्राचीन व ऐतिहासिक नगरी डलमऊ के सबसे गौरवशाली व प्रसिद्ध मठ - बड़ा मठ के प्रमुख स्वामी देवेन्द्रानंद गिरी से खास बातचीत कर विभिन्न मुद्दों पर उनकी राय जानी।







Body:ऐतिहासिक डलमऊ नगरी व कार्तिक महोत्सव को लेकर -

डलमऊ के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र करते हुए 92 वर्षीय बड़ा मठ प्रमुख देवेन्द्रानंद गिरी कहते है कि दालभ्य ऋषि की नगरी डलमऊ में कार्तिक मेले का आयोजन गंगा के तट पर सतयुग काल से अनवरत जारी है।भगवान बुद्ध का भी इस नगरी में आगमन हो चुका है।गंगा के आविर्भाव से शुरु हुआ यह मेला अभी भी जारी है।

कृतिका नक्षत्र होने के कारण ही कार्तिक नाम पड़ा।इसी मास में भगवान शंकर व पार्वती जी द्वारा पूजन में सर्वप्रथम होने के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।गणेश जी द्वारा भोलेनाथ व पार्वती जी की परिक्रमा पूरी कर पहला स्थान प्राप्त किया गया था पर कार्तिकेय द्वारा संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा इसी मास में पूरी की गई थी।


अयोध्या मसले पर बड़ी ही बेबाकी से रखी अपनी राय -

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या मसले पर सुनाएं गए निर्णय को लेकर मठ प्रमुख कहते है कि अयोध्या हर सनातन धर्मी से जुड़ा मसला रहा है।इसका हल न निकलने से हिंदु भी विचलित थे पर लंबे समय बाद मिली इस अपार सफलता से खुशी कई गुना बढ़ गई है।हिन्दू संस्कृति ने दूसरे धर्मों को विकृत कर अपने को उजागर करने का प्रयास कभी नही किया गया।हालांकि हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्हों को ध्वस्त करने का प्रयास समय समय पर कुछ वर्ग के लोगों के द्वारा होता आया है।त्रेता में प्रभु के आविर्भाव से लेकर बाद के कालखंडों में साहित्यकारों व रचनाकारों द्वारा प्रभु से जुड़ी स्मृतियों में अयोध्या का जिक्र मंदिर न होने के कारण अधूरा लगता था।स्वामी देवेन्द्रानंद गिरी कहते है कि भारत के कई मंदिरों को तोड़ा गया था और उनकी जगहों पर मस्जिद का निर्माण हुआ है इस बात में कोई संशय नही है पर अब न्यायालय के निर्णय से पुनः भव्य मंदिर का निर्माण होगा यह सबसे अच्छी बात है।पूरे मसले को जिस तरह सरकार द्वारा नियंत्रित किया गया कि इसको लेकर मठ प्रमुख पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए कहते है कि बिना किसी खून खराबे के साथ इतने पुराने व जटिल मसले को हल कराने के लिए पीएम बधाई के पात्र है।


अयोध्या के बाद क्या मथुरा व काशी का रुख करेगा संत समाज -

अयोध्या पर निर्णय से उत्साहित दिखे स्वामी देवेन्द्रानंद गिरी से साधु व संत समाज द्वारा अयोध्या के बाद काशी व मथुरा का रुख किए जाने का सवाल करने पर कहते है कि फिलहाल इस समय अयोध्या पर ही ध्यान केंद्रित कर मंदिर निर्माण प्रमुख है उसके बाद ही भविष्य को लेकर कुछ विचार होगा।







Conclusion:उल्लेखनीय है कि डलमऊ के इस प्राचीन मठ का इतिहास 500 से ज्यादा वर्षो का पुराना है और 23 पीढ़ियों तक आचार्य मठ के प्रमुख रह चुके है।

बाइट : देवेन्द्रानंद गिरी जी महाराज - बडा मठ प्रमुख - डलमऊ, रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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