रायबरेली : जिले के प्राचीन मेले पर भी कोरोना का जबरदस्त असर देखने को मिला है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर डलमऊ घाट पर आयोजित होने वाले वर्षों पुराने इस मेले को इसी वर्ष उत्तर प्रदेश शासन ने प्रांतीय मेले का दर्जा दिया था. पर कोरोना के कारण इस आयोजन को शासन ने स्थागित कर दिया है. इस मेले में तकरीबन 10 लाख श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए डलमऊ घाट पहुंचते हैं. लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण इस बार मेले के आयोजन को लेकर पहले से ही संशय बरकरार था. वहीं शुक्रवार को जिलाधिकारी ने शासन का निर्देश मिलने के बाद कार्तिक पूर्णिमा मेला लगाने पर रोक लगा दी है.
डलमऊ घाट के मेले को दिया तंग प्रांतीय मेले का दर्जा
दरअसल, इसी साल 13 मार्च को प्रदेश सरकार ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर डलमऊ में लगने वाले इस विशाल मेले को प्रांतीय मेले का दर्जा दिया था. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह मेला अनगिनत वर्षों से गंगा तट पर आयोजित किया जाता रहा है. गंगा घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले में इसे मेले को लखनऊ मंडल का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है. आस पड़ोस के कम से कम 5 से 6 जनपदों के लोग इस अवसर पर गंगा स्नान करने के लिए डलमऊ का रुख करते हैं. रायबरेली के अलावा लखनऊ, प्रतापगढ़, अमेठी, बाराबंकी, फैजाबाद समेत अन्य कई जनपदों से लोग डलमऊ आकर गंगा स्नान करते हैं. 3 दिवसीय मेले का मुख्य आकर्षण कार्तिक पूर्णिमा के एक रोज पहले से शुरू होता है और एक दिन बाद तक चलता है.
इस वर्ष 30 नवंबर को है कार्तिक पूर्णिमा
जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास मंत्रालय के निर्देशानुसार व कोरोना वैश्विक महामारी को दृष्टिगत रखते हुए जनपद रायबरेली में लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा मेला डलमऊ 2020 के आयोजन को स्थागित किया गया है. इस दौरान विशेष रुप से जनपद के बाहर से आने वाले श्रद्वालुओं से कोरोना संक्रमितों की बढ़ने की आशंका थी. यही कारण है कि इसको स्थागित किया गया है.