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तस्वीर देख कांप जाएंगे आप, श्मशान पर शव को नोच रहे कुत्ते

रायबरेली जिले में भी कोरोना ने कोहराम मचा रखा है. श्मशान घाटों पर हर रोज 100 से अधिक शव पहुंच रहे हैं. ऐसे में श्मशान घाटों पर लकड़ियों की कमी हो गई है. दूसरी तरफ अधजले शव को कुत्ते नोच रहे हैं.

अधजले शव को नोच रहे कुत्ते
अधजले शव को नोच रहे कुत्ते
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Published : Apr 21, 2021, 7:18 AM IST

Updated : Apr 21, 2021, 6:21 PM IST

रायबरेली : कोरोना महामारी से देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. हजारों की तादात में हो रही मौतों ने आम आदमी को झझकोर कर रखा दिया है. रोजाना लाखों की तादात में लोग संक्रमित हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाएं पंगु साबित हो रही हैं. रोजाना सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने आम आदमी को परेशान कर दिया है. अस्पतालों में बेड की कमी है तो श्मशानों में लकड़ियों की किल्लत हो गई है.

अधजला शव नोच रहे कुत्ते

शव को नोच रहे कुत्ते

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होते ही ये रायबरेली में चर्चा का केंद्र बन गया. तस्वीर में चिता पर लेटे शव को कुत्ते नोच रहे हैं. चिता के पास मृतक को कोई अपना नहीं दिख रहा है. घाट पर मौजूद लोगों ने कुत्तों को खदेड़ा व शव को चिता पर रखवा कर आग के हवाले किया.

दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर डलमऊ के शमशान घाट की बताई जा रही है. जो कि दो दिन पुरानी कही जा रही है. कुछ लोग एक शव के साथ घाट पर पहुंचे और चिता पर रखकर आग के हवाले कर दिया. इसी बीच अचानक से आंधी आ गई और शव के साथ आये हुए लोग वहां से चले जाते हैं. चिता की आग बुझ जाती है और श्मशान पर मौजूद कुत्ते शव को नोचने लगते हैं. घाट पर मौजूद लोगों ने शव को चिता पर रखकर उसे आग के हवाले किया.

रोजाना सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे शव

घाट पर पुरोहित का काम करने वाले नीलेश की मानें तो आम दिनों में 15 से 20 शव अंतिम संस्कार के लिए आते थे. लेकिन आजकल सैकड़ों की संख्या में शव आ रहे हैं. सुबह से चिताएं जलने लगती हैं और देर रात तक ये सिलसिला चलता रहता है. कई लोग तो शवों में आग लगाकर चले जाते हैं, जिससे वो अधजले ही रहते हैं.

लकड़ियों की हुई किल्लत

सैकड़ों की संख्या में आ रहे शवों के दाह संस्कार के लिए घाट पर लकड़ियों की भारी किल्लत हो गई है. जहां आम दिनों में आम की लकड़ी से शवों का दाह संस्कार किया जाता था, वहीं इस समय यूकेलिप्टस व दूसरी लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है. लकड़ियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर वो आम की लकड़ी मंगाते भी हैं तो रास्ते में पुलिस के द्वारा रोक लिया जाता है और उन्हें भी खर्चा देना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- कोरोना संकट : देश को लॉकडाउन से बचाना है- पीएम मोदी

कोरोना ने जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है, वहीं आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है. लोगों के आंखों में आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे.

रायबरेली : कोरोना महामारी से देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. हजारों की तादात में हो रही मौतों ने आम आदमी को झझकोर कर रखा दिया है. रोजाना लाखों की तादात में लोग संक्रमित हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाएं पंगु साबित हो रही हैं. रोजाना सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने आम आदमी को परेशान कर दिया है. अस्पतालों में बेड की कमी है तो श्मशानों में लकड़ियों की किल्लत हो गई है.

अधजला शव नोच रहे कुत्ते

शव को नोच रहे कुत्ते

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होते ही ये रायबरेली में चर्चा का केंद्र बन गया. तस्वीर में चिता पर लेटे शव को कुत्ते नोच रहे हैं. चिता के पास मृतक को कोई अपना नहीं दिख रहा है. घाट पर मौजूद लोगों ने कुत्तों को खदेड़ा व शव को चिता पर रखवा कर आग के हवाले किया.

दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर डलमऊ के शमशान घाट की बताई जा रही है. जो कि दो दिन पुरानी कही जा रही है. कुछ लोग एक शव के साथ घाट पर पहुंचे और चिता पर रखकर आग के हवाले कर दिया. इसी बीच अचानक से आंधी आ गई और शव के साथ आये हुए लोग वहां से चले जाते हैं. चिता की आग बुझ जाती है और श्मशान पर मौजूद कुत्ते शव को नोचने लगते हैं. घाट पर मौजूद लोगों ने शव को चिता पर रखकर उसे आग के हवाले किया.

रोजाना सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे शव

घाट पर पुरोहित का काम करने वाले नीलेश की मानें तो आम दिनों में 15 से 20 शव अंतिम संस्कार के लिए आते थे. लेकिन आजकल सैकड़ों की संख्या में शव आ रहे हैं. सुबह से चिताएं जलने लगती हैं और देर रात तक ये सिलसिला चलता रहता है. कई लोग तो शवों में आग लगाकर चले जाते हैं, जिससे वो अधजले ही रहते हैं.

लकड़ियों की हुई किल्लत

सैकड़ों की संख्या में आ रहे शवों के दाह संस्कार के लिए घाट पर लकड़ियों की भारी किल्लत हो गई है. जहां आम दिनों में आम की लकड़ी से शवों का दाह संस्कार किया जाता था, वहीं इस समय यूकेलिप्टस व दूसरी लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है. लकड़ियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर वो आम की लकड़ी मंगाते भी हैं तो रास्ते में पुलिस के द्वारा रोक लिया जाता है और उन्हें भी खर्चा देना पड़ता है.

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कोरोना ने जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है, वहीं आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है. लोगों के आंखों में आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे.

Last Updated : Apr 21, 2021, 6:21 PM IST
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