रायबरेली: कोरोना महामारी ने जंहा आम से लेकर खास तक सबको पशोपेश में डाल दिया है. अपनो की जान से लेकर आर्थिक तौर पर भी लोगों को प्रभावित किया. वहीं कुछ ऐसा भी है जिसको इस महामारी में लाभ मिला है. हम बात कर रहे हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की जो अभी तक हाशिये पर थी, लेकिन इस महामारी में लोगों ने इसकी उपयोगिता को समझा. सरकार ने भी इस चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए विचार किया और इसका ही परिणाम है कि आज रायबरेली में 50 बिस्तरों के आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण शुरू हो गया है. इस अस्पताल में जंहा लोगों की समस्याओं को जड़ी बूटियों व काढ़े से दूर किया जाएगा. वहीं अब उनके ऑपरेशन भी किए जाएंगे. ये अस्पताल शहर के नया पुरवा में आयुर्वेदिक अस्पताल के पड़ोस में पड़ी खाली जमीन पर निर्माणधीन है.
7 करोड़ 44 लाख का मिला बजट
दिन पर दिन बदलते पर्यावरण के चलते नई नई बीमारियों व पहले से ही मौजूद बीमारियों के लिए मरीजों को अस्पताल में लंबी लंबी लाइनों में घंटो इंतजार के बाद चिकित्सक से सलाह व दवा मिल पाती थी. समय से लेकर धन भी अधिक खर्च होता था, लेकिन कोरोना काल मे आयुर्वेद के काढ़े व जड़ी बूटियों से मिल रहे फायदे को आम से लेकर खास तक ने जाना और जिस अस्पताल की मांग लंबे समय से की जा रही थी, अब उसका निर्माण शुरू हो गया. केंद्र सरकार ने रायबरेली में 50 बिस्तरों को आयुर्वेदिक अस्पताल बनाने के लिए 7 करोड़ 44 लाख रुपये का बजट दे दिया है. इस अस्पताल में जंहा मरीजों को दवाई के रूप में गोलियां व इंजेक्शन के बजाय काढ़े व जड़ी बूटियां मिलेंगी. वही यंहा पर एक ऑपरेशन थियेटर भी बनाया जाएगा, जिसमें बवासीर व पिस्टुला जैसी गंभीर बीमार रोगियों का ऑपरेशन भी किया जाएगा.
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जिला यूनानी व आयुर्वेदिक अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि अस्पताल की मांग लंबे समय से चल रही थी, जो अब पूरी हुई है. निर्माण शुरू हो गया है. केंद्र सरकार ने करोड़ों का बजट भी दे दिया है. जल्द ही ये अस्पताल बन जायेगा और जिले के रोगियों को इससे लाभ मिलेगा. कोरोना काल में आयुर्वेदिक स्टोरों की बिक्री चार गुना बढ़ गई है. वहीं उन्होंने बताया कि जिले में अभी 53 अस्पताल संचालित हो रहे थे, लेकिन 41 ही चिकित्सक मौजूद है. जल्द ही राज्य सरकार चिकित्सकों का चयन करेगा. अस्पताल में बवासीर व पिस्टुला के रोगियों की शल्य क्रिया भी की जाएगी.