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गरीब बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रहे निजी स्कूल

रायबरेली जिले में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत अभी भी बहुत से गरीब वर्ग के बच्चे हैं, जिन्हें निजी स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाया है. वहीं शिक्षा विभाग के अनुसार इस बार पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बच्चों का दाखिला कराया गया है.

जानकारी देते बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा.
जानकारी देते बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा.
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Published : Nov 21, 2020, 4:21 AM IST

रायबरेली: सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी कम नहीं हो रही है. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत जिले के निजी स्कूल कम आय वर्ग के बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं. इस सत्र में भी कई ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें अभी तक दाखिला नहीं मिला है. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी सब कुछ सही होने की बात कह रहे हैं.

आरटीई के तहत दाखिले से वंचित हैं गरीब वर्ग के बच्चे.


बता दें कि प्रदेश में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए इस बार तीसरे चरण में 17 जुलाई से 10 अगस्त तक आवेदन मांगा गया था. 11 से 12 अगस्त के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सत्यापन कर उन्हें लॉक करना था. विभाग की ओर से 14 अगस्त को लाॅटरी प्रक्रिया पूरी की गई थी और 30 अगस्त तक पात्र बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिया गया. हर वर्ष की तरह इस बार भी जिम्मेदार तमाम बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में नाकाम साबित हुए.

सत्र 2020- 21 के लिए मिले आवेदन व चयनित बच्चे

शिक्ष विभाग की ओर से ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन मांगे गए थे. बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार ऑनलाइन के पहले चरण में कुल 282 आवेदन आए, जिनमें से 235 बच्चों का चयन किया गया. दूसरे चरण में ऑनलाइन के तहत 124 आवेदन आए थे , जिनमें से 79 का चयन किया गया. वहीं ऑनलाइन आवेदन के तहत तीसरे चरण में 20 आवेदन आए, जिनमें से 10 का चयन किया गया.

इसी तरह ऑफलाइन प्रक्रिया के पहले चरण में 116 आवेदन आए, जिनमें सभी का चयन किया गया. वहीं दूसरे चरण में 103 आवेदन आए और सभी का चयन किया गया. इसी तरह से तीसरे चरण में 53 आवेदन आए और सभी का चयन किया गया. यानी कुल 698 आवदेन आए, जिनमें से 596 बच्चों का चयन किया गया. अभी भी 102 बच्चे दाखिले से वंचित हैं.

300 से ज्यादा स्कूल हैं आरटीई के दायरे में

जिले में 300 से ज्यादा निजी स्कूल आरटीई के दायरे में आते हैं. सभी स्कूल में सीटों की संख्या के सापेक्ष 25 फीसदी सीट आरटीई के तहत भरी जानी होती है. बावजूद इसके महज 600 ही दाखिले किए गए. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में करीब 200, साल 2018 में करीब 45 और साल 2017 में करीब 5 बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कराया गया था.



सभी बच्चों को दिलाया गया दाखिला

बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने कहा कि सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत दाखिला दिलाया गया है. बीते वर्षो की अपेक्षा इस बार कई गुना ज्यादा दाखिला दिलाया गया है. उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में कई जरूरतमंद दाखिले से वंचित रह गए.पूरा प्रयास है कि उन्हें हर संभव मदद की जाए.

रायबरेली: सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी कम नहीं हो रही है. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत जिले के निजी स्कूल कम आय वर्ग के बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं. इस सत्र में भी कई ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें अभी तक दाखिला नहीं मिला है. वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी सब कुछ सही होने की बात कह रहे हैं.

आरटीई के तहत दाखिले से वंचित हैं गरीब वर्ग के बच्चे.


बता दें कि प्रदेश में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए इस बार तीसरे चरण में 17 जुलाई से 10 अगस्त तक आवेदन मांगा गया था. 11 से 12 अगस्त के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सत्यापन कर उन्हें लॉक करना था. विभाग की ओर से 14 अगस्त को लाॅटरी प्रक्रिया पूरी की गई थी और 30 अगस्त तक पात्र बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिया गया. हर वर्ष की तरह इस बार भी जिम्मेदार तमाम बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में नाकाम साबित हुए.

सत्र 2020- 21 के लिए मिले आवेदन व चयनित बच्चे

शिक्ष विभाग की ओर से ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन मांगे गए थे. बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार ऑनलाइन के पहले चरण में कुल 282 आवेदन आए, जिनमें से 235 बच्चों का चयन किया गया. दूसरे चरण में ऑनलाइन के तहत 124 आवेदन आए थे , जिनमें से 79 का चयन किया गया. वहीं ऑनलाइन आवेदन के तहत तीसरे चरण में 20 आवेदन आए, जिनमें से 10 का चयन किया गया.

इसी तरह ऑफलाइन प्रक्रिया के पहले चरण में 116 आवेदन आए, जिनमें सभी का चयन किया गया. वहीं दूसरे चरण में 103 आवेदन आए और सभी का चयन किया गया. इसी तरह से तीसरे चरण में 53 आवेदन आए और सभी का चयन किया गया. यानी कुल 698 आवदेन आए, जिनमें से 596 बच्चों का चयन किया गया. अभी भी 102 बच्चे दाखिले से वंचित हैं.

300 से ज्यादा स्कूल हैं आरटीई के दायरे में

जिले में 300 से ज्यादा निजी स्कूल आरटीई के दायरे में आते हैं. सभी स्कूल में सीटों की संख्या के सापेक्ष 25 फीसदी सीट आरटीई के तहत भरी जानी होती है. बावजूद इसके महज 600 ही दाखिले किए गए. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में करीब 200, साल 2018 में करीब 45 और साल 2017 में करीब 5 बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत निजी स्कूलों में कराया गया था.



सभी बच्चों को दिलाया गया दाखिला

बीएसए आनंद प्रकाश शर्मा ने कहा कि सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत दाखिला दिलाया गया है. बीते वर्षो की अपेक्षा इस बार कई गुना ज्यादा दाखिला दिलाया गया है. उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में कई जरूरतमंद दाखिले से वंचित रह गए.पूरा प्रयास है कि उन्हें हर संभव मदद की जाए.

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