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रायबरेली: रामचरित मानस में है सई नदी का उल्लेख, आस्तित्व का खतरा

उत्तर प्रदेश के रायबरेली में प्राचीन काल की सई नदी प्रदूषण का शिकार हो चुकी है. निर्मल जल के गवाह रहे लोग, अब इसमें आचमन करने से कतराते हैं. स्थानीय लोग नदी को रोग की जननी बता रहे हैं.

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सई नदी पूरी तरह प्रदूषण का शिकार हो चुकी है.
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Published : Dec 13, 2019, 6:05 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: प्रधानमंत्री मोदी कानपुर में गंगा स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत परखने के लिए 14 दिसंबर को आ रहे हैं. इस कार्यक्रम में यूपी सीएम के साथ अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम का मकसद निर्मल गंगा अभियान को गति देना है. वहीं कानपुर से महज सौ किमी दूरी पर स्थित पौराणिक सई नदी प्रदूषण का शिकार हो चुकी है. इस नदी का रामचरित मानस में भी उल्लेख है. यहां के लोगों की मांग है कि गंगा की तर्ज पर ये नदी भी प्रदूषण मुक्त करके निर्मल की जाए.

सई नदी को प्रदूषण से कब मिलेगी निजात?

सई नदी की सभी ने की अनदेखी
सई नदी के तट पर बसे रायबरेली शहर से देश के बडे़ दिग्गज नेताओं की राजनीति चमकी है. देश के विकास की बात करने वालों ने शहर की इकलौती सई नदी सहेजने में रुचि नहीं दिखाई. सई नदी के पौराणिकता के प्रमाण भी धार्मिक ग्रंथों में अनेकों हैं. जिला प्रशासन, धर्माचार्यों और पर्यावरणविदों ने भी नदी की अनदेखी की. यही कारण है कि प्राचीन काल की नदी प्रदूषित हो चुकी है और अपने आस्तित्व के लिए लड़ रही है.

इसे भी पढ़ें-रायबरेली में बढ़ा प्रदूषण का कहर, मानक लेवल 250 माइक्रोग्राम के पार

श्रीराम ने किया था सई नदी में स्नान
सई नदी को पौराणिक नदी बताते हुए श्याम साधु दावा करते हैं कि इस नदी में स्वयं प्रभु श्रीराम ने स्नान किया है. सभी सनातनधर्मियों को इस नदी से विशेष लगाव रखना चाहिए. इसके स्वच्छ रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. वे सई की स्वच्छता के प्रति सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए पुनः अनशन करने से पीछे नहीं रहने की बात भी दोहराते हैं. प्रख्यात पर्यावरणविद श्याम साधु के मुताबिक सई को प्रदूषित करने में एसजीपीजीआई के लिक्विड डिस्चार्ज की अहम भूमिका है. उन्होंने, योगी सरकार से नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं जाने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें-रायबरेली:15 दिन के अंदर पशुओं को मिलेगा 'अपना आधार', टैगिंग से लैस होंगे जनपद के सभी गोवंश

सई नदी दे रही है बीमारी को जन्म
पर्यावरणविद् श्याम साधु का कहना है कि जब तक भारत में गोसेवा और नदियों के संरक्षण पर जोर नहीं दिया जाएगा. तब तक देश सही मायनों में तरक्की नहीं कर सकता है. गोशाला के लिए गंगा और सई नदी के तट सबसे उपयुक्त स्थान है. इससे रोजगार भी सृजन किया जा सकता है. कभी सई नदी का जल बेहद निर्मल होता था. ये पीने योग्य था. अब इसका पानी बीमारी दे रहा है.

फिलहाल सई नदी में रायबरेली शहर का कोई भी इंडस्ट्रियल वेस्ट डिस्चार्ज नहीं हो रहा.सालों पहले तक भवानी पेपर मिल का कचरा सई को दूषित करता था. विगत वर्षों में जब से पेपर मिल बंद हुई है. तब से कोई अन्य इंडस्ट्रियल यूनिट का लिक्विड डिस्चार्ज उसे दूषित नहीं कर रहा है.
-अनिल कुमार चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग बोर्ड

रायबरेली: प्रधानमंत्री मोदी कानपुर में गंगा स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत परखने के लिए 14 दिसंबर को आ रहे हैं. इस कार्यक्रम में यूपी सीएम के साथ अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम का मकसद निर्मल गंगा अभियान को गति देना है. वहीं कानपुर से महज सौ किमी दूरी पर स्थित पौराणिक सई नदी प्रदूषण का शिकार हो चुकी है. इस नदी का रामचरित मानस में भी उल्लेख है. यहां के लोगों की मांग है कि गंगा की तर्ज पर ये नदी भी प्रदूषण मुक्त करके निर्मल की जाए.

सई नदी को प्रदूषण से कब मिलेगी निजात?

सई नदी की सभी ने की अनदेखी
सई नदी के तट पर बसे रायबरेली शहर से देश के बडे़ दिग्गज नेताओं की राजनीति चमकी है. देश के विकास की बात करने वालों ने शहर की इकलौती सई नदी सहेजने में रुचि नहीं दिखाई. सई नदी के पौराणिकता के प्रमाण भी धार्मिक ग्रंथों में अनेकों हैं. जिला प्रशासन, धर्माचार्यों और पर्यावरणविदों ने भी नदी की अनदेखी की. यही कारण है कि प्राचीन काल की नदी प्रदूषित हो चुकी है और अपने आस्तित्व के लिए लड़ रही है.

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श्रीराम ने किया था सई नदी में स्नान
सई नदी को पौराणिक नदी बताते हुए श्याम साधु दावा करते हैं कि इस नदी में स्वयं प्रभु श्रीराम ने स्नान किया है. सभी सनातनधर्मियों को इस नदी से विशेष लगाव रखना चाहिए. इसके स्वच्छ रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. वे सई की स्वच्छता के प्रति सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए पुनः अनशन करने से पीछे नहीं रहने की बात भी दोहराते हैं. प्रख्यात पर्यावरणविद श्याम साधु के मुताबिक सई को प्रदूषित करने में एसजीपीजीआई के लिक्विड डिस्चार्ज की अहम भूमिका है. उन्होंने, योगी सरकार से नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं जाने की मांग की है.

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सई नदी दे रही है बीमारी को जन्म
पर्यावरणविद् श्याम साधु का कहना है कि जब तक भारत में गोसेवा और नदियों के संरक्षण पर जोर नहीं दिया जाएगा. तब तक देश सही मायनों में तरक्की नहीं कर सकता है. गोशाला के लिए गंगा और सई नदी के तट सबसे उपयुक्त स्थान है. इससे रोजगार भी सृजन किया जा सकता है. कभी सई नदी का जल बेहद निर्मल होता था. ये पीने योग्य था. अब इसका पानी बीमारी दे रहा है.

फिलहाल सई नदी में रायबरेली शहर का कोई भी इंडस्ट्रियल वेस्ट डिस्चार्ज नहीं हो रहा.सालों पहले तक भवानी पेपर मिल का कचरा सई को दूषित करता था. विगत वर्षों में जब से पेपर मिल बंद हुई है. तब से कोई अन्य इंडस्ट्रियल यूनिट का लिक्विड डिस्चार्ज उसे दूषित नहीं कर रहा है.
-अनिल कुमार चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग बोर्ड

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रायबरेली स्पेशल : बदहाल हुई पौराणिक सई,प्रशासन के पास नहीं है कोई पुनरुद्धार का प्लान

12 दिसंबर 2019 - रायबरेली

शनिवार 14 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी प्रदेश के औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले नगर कानपुर में गंगा स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत परखने के लिए यूपी का रुख करेंगे।यूपी सीएम के अलावा देश के अन्य कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के भी इस कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।एक ओर पीएम निर्मल गंगा अभियान को कानपुर में गति देंगे वही कार्यक्रम स्थल् से महज सौ किमी से भी कम दूरी पर स्थित रायबरेली की पौराणिक नदी सई सरकार के तमाम दावों के विपरीत बदहाल दिन को देखने को मजबूर है।पीएम के यूपी के इस दौरे से ठीक पहले पेश है ETV भारत की 'आदि गंगा' कही जाने वाली सई पर स्पेशल कवरेज रिपोर्ट।

सई नदी के तट पर बसे रायबरेली शहर में राजनीतिक लोगों की चहल कदमी की कभी कोई कमी नहीं रही पर विकास के बड़े मापदंडों को पूरा करने की बात करने का दावा करने वाला यह शहर को अपनी इकलौती नदी सहेजने में भी सफलता हासिल नहीं कर सका।सई नदी के पौराणिकता के प्रमाण भी धार्मिक ग्रंथों में अनेक हैं पर कोई धर्माचार्य भी इसकी बदहाल स्थित को लेकर ज्यादा विचलित नहीं दिखा और रही सही कसर पर्यावरणविदों की अनदेखी ने पूरी कर दी।यही सब कारण रहे है कि प्राचीन काल की इस नदी में फिलहाल प्रदूषण की कोई कमी नज़र नही आती है और कभी इसके निर्मल जल के गवाह रहे लोग अब इसमें आचमन करने से कतराते है और इसे रोगों की जननी करार देते है।







Body:स्थानीय निवासी कुंदन कुमार कहते है कि सई की बदहाल स्थित का मुख्य कारण लोगों की अनदेखी है।चाहे वो प्रशासन हो अथवा आम नागरिक सभी सई को लेकर बेफिक्र नज़र आते है यही कारण रहा कि इसके प्रदूषण स्तर में बेतहाशा वृद्धि हुई और अब स्थित बद से बदतर हो चली।

दूसरे नागरिक जावेद कहते है कि कभी सई का जल बेहद निर्मल होता था और हम इसको बेहिचक पीते थे और स्नान भी करते थे पर अब इसका जल रोगों को जन्म दे रहा है।जावेद के हाथ मे हुए इंस्पेक्शन सई के प्रदूषण की निशानी है।हालांकि सामाजिक चेतना व प्रशासनिक पहल दोनों की कमी को ही सई के प्रदूषण का कारण बताते हुए जावेद इसके निराकरण के लिए सभी की भागीदारी की जरुरत पर ही जोर देते है।

रायबरेली के प्रख्यात पर्यावरणविद श्याम साधु ने बताया कि सई को प्रदूषित करने में एसजीपीजीआई के लिक्विड डिस्चार्ज की अहम भूमिका है और योगी सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाएं जाने की मांग की है। सई नदी को पौराणिक नदी बताते हुए श्याम साधु दावा करते हैं कि इस नदी में स्वयं प्रभु श्रीराम ने स्नान किया है यही कारण है कि सभी सनातन धर्मियों को इस नदी से विशेष लगाव रखना चाहिए और इसके स्वच्छ रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।सई की स्वच्छता के प्रति सरकार के ध्यानाकर्षण
के लिए पुनः अनशन करने से पीछे नही रहने की बात भी दोहराते है।साथ ही यह भी जोड़ते है कि जब तक भारत मे गौ सेवा व नदियों के संरक्षण पर जोर नही दिया जाएगा देश सही मायनों में तरक्की नही कर सकता।गंगा व सई नदी के तटों पर ही गौशाला के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बताते हुए श्याम साधु सरकार को इससे रोज़गार सृजन करने में भी होने का दावा करते है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रायबरेली के क्षेत्रीय अधिकारी अनिल कुमार चौधरी कहते हैं कि फिलहाल सई नदी में रायबरेली शहर का कोई भी इंडस्ट्रियल वेस्ट डिस्चार्ज नहीं हो रहा।सालों पहले तक भवानी पेपर मिल का कचरा सई को दूषित करता था पर विगत वर्षों में जब से वो पेपर मिल बंद हुई है तबसे कोई अन्य इंडस्ट्रियल यूनिट का लिक्विड डिस्चार्ज उसे दूषित नही कर रहा है।पर नदी में भारी मात्रा में शहर का दूषित सीवेज लगातार प्रवाहित हो रहा है और इसका क्रम तब तक जारी रहेगा जब तक कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सुचारु रुप से चालू नही हो जाता।





Conclusion:विजुअल : संबंधित विजुअल व पीटीसी व एडिशनल विज़ुअल

बाइट 1 : कुंदन कुमार - स्थानीय नागरिक,

बाइट 2 : श्याम साधु - पर्यावरणविद,

बाइट 3 : जावेद निषाद- स्थानीय नागरिक

बाइट 4 : अनिल कुमार चौधरी - क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण विभाग बोर्ड रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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