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रायबरेली के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में महज एक माह में 18 लोगों की कोरोना से मौत - रायबरेली में कोरोना के मरीज

यूपी के रायबरेली में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. सुल्तानपुर खेड़ा गांव के ग्रामीणों ने सोशल मीडिया पर गांव में फैले संक्रमण की बात कही, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया.

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सड़कों पर पसरा सन्नाटा.
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Published : May 13, 2021, 3:08 PM IST

रायबरेली : कोरोना महामारी के इस दौर में भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही लगातार सामने आ रही है. ऐसा ही मामला उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के प्रभार वाले जिले रायबरेली में देखने को मिला. जिले के सतांव विकासखंड के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में एक माह में कुल 17 लोगों की कोरोना से मौत हुई और जिला प्रशासन को इस बात की खबर नहीं.

ग्रामीणों में दहशत

जानकारी के अनुसार, जिले के सतांव विकासखंड के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में सर्दी, जुकाम, बुखार के बाद अचानक से ग्रामीणों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मरीज को अस्पताल ले जाया जाता, उनकी मृत्यु हो जाती. अप्रैल माह में दो सप्ताह के भीतर चार महिलाओं समेत 17 लोगों की मौत हो गई.

ग्रामीणों में दहशत के मारे प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. परेशान ग्रामीणों ने अपनी व्यथा सोशल मीडिया पर सुनाई. इसके बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आई. एक मई को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची और 443 ग्रामीणों के सैंपल टेस्ट किए. साथ ही गांव को मिनी कंटेनमेंट जोन घोषित कर बैरिकेडिंग करा दी.

इन नमूनों की रिपोर्ट आने के बाद गांव के 14 लोग कोरोना संक्रमित मिले. उन्हें घर में ही आइसोलेट करा दिया गया लेकिन ना तो उन्हें दवा दी गई और ना ही उनके देखरेख की कोई व्यवस्था की गई. इसी बीच पिछले गुरुवार को गांव के बबलू सविता की मौत हो जाने से गांव में मौतों की संख्या 18 हो गई है.

इन मरीजों की हुई मौत

विद्यावती, हरी प्रसाद तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, घनश्याम बाजपेई, चंद्र प्रकाश शुक्ला, राज शंकर शुक्ला, राकेश शुक्ला, सूरज लाल पासी की पत्नी, रणशेर फौजी, राम सजीवन साहू, गोब्बर माली, अवधेश अग्रहरि, नान्हू लोध, जमुना यादव, पप्पू गुप्ता उर्फ नरेश गुप्ता की पत्नी, भोला शुक्ल की पुत्री बिट्टन, रघुंनदन सविता, बबलू सविता.

गांव में मातम पसरा

महज एक माह में इतने लोगों की मौत के बाद गांव में मातम पसरा है. ग्रामीण अपने घरों में हैं. वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. पूरे मामले पर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी चुप्पी साधी है. हालांक सीएचसी केंद्र की अधिकारी गीतांजलि मौर्या ने बताया कि 14 ग्रामीण संक्रमित हैं जो अपने घर पर ही आइसोलेट है. उन्हें दवा दी गई है. फिलहाल, सभी की हालत स्थिर है. कुछ लोगों को सर्दी जुकाम व बुखार की दिक्कत है. वे स्वास्थ्य केंद्रों पर आकर दवा ले रहे हैं.

रायबरेली : कोरोना महामारी के इस दौर में भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही लगातार सामने आ रही है. ऐसा ही मामला उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के प्रभार वाले जिले रायबरेली में देखने को मिला. जिले के सतांव विकासखंड के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में एक माह में कुल 17 लोगों की कोरोना से मौत हुई और जिला प्रशासन को इस बात की खबर नहीं.

ग्रामीणों में दहशत

जानकारी के अनुसार, जिले के सतांव विकासखंड के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में सर्दी, जुकाम, बुखार के बाद अचानक से ग्रामीणों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मरीज को अस्पताल ले जाया जाता, उनकी मृत्यु हो जाती. अप्रैल माह में दो सप्ताह के भीतर चार महिलाओं समेत 17 लोगों की मौत हो गई.

ग्रामीणों में दहशत के मारे प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. परेशान ग्रामीणों ने अपनी व्यथा सोशल मीडिया पर सुनाई. इसके बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आई. एक मई को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची और 443 ग्रामीणों के सैंपल टेस्ट किए. साथ ही गांव को मिनी कंटेनमेंट जोन घोषित कर बैरिकेडिंग करा दी.

इन नमूनों की रिपोर्ट आने के बाद गांव के 14 लोग कोरोना संक्रमित मिले. उन्हें घर में ही आइसोलेट करा दिया गया लेकिन ना तो उन्हें दवा दी गई और ना ही उनके देखरेख की कोई व्यवस्था की गई. इसी बीच पिछले गुरुवार को गांव के बबलू सविता की मौत हो जाने से गांव में मौतों की संख्या 18 हो गई है.

इन मरीजों की हुई मौत

विद्यावती, हरी प्रसाद तिवारी, राधेश्याम गुप्ता, घनश्याम बाजपेई, चंद्र प्रकाश शुक्ला, राज शंकर शुक्ला, राकेश शुक्ला, सूरज लाल पासी की पत्नी, रणशेर फौजी, राम सजीवन साहू, गोब्बर माली, अवधेश अग्रहरि, नान्हू लोध, जमुना यादव, पप्पू गुप्ता उर्फ नरेश गुप्ता की पत्नी, भोला शुक्ल की पुत्री बिट्टन, रघुंनदन सविता, बबलू सविता.

गांव में मातम पसरा

महज एक माह में इतने लोगों की मौत के बाद गांव में मातम पसरा है. ग्रामीण अपने घरों में हैं. वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. पूरे मामले पर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी चुप्पी साधी है. हालांक सीएचसी केंद्र की अधिकारी गीतांजलि मौर्या ने बताया कि 14 ग्रामीण संक्रमित हैं जो अपने घर पर ही आइसोलेट है. उन्हें दवा दी गई है. फिलहाल, सभी की हालत स्थिर है. कुछ लोगों को सर्दी जुकाम व बुखार की दिक्कत है. वे स्वास्थ्य केंद्रों पर आकर दवा ले रहे हैं.

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