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परिवार में शस्त्र लाइसेंस होने के आधार पर महिला को लाइसेंस देने से नहीं कर सकते इंकार- हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि परिवार के सदस्यों पर आर्म्स लाइसेंस होने के आधार पर किसी महिला को लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 10:42 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि परिवार के अन्य सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने के आधार पर किसी महिला को लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने यह आदेश मेरठ के खरखोदा इलाके की सीमा त्यागी का आर्म्स लाइसेंस देने की मांग में दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने डीएम मेरठ को लाइसेंस के याची के प्रत्यावेदन पर विचार करने का निर्देश भी दिया है.

याची ने डीएम मेरठ के समक्ष आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. डीएम ने यह कहते हुए उसका आवेदन खारिज कर दिया कि उसके पति, ससुर और सास के नाम से पहले से ही शस्त्र लाइसेंस है. लिहाजा याची को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. याची ने मेरठ कमिश्नर के समक्ष अपील की लेकिन कमिश्नर ने अपील खारिज कर दी. याची ने डीएम और कमिश्नर के आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी. याची के अधिवक्ता का तर्क था कि याची का पारिवारिक व्यवसाय है और व्यावसायिक स्थल से उसका घर दो किमी दूर है. लिहाजा उसे शस्त्र लाइसेंस दिया जाना जरूरी है ताकि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सके.

सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि याची को शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता. क्योंकि, परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पहले से ही आर्म्स लाइसेंस हैं. कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि परिवार के अन्य सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने से किसी को शस्त्र लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने याची के अभ्यावेदन पर डीएम मेरठ को निर्देश दिया कि दो महीने के अंदर लाइसेंस की मांग में दिए गए याची के प्रत्यावेदन पर विचार कर उसका निस्तारण करें.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि परिवार के अन्य सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने के आधार पर किसी महिला को लाइसेंस देने से इनकार नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने यह आदेश मेरठ के खरखोदा इलाके की सीमा त्यागी का आर्म्स लाइसेंस देने की मांग में दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. कोर्ट ने डीएम मेरठ को लाइसेंस के याची के प्रत्यावेदन पर विचार करने का निर्देश भी दिया है.

याची ने डीएम मेरठ के समक्ष आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. डीएम ने यह कहते हुए उसका आवेदन खारिज कर दिया कि उसके पति, ससुर और सास के नाम से पहले से ही शस्त्र लाइसेंस है. लिहाजा याची को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. याची ने मेरठ कमिश्नर के समक्ष अपील की लेकिन कमिश्नर ने अपील खारिज कर दी. याची ने डीएम और कमिश्नर के आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी. याची के अधिवक्ता का तर्क था कि याची का पारिवारिक व्यवसाय है और व्यावसायिक स्थल से उसका घर दो किमी दूर है. लिहाजा उसे शस्त्र लाइसेंस दिया जाना जरूरी है ताकि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सके.

सरकारी वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि याची को शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता. क्योंकि, परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पहले से ही आर्म्स लाइसेंस हैं. कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि परिवार के अन्य सदस्यों के पास आर्म्स लाइसेंस होने से किसी को शस्त्र लाइसेंस देने से मना नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने याची के अभ्यावेदन पर डीएम मेरठ को निर्देश दिया कि दो महीने के अंदर लाइसेंस की मांग में दिए गए याची के प्रत्यावेदन पर विचार कर उसका निस्तारण करें.

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