प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान को चार साल से निलंबित क्यों रखा है. साथ ही अब तक विभागीय कार्यवाही पूरी क्यों नहीं की जा सकी. कोर्ट ने 5 अगस्त तक जानकारी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने दिया है.
याची डाॅ. खान का कहना है कि उसे 22 अगस्त 17 को अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति मामले में निलंबित किया गया. जांच बैठाई गई. कार्यवाही पूरी नहीं होती देख याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट ने 7 मार्च 19 को 3 माह में कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया. इस पर 15 अप्रैल 19 को रिपोर्ट पेश की गई जिस पर 11 माह बाद 24 फरवरी 20 को जांच रिपोर्ट स्वीकार कर दो बिंदुओं पर दोबारा जांच का आदेश दिया गया है.
याची के अधिवक्ताओं की दलील थी कि सुप्रीमकोर्ट के पंजाब नेशनल बैंक बनाम कुंज बिहारी मिश्र केस में दिए गए निर्णय के अनुसार इतने लंबे समय तक याची को निलंबित नहीं रखा जा सकता. वहीं डॉ. कफील के साथ निलंबित किए गए सात अन्य चिकित्सक व मेडिकल स्टॉफ को बहाल कर दिया गया है.
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उधर, डॉक्टर कफील खान ने अपने खिलाफ अलीगढ़ विश्वविद्यालय में दिए भाषण को लेकर दर्ज प्राथमिकी को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी है. आरोप है कि उन्होंने एनआरसी, सीएए को लेकर भड़काऊ भाषण दिए और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की. इस याचिका पर मंगलवार तीन अगस्त को सुनवाई होनी है.
क्या है मामला
22 अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म हो गया. इसके चलते कई बच्चों की मौत हो गई. इस मामले में डॉ. कफील खान को निलंबित किया गया. उनके खिलाफ विभागीय की बात हुई जो अब तक पूरी नहीं हो पाई. इसे लेकर कफील खान ने याचिका दायर की.
हाईकोर्ट ने 7 मार्च 2019 को 3 माह में जांच की कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया लेकिन 11 महीने बाद 24 फरवरी 2020 को जांच रिपोर्ट स्वीकार की गई. इसके बाद अब कोर्ट ने दो बिन्दुओं पर दोबारा जांच का आदेश दिया है.