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प्रयागराज: गायों की मौत पर बोले गांव वाले, आकाशीय बिजली से नहीं हुई मौत

यूपी के प्रयागराज में हुई गायों की मौत पर गांव वालों ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से गायों की मौत नहीं हुई है. बल्कि गायों की मौत समय से चारा और पानी नहीं देने के चलते हुई है.

गायों की मौत.
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Published : Jul 12, 2019, 8:56 PM IST

प्रयागराज: जिले में गुरुवार शाम सोरांव स्थित कांदी में अचानक 30 से अधिक गायों की मौत हो गई. प्रशासन ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से गायों की मौत हुई है. वहीं गांव वालों का कहना है कि गौशाला में जितनी भी गाय बांधी जाती थीं, उन्हें समय से चारा और पानी नहीं दिया जाता था.

गांव वालों का कहना है कि गौशाला में गायों को गंदा पानी और सूखा भूसा खाने के लिए दिया जाता था. इसके साथ ही गौशाला में बारिश से बचने के लिए किसी भी तरह के टीन शेड नहीं लगाए गए थे. बारिश से भीगकर और भूख से तड़पकर गायों की मौत हुई है.

गायों की मौत को लेकर गांव वालों ने दी जानकारी.

तालाब में बना दी गई गौशाला
स्थानीय निवासी परमेश सिंह का कहना है कि जिस जमीन पर गौशाला बनाई गई है, वह जलाशय के लिए थी. 52 बीघे के इस तालाब में गौशाला बना दी गई. लगातार तीन दिनों से बारिश होने की वजह से पूरे तालाब में चारों तरफ पानी भर गया. गौशाला में जितनी भी गाय बांधी गई थीं, उन्हें समय से चारा नहीं मिलता था. सभी गाय गंदा पानी पीकर रहती थीं.

आकाशीय बिजली गिरने से नहीं हुई गायों की मौत
कांदी गांव के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गायों की मौत होने से जिला प्रशासन, डीएम मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए, लेकिन पिछली रात गांव में कोई भी आकाशीय बिलजी नहीं गिरी. मवेशियों की मौत बिजली गिरने से नहीं हुई है. इसके पहले भी गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है. सभी गायों को इसी तालाब के अंदर दफना दिया गया है.

तालाब खुदवाने से मिलेगा गायों का कंकाल
गांव वालों का कहना है कि गांव में जीएस की जमीन होने के बावजूद क्यों तालाब के जमीन में गौशाला बनाया गया. अगर तालाब में गौशाला बनाई भी गई, तो पानी निकलने का रास्ता भी बनाना चाहिए था. इस गौशाले में लगभग 500 के करीब गायें थी. गायों की देखभाल ढंग से नहीं की गई जिससे अब सिर्फ 200 से कम जानवर बचे हैं. इसके पहले भी कई बार गायों की भूख और प्यास की वजह से मौत हुई है. अगर इस तालाब की खोदाई कराई जाए तो यहां पर जानवरों का कंकाल देखने को मिलेगा. जब से गौशाला बनी है तब से हर दूसरे-तीसरे दिन चार से पांच गायों की मौत होती रही है.

प्रयागराज: जिले में गुरुवार शाम सोरांव स्थित कांदी में अचानक 30 से अधिक गायों की मौत हो गई. प्रशासन ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से गायों की मौत हुई है. वहीं गांव वालों का कहना है कि गौशाला में जितनी भी गाय बांधी जाती थीं, उन्हें समय से चारा और पानी नहीं दिया जाता था.

गांव वालों का कहना है कि गौशाला में गायों को गंदा पानी और सूखा भूसा खाने के लिए दिया जाता था. इसके साथ ही गौशाला में बारिश से बचने के लिए किसी भी तरह के टीन शेड नहीं लगाए गए थे. बारिश से भीगकर और भूख से तड़पकर गायों की मौत हुई है.

गायों की मौत को लेकर गांव वालों ने दी जानकारी.

तालाब में बना दी गई गौशाला
स्थानीय निवासी परमेश सिंह का कहना है कि जिस जमीन पर गौशाला बनाई गई है, वह जलाशय के लिए थी. 52 बीघे के इस तालाब में गौशाला बना दी गई. लगातार तीन दिनों से बारिश होने की वजह से पूरे तालाब में चारों तरफ पानी भर गया. गौशाला में जितनी भी गाय बांधी गई थीं, उन्हें समय से चारा नहीं मिलता था. सभी गाय गंदा पानी पीकर रहती थीं.

आकाशीय बिजली गिरने से नहीं हुई गायों की मौत
कांदी गांव के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गायों की मौत होने से जिला प्रशासन, डीएम मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए, लेकिन पिछली रात गांव में कोई भी आकाशीय बिलजी नहीं गिरी. मवेशियों की मौत बिजली गिरने से नहीं हुई है. इसके पहले भी गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है. सभी गायों को इसी तालाब के अंदर दफना दिया गया है.

तालाब खुदवाने से मिलेगा गायों का कंकाल
गांव वालों का कहना है कि गांव में जीएस की जमीन होने के बावजूद क्यों तालाब के जमीन में गौशाला बनाया गया. अगर तालाब में गौशाला बनाई भी गई, तो पानी निकलने का रास्ता भी बनाना चाहिए था. इस गौशाले में लगभग 500 के करीब गायें थी. गायों की देखभाल ढंग से नहीं की गई जिससे अब सिर्फ 200 से कम जानवर बचे हैं. इसके पहले भी कई बार गायों की भूख और प्यास की वजह से मौत हुई है. अगर इस तालाब की खोदाई कराई जाए तो यहां पर जानवरों का कंकाल देखने को मिलेगा. जब से गौशाला बनी है तब से हर दूसरे-तीसरे दिन चार से पांच गायों की मौत होती रही है.

Intro:प्रयागराज: गांव के लोग बोले- गायों की मौत बिना भोजन और पानी न मिलने से हुई,आकाशीय बिजली से नहीं हुई मौत

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प्रयागराज: सोरांव स्थित कांदी में कल शाम को अचानक 30 से अधिक गायों के मौत से पूरे गांव में हड़कंप मच गया. गांव में बने अस्थाई गौशाला में 200 से अधिक गाय बांधी जाती थी. गायों की मौत की वजह प्रशासन ने आकाशीय बिजली गिरने की बात कही है. लेकिन गांव वालों का कहना है कि गौशाला में जितनी भी गाय बांधी जाती थी उन्हें समय से चारा और पानी नहीं दिया जाता था. गर्मी के कारण कई गायों की मौत हुई तो उसे ग्राम प्रधान ने मिट्टी में दफना दिया था.

इस बार जितनी भी गाय की मृत्यु हुई है इन सभी गायों का देखभाल ठीक से नहीं किया जाता था. गौशाला में गायों को गंदा पानी और सूखा भूसा खाने के लिए दिया जाता था. इसके साथ ही गौशाला में बारिश से बचने के लिए किसी भी तरह के टीन सेट नहीं लगाए गए थे. बारिश से भीगकर और भूख से तड़प कर गायों को हुई मौत.




Body: तालाब में बना दिया गया गौशाला

स्थानीय निवासी परमेश सिंह का कहना है कि जिस जमीन में गौशाला बनाया गया है वह जलाशय के लिए था. 52 बीघे के इस तालाब में गौशाला बना दिया गया.लगातार तीन दिनों से बारिश होने की वजह से पूरे तालाब में चारों तरफ पानी भर गया. गौशाले में जितनी भी गाय बांधी गई थी उन्हें समय से चारा नहीं मिलता था. सभी गाय गंदा पानी पीकर रहती थी. गौशाले में चारों तरफ आठ फिट गहरा गद्दा बना दिया गया था और बारिश होने से चारों तरफ पानी भर गया और गाय चारा,पानी के लिए कही निकल नहीं पाई. गांव वालों का कहना है कि गंदा पानी पीने और चारा ना मिलने की वजह से गायों की हुई मौत.




Conclusion: ग्रामीणों ने कहा- आकाशीय बिजली गिरने से नहीं हुई गायों की मौत

कांदी गांव के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गायों की मौत होने से जिला प्रशासन,डीएम मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को जांच का निर्देश दिया. लेकिन पिछली रात गांव में कोई भी आकाशीय बिलजी नहीं गिरी. मवेशियों की मौत बिजली गिरने से नहीं हुई है. इसके पहले भी गौशाले में कई गायों की मौत हो चुकी है. सभी गायों को इसी तालाब के अंदर दफना दिया गया है.

तालाब खुदवाने से मिलेगा गायों का कंकाल

गांव वालों का कहना है कि गांव में जीएस की जमीन होने के बावजूद क्यों तालाब के जमीन में गौशाला बनाया गया. अगर तालाब में गौशाला बनाया भी गया तो पानी निकलने का रस्ता भी बनाना चाहिए था. इस गौशाले में लगभग 500 तक गायें थी. गायों की देखभाल ढंग से नही किया गया तो अब सिर्फ 200 से कम जानवर बचे हैं. इसके पहले भी कई बार गायों का भूख और प्यास की वजह से मौत हुई है. अगर इस तालाब की खोदाई कराई जाए तो यहां पर जानवरों का कंकाल देखने को मिलेगा. जब से गौशाला बना है हर दूसरे-तीसरे दिन चार से पांच गायों की होती रही है मौत.

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