प्रयागराज: जिले में गुरुवार शाम सोरांव स्थित कांदी में अचानक 30 से अधिक गायों की मौत हो गई. प्रशासन ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से गायों की मौत हुई है. वहीं गांव वालों का कहना है कि गौशाला में जितनी भी गाय बांधी जाती थीं, उन्हें समय से चारा और पानी नहीं दिया जाता था.
गांव वालों का कहना है कि गौशाला में गायों को गंदा पानी और सूखा भूसा खाने के लिए दिया जाता था. इसके साथ ही गौशाला में बारिश से बचने के लिए किसी भी तरह के टीन शेड नहीं लगाए गए थे. बारिश से भीगकर और भूख से तड़पकर गायों की मौत हुई है.
तालाब में बना दी गई गौशाला
स्थानीय निवासी परमेश सिंह का कहना है कि जिस जमीन पर गौशाला बनाई गई है, वह जलाशय के लिए थी. 52 बीघे के इस तालाब में गौशाला बना दी गई. लगातार तीन दिनों से बारिश होने की वजह से पूरे तालाब में चारों तरफ पानी भर गया. गौशाला में जितनी भी गाय बांधी गई थीं, उन्हें समय से चारा नहीं मिलता था. सभी गाय गंदा पानी पीकर रहती थीं.
आकाशीय बिजली गिरने से नहीं हुई गायों की मौत
कांदी गांव के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गायों की मौत होने से जिला प्रशासन, डीएम मौके पर पहुंचे और आला अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए, लेकिन पिछली रात गांव में कोई भी आकाशीय बिलजी नहीं गिरी. मवेशियों की मौत बिजली गिरने से नहीं हुई है. इसके पहले भी गौशाला में कई गायों की मौत हो चुकी है. सभी गायों को इसी तालाब के अंदर दफना दिया गया है.
तालाब खुदवाने से मिलेगा गायों का कंकाल
गांव वालों का कहना है कि गांव में जीएस की जमीन होने के बावजूद क्यों तालाब के जमीन में गौशाला बनाया गया. अगर तालाब में गौशाला बनाई भी गई, तो पानी निकलने का रास्ता भी बनाना चाहिए था. इस गौशाले में लगभग 500 के करीब गायें थी. गायों की देखभाल ढंग से नहीं की गई जिससे अब सिर्फ 200 से कम जानवर बचे हैं. इसके पहले भी कई बार गायों की भूख और प्यास की वजह से मौत हुई है. अगर इस तालाब की खोदाई कराई जाए तो यहां पर जानवरों का कंकाल देखने को मिलेगा. जब से गौशाला बनी है तब से हर दूसरे-तीसरे दिन चार से पांच गायों की मौत होती रही है.