प्रयागराज: माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, देश ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा शैक्षिक बोर्ड है. लाखों छात्रों का भविष्य बनाने वाला यूपी बोर्ड 100 साल पुराना हो रहा है. 1921 में पहली बैठक के साथ यूपी बोर्ड की स्थापना की गई थी. इसका मुख्यालय प्रयागराज में स्थित है. खास बात यह है कि आने वाले दिनों में यूपी बोर्ड अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष समारोह मनाने जा रहा है.
प्रदेश भर में मनाया जाएगा समारोह
यूपी बोर्ड का स्थापना वर्ष समारोह प्रदेश भर में यूपी बोर्ड से जुड़े विद्यालयों में मनाया जाएगा. यूपी बोर्ड के गठन के बाद बोर्ड की पहली परीक्षा में शामिल होने के लिए 5744 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. जबकि बीते सत्र में इस बोर्ड से परीक्षा देने के लिए 56 लाख से ज्यादा छात्र छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. वहीं इस बार कोरोना महामारी के बावजूद 2021 में होने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए 55 लाख 55 हजार 765 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है.
प्रदेश में शिक्षा का विस्तार करने के लिए 1921 में इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम के तहत माध्यमिक शिक्षा परिषद का गठन किया गया. माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश बनने के बाद 1923 में बोर्ड की पहली परीक्षा आयोजित की गई. 10वीं की परीक्षा के लिए पहली बार 5655 परीक्षार्थी और 12वीं कक्षा के लिए 89 परीक्षार्थी ही परीक्षा में शामिल हुए थे. जिसके बाद से लेकर आज तक माध्यमिक शिक्षा परिषद में बोर्ड की परीक्षा देने के लिए छात्रों की संख्या निरंतर बढ़ती ही गई. बोर्ड परीक्षार्थियों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती गई. बीते साल हुई यूपी बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने के लिए 56 लाख से ज्यादा छात्रों ने पंजीकरण करवाया था.
एशिया का सबसे बड़ा शैक्षणिक बोर्ड
आज यूपी बोर्ड एशिया का सबसे बड़ा शैक्षणिक बोर्ड है, जहां हर साल परीक्षा देने के लिए निरंतर लाखों की संख्या में छात्रों का पंजीकरण हो रहा है. बीते साल 56 लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा देने के लिए पंजीकरण करवाया था. यूपी बोर्ड से प्रदेश भर के 27,823 विद्यालय जुड़े हुए हैं, जहां के छात्रों ने 2021 की बोर्ड परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.
कोरोना काल में भी 55 लाख से ज्यादा छात्रों ने कराया रजिस्ट्रेशन
2021 में होने वाली यूपी बोर्ड की परीक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के 27,823 स्कूलों के छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. कोरोना काल के दौरान बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में शामिल होने के लिए 55 लाख 55 हजार 765 छात्र-छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इसमें 10वीं में 29 लाख 76 हजार 358 और 12वीं के लिए 25 लाख 79 हजार 407 छात्र रजिस्टर्ड हुए हैं. इसके अलावा 2021 सत्र के लिए 9वीं कक्षा में 27 लाख 63 हजार 579 जबकि 11वीं के लिए 22 लाख 68 हजार 622 छात्रों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. कुल मिलाकर 9वीं और 11वीं के लिए 50 लाख 32 हजार 201 छात्रों का पंजीकरण हो चुका है.
100 सालों के सफर में कई अहम बदलाव
यूपी बोर्ड में 100 सालों के सफर में कई तरह के बदलाव किए गए हैं, जिसका नतीजा है कि लगातार यहां छात्रों की संख्या बढ़ती गई. पहले यूपी बोर्ड की परीक्षा पूरी होने में डेढ़ महीने से ज्यादा का वक्त लगता था. वहीं अब एक पखवाड़े से भी कम समय में परीक्षा पूरी होने लगी है. हिंदी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों के कई प्रश्नपत्र होते थे, लेकिन बदलते समय के साथ इन सब में सुधार करते हुए प्रत्येक विषयों के पेपर भी कम कर दिए गए.
एशिया के सबसे बड़े बोर्ड में हैं इतने विषय
2020 की बोर्ड परीक्षा में 35 विषयों के विकल्प छात्रों के पास मौजूद थे. इसमें मलयालम, आसामी और नेपाली तीन विषय ऐसे भी थे, जिसे लाखों परीक्षार्थियों में से किसी ने भी विकल्प के रूप में नहीं भरा. एक भी छात्र द्वारा इन तीन विषयों का विकल्प न भरने से इनका परीक्षा फल भी शून्य रहा. यूपी बोर्ड के छात्रों के पास जिन 35 विषयों के विकल्प मौजूद हैं, वे इस प्रकार हैं-
मौजूद विषय
हिंदी, प्रारंभिक हिंदी, गुजराती, उर्दू, पंजाबी, बंगला, मराठी, आसामी, उड़िया, कन्नड़, कश्मीरी, तमिल, तेलुगू, मलयालम, नेपाली, अंग्रेजी, संस्कृत, पाली, अरबी, पारसी, गणित, फारसी, गृह विज्ञान, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, संगीत गायन, संगीत वादन, वाणिज्य, चित्रकला, कृषि, गृह विज्ञान, सिलाई, रंजन कला, कंप्यूटर और मानव विज्ञान.
पाठ्यक्रम में किया गया सुधार
कुछ सालों पहले तक यूपी बोर्ड में 10वीं की परीक्षा में 9वीं और 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से जुड़े सवाल पूछे जाते थे. इसी तरह से 12वीं की परीक्षा में भी 12वीं के साथ ही 11वीं के पाठ्यक्रम से जुड़े सवाल पेपर में आते थे, जिसे बदलते वक्त के साथ बदला गया. आज यूपी बोर्ड में 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम अलग अलग हो चुके हैं. इसके अलावा कोर्स को संशोधित करते पाठ्यक्रम को भी कम किया गया. बीते कुछ सालों में किताबों से कई टॉपिक को बाहर भी किया गया है. यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम को NCERT के पैटर्न पर आधारित बनाए जाने की तैयारी है. बोर्ड से जुड़े स्कूलों में NCERT के पाठ्य पुस्तकों के आधारित कोर्स बनाया जा रहा है. आने वाले दिनों में यूपी बोर्ड में पूरी तरह से NCERT पर आधारित कोर्स होंगे.
मूल्यांकन प्रक्रिया को बनाया गया आसान
यूपी बोर्ड में कॉपियों को चेक करने के दौरान मूल्यांकन करने के तरीके में भी बदलाव किया गया है. पहले जहां जवाब लिखते समय गड़बड़ी होने पर शून्य अंक दिया जाता था, वहीं अब स्टेप मार्किंग की व्यवस्था की गई है. स्टेप मार्किंग व्यवस्था की वजह से छात्रों ने किसी प्रश्न का जितना जवाब सही लिखा है, उसे उतने हिस्से का अंक दे दिया जाता है. जबकि पहले ऐसा होने पर छात्रों को कोई अंक नहीं दिया जाता था. इस तरह के संशोधन से अब छात्रों को भी बेहतर अंक और प्रतिशत मिलने लगे हैं. इससे अब यूपी बोर्ड में छात्र CBSE और ICSE के छात्रों को हर मोर्चे पर टक्कर दे रहे हैं. यूपी बोर्ड में भी CBSE बोर्ड के स्कूलों की तर्ज पर नए सत्र की शुरुआत जुलाई के पहले से कर दी गई है.
बोर्ड में किए गए बदलाव का दिख रहा असर
यूपी बोर्ड में निरंतर किए गए संशोधन और बदलाव की वजह से आज यूपी बोर्ड के छात्रों का परिणाम भी शत प्रतिशत तक आने लगा है. इसके साथ ही यूपी बोर्ड का भी सफलता का प्रतिशत पहले से बेहतर हुआ है. पहले जहां यूपी बोर्ड में 50 फीसदी छात्रों का सफल होना भी मुश्किल रहता था. वहीं अब यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणाम भी 90 फीसदी के पार तक जाने लगा है. पिछले सालों में किए गए बदलाव का असर है कि यूपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम भी अब CBSE और ICSE की तर्ज पर बेहतर आने लगा है. यही नहीं छात्र-छात्राएं भी शत प्रतिशत अंक हासिल कर देश और प्रदेश में अपना नाम रोशन कर रहे हैं.
बोर्ड की बढ़ती उपलब्धियों से छात्रों का बढ़ा उत्साह
वर्तमान समय में यूपी बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्र भी खुद को CBSE और ICSE के छात्रों के बराबर समझने लगे हैं. छात्रों का कहना है कि वर्तमान समय में यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम और नीतियां उन्हें किसी भी बोर्ड से टक्कर लेने के लायक शिक्षा दे रही हैं. आज इन छात्रों को हिंदी के साथ ही अंग्रेजी विषय में भी महारत हासिल है. छात्रों का कहना है कि पहले यूपी बोर्ड के छात्र कम प्रतिशत और अंक की वजह से अंग्रेजी माध्यम के बोर्ड से पिछड़ जाते थे, लेकिन आज के जो परीक्षा परिणाम और प्रतिशत यूपी बोर्ड में छात्रों के आ रहे हैं, उससे वह हर प्रतियोगिता में दूसरे बोर्ड के छात्रों को पछाड़ रहे हैं.
बोर्ड से जुड़े विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम में शुरू हुई पढ़ाई
देश में अंग्रेजी के बढ़ते चलन को देखते हुए यूपी बोर्ड से जुड़े विद्यालयों में भी अंग्रेजी माध्यम में यूपी बोर्ड की पढ़ाई शुरू कर दी गई है. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बोर्ड से जुड़े तमाम विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम में यूपी बोर्ड का कोर्स पढ़ाया जा रहा है. अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने के लिए छात्रों की रुचि को देखते हुए निरंतर कई विद्यालयों में अंग्रेजी में पढ़ाई का चलन बढ़ रहा है. यूपी बोर्ड में छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 5 क्षेत्रीय कार्यालय भी खोलें गए हैं.
इन जिलों में खोले गए क्षेत्रीय कार्यालय
- 1972 में मेरठ में क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया. मेरठ के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 4 मंडलों के 17 जिले आते हैं.
- 1978 में वाराणसी में क्षेत्रीय कार्यालय की शुरुआत की गई. वाराणसी के क्षेत्रीय कार्यालय से 4 मंडलों के 15 जिलों के कार्य किए जाते हैं.
- 1981 में बरेली में यूपी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की शुरुआत हुई. बरेली के क्षेत्रीय कार्यालय से 2 मंडलों के 9 जनपदों के कार्यों को किया जाता है.
- 1986 में प्रयागराज जनपद में भी एक क्षेत्रीय कार्यालय की शुरुआत की गई. प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा पांच मंडलों के 23 जनपदों के कार्यों को किया जाता है.
- 2017 में गोरखपुर में क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की गई. गोरखपुर के क्षेत्रीय कार्यालय से 3 मंडलों के 11 जनपदों से संबंधित कार्यों को किया जाता है.
प्रदेश भर के अलग-अलग हिस्सों में खोले गए इन क्षेत्रीय कार्यालयों से छात्रों से जुड़े परीक्षाओं के कार्यों को किया जाता है. इसके अलावा छात्रों की बोर्ड से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का निराकरण भी इन्ही कार्यालयों से किया जाता है.