प्रयागराज: प्रयागराज की 12 विधानसभा सीटों में से एक है फूलपुर विधानसभा सीट(Phulpur Vidhansabha Seat). फूलपुर विधानसभा के साथ ही लोकसभा सीट भी है. यह सीट इसलिए भी खास है क्योंकि यह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का संसदीय क्षेत्र रहा है. आजादी के बाद से लेकर 1969 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा. कांग्रेस नेताओं को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजने का काम किया, लेकिन आज इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव में जमानत बचा पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.
2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी का इस सीट पर खाता खुला था. बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए प्रवीण सिंह पटेल ने इस सीट पर भाजपा को जीत दिलाकर नई उम्मीद जगाई. प्रवीण पटेल इससे पहले 2007 के चुनाव के टिकट पर जीत कर विधानसभा जा चुके हैं. जबकि 2012 के चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी के सईद अहमद से हार का सामना करना पड़ा था.
फूलपुर विधानसभा 2012 के चुनाव से पहले तक झूंसी विधानसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी, लेकिन 2012 में परिसीमन के बाद प्रयागराज में 11 विधानसभा की जगह 12 विधानसभा सीटें हो गई थी. उसी दौरान झूंसी विधानसभा का नाम बदलकर फूलपुर विधानसभा कर दिया गया. इस विधानसभा में अभी 3 लाख 87 हजार 693 मतदाता हैं. जिसमें 2 लाख 14 हजार 910 पुरुष हैं और 1 लाख 72 हजार 728 महिला मतदाता हैं. 2017 के पिछले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी प्रवीण पटेल को 93 हजार 912 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के नेता मंसूर आलम को 67 हजार 299 वोट मिले थे और तीसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी को मोहम्मद मशरुर शेख 50 हजार 421 वोट मिले थे.
क्षेत्रीय समस्या
फूलपुर विधानसभा क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के मतदाता हैं. गंगा किनारे रहने वाले इस इलाके की आबादी आज भी बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर है. इसके साथ ही बाढ़ के दिनों में वरुणा नदी में आने वाली बाढ़ भी इस इलाके के लोगों के लिए मुसीबत बनती है. प्रयागराज गोरखपुर राजमार्ग फूलपुर इलाके से ही होकर गुजरता है. इस रास्ते में सड़क पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे, आवारा जानवर यहां कि समस्या है. कारखानों के नाम पर इस इलाके में इफको है. जो देश का यूरिया बनाने का सबसे बड़ा कारखाना है. इसके अलावा हाल में ऐसी कोई बड़ी फैक्ट्री या कारखाना इस क्षेत्र में नहीं शुरू हुई है.
शहर से सटा हुआ है फूलपुर विधानसभा
गंगा नदी के तरफ शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र है तो दूसरी तरफ फूलपुर विधानसभा क्षेत्र है. शहर से सटा हुआ होने की वजह ये विधानसभा क्षेत्र भी काफी विकसित दिखती है. इस विधानसभा में कोई बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है, लेकिन प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के बल पर सभी को इलाज की सुविधा मिलती है. बाकि सभी को ज्यादा तकलीफ होने पर शहर के एसआरएन और बेली अस्पताल की तरफ ही आना पड़ता है.
फूलपुर के वर्तमान विधायक प्रवीण सिंह पटेल को राजनीति विरासत में मिली है. इनके पिता महेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं. जबकि बेटे प्रवीण सिंह पटेल 2007 में बसपा और 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं और 2022 में चुनाव लड़कर तीसरी बार विधायक बनने की तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल मौजूदा समय में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. लेकिन देखना बेहद दिलचस्प होगा कि आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी कितनी मजबूत पकड़ बना पाती है.
कब कौन बना विधायक
चुनाव | उम्मीदवार | पार्टी |
1951 | शिवनाथ काटजू | कांग्रेस |
1957 | सुखी राम भारतीय | कांग्रेस |
1962 | बंशी लाल | बीएसपी |
1974 | विद्याधर | कांग्रेस |
1977 | केशरी नाथ त्रिपाठी | जेएनपी |
1980 | बैजनाथ प्रसाद कुशवाहा | जेएनपी |
1985 | महेंद्र प्रताप सिंह | कांग्रेस |
1989 | महेंद्र प्रताप सिंह | जनता दल |
1991 | महेंद्र प्रताप सिंह | जनता दल |
1993 | जवाहर यादव उर्फ पंडित | सपा |
1996 | विजमा यादव | सपा |
2002 | विजमा यादव | सपा |
2007 | प्रवीण पटेल | बसपा |
2012 | सईद अहमद | सपा |
2017 | प्रवीण पटेल | भाजपा |
वर्तमान विधायक के बारे में
फूलपुर के मौजूदा विधायक प्रवीण सिंह पटेल ने प्रयागराज से ही परास्नातक तक कि पढ़ाई की है. राजनीति उन्हें विरासत के रूप में मिली है. क्योंकि उनके पिता इस सीट से एक दो नहीं बल्कि लगातार तीन बार विधायक चुने गए थे. इसके साथ ही प्रवीण सिंह पटेल भी दूसरी बार विधायक बने हैं. 2007 के चुनाव में जहां वह बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे तो वहीं 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर विधायक बने हैं. विधायक का दावा है कि उन्होंने क्षेत्र में चौमुखी विकास किया है, लेकिन आने वाला वक्त ही बताएगा कि यह सीट इस बार किसके खाते में जाती है.